4th House: कुंडली में चतुर्थ भाव (सुख भाव)
4th House in Horoscope: कुंडली में चतुर्थ भाव (सुख भाव) का विशेष महत्व होता है। इस भाव से प्रधानताः व्यक्ति के सुख और माता का विचार किया जाता है। अगर आप कुंडली के चतुर्थ भाव के बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं तो आपको यह लेख शुरू से अंत तक पढ़ना चाहिए..
ज्योतिष में चतुर्थ भाव से क्या देखा जाता है?
कुंडली में चतुर्थ भाव से माता, जमीन, वाहन, की जानकारी प्राप्त की जाती है। पाराशर होरा शास्त्र अनुसार..
वाहनान्यथ बन्धूंश्च मातृसौख्यादिकान्यपि ।
निधि क्षेत्रं गृहं चापि चतुर्थात् परिचिन्तयेत् ।।
अर्थात: वाहन बन्धु बान्धव, माता, सुख, गड़ा धन, खेत,घर, अचल सम्पत्ति आदि का विचार चतुर्थ भाव से करना चाहिए ।
।। अथ सुखभावफलाध्यायः ।।
गृह सुख योग
सुखेशे सुखभावस्थे लग्नेशे तद्गतेपि से
वाशुभदृष्टे च जातस्य पूर्णगृहसुखं वदेत् ।।
स्वगेहे स्वांशके स्वोच्चे सुखस्थानाधिपो
यदि भूमियान गृहादीनां सुखं वाद्यभवं तथा
केन्द्रे कोणे चतुर्थेशे शुभदृग्योगसंयुते ।
समीचीनं गृहं जन्तोर्वैपरीत्येन्यथा फलम् ।।
भावेशात्क्षेत्रचिन्ता तु सुखचिन्ता बृहस्पतेः
दिव्य वाहन सौख्यानां चिन्ता शुक्रात् सदा मता ।।
यदि चतुर्थेश चतुर्थभाव में हो अथवा लग्नेश चतुर्थ में हो अथवा लग्नेश चतुर्थेश का स्थानपरिवर्तन हो एवं शुभ ग्रह की उन पर दृष्टि हो तो गृह, कोठी, आवास आदि का पूर्ण सुख होता है।
यदि चतुर्थेश स्वगृही, स्वनवांश या स्वोच्च में हो तो भूमि, वाहन व घर का तथा संगीतादि साधनों का सुख मिलता है।यदि चतुर्थेश केन्द्र या त्रिकोण में हो एवं शुभ दृष्टि या योग युक्त हो तो मनुष्य को आरामदायक कार्यसाधक घर की प्राप्ति होती है।
यदि चतुर्थेश विपरीत स्थिति में हो अर्थात् 6.8.12 आदि अनिष्ट भावों में गया हो तो घर नहीं होता है।
घर, जमीन जायदाद की चिन्ता चतुर्थेश से सुख की चिन्ता बृहस्पति से तथा उत्तम वाहन, सुख व आराम का विचार शुक्र से करना चाहिए।
कर्माधिपेन संयुक्ते केन्द्रे कोणे गृहाधिपे
विचित्रसौधप्राकारैर्मण्डितं तद्गृहं भवेत् ।।
यदि चतुर्थेश शुभ ग्रह हो तथा किसी अन्य शुभ ग्रह से देखा जाता हो एवं लग्न में बुध हो तो मनुष्य अपने बन्धुबान्धवों के समुदाय में पूज्यहोता है।
माता का विचार
मातुः स्थाने शुभयुते तदीशे स्वोच्चराशिगे
कारके बलसंयुक्ते मातुर्दीर्घायुरादिशेत् ।।
सुखेशे केन्द्रभावस्थे तथा केन्द्रस्थिते
भृगौशशिजे स्वोच्चराशिस्थे मातुः पूर्ण सुखं भवेत् ।।
यदि चतुर्थेश अपनी उच्च राशि में हो तथा चतुर्थ में शुभ ग्रह स्थितहो, मातृकारक ग्रह (चन्द्र, शुक्र) बलवान् हो तो माता दीर्घायु होती है। यदि चतुर्थेश केन्द्र स्थान में गया हो, शुक्र भी केन्द्र में हो तथा बुध अपने उच्च में हो तो माता का भरपूर सुख मिलता है।
पशुधन लाभ योग
सुखे रवियुते मन्दे चन्द्रे भाग्यगते सति
लाभस्थानगतो भौमो गोमहिष्यादि लाभकृत् । ।
यदि चतुर्थ स्थान में शनि के साथ सूर्य स्थित हो तथा चन्द्रमा नवम में हो, एकादश स्थान में मंगल हो तो गाय भैंस आदि दुधारू पशुओं का लाभ होता है।
गूँगापन होने का योग
चरगेहसमायुक्ते सुखे तद्राशिनायके ।
षष्ठे व्ययेस्थिते भौमे नरः प्राप्नोति मूकताम् ।।
यदि चतुर्थ स्थान में 1, 4, 7,10 राशि हो तथा चतुर्थेश षष्ठ में मंगल 12 में हो तो मनुष्य मूक होता है।
I have read so many рosts сonceгning the blogɡer lovers however this post is genuinely a good
paragraph, ҝeep it up.
Thanks sir 🙏