अघोरी तंत्र : Aghori Tantra (Books Collection) With PDFs & Reviews [Hindi]
Aghori Tantra Book Review & PDF: इस लेख में, हम अघोरी तंत्र पर आधारित सबसे बेहतरीन पुस्तकों की जानकारी देंगे, जो आपकी जिज्ञासा को शांत करेंगी और आपको गहराई से इस परंपरा को समझने में मदद करेंगी।
अघोर पंथ का इतिहास (History of Aghori in Hindi)
अघोरी, कापालिक परंपरा से निकले शैव धर्म का एक तांत्रिक , गैर- पौराणिक रूप है जो 4 वीं और 8 वीं शताब्दी ईस्वी के बीच मध्यकालीन भारत में उत्पन्न हुआ था। यह अक्सर श्मशान घाटों पर रहते हैं , अपने शरीर पर श्मशान की राख लगाते हैं।
इस पंथ के अनुयायी अपने मत को गुरु गोरखनाथ द्वारा प्रवर्तित मानते हैं, किंतु इसके प्रमुख प्रचारक मोतीनाथ हुए जिनके विषय में अभी तक अधिक पता नहीं चल सका है। अघोर पंथ की तीन शाखाएँ है..
- औघर
- सरभंगी
- घुरे
जिनमें से पहली में कल्लूसिंह वा कालूराम हुए जो बाबा किनाराम (जन्म:1601-1769, काशी) के गुरु थे। सरभंगी’ शाखा का अस्तित्व विशेषकर चंपारन जिले में दीखता है जहाँ पर भिनकराम, टेकमनराम, भीखनराम, सदानंद बाबा एवं बालखंड बाबा जैसे अनेक आचार्य हुए। अघोर पन्थ की ‘घुरे’ नाम की शाखा के प्रचार के बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं है।
Top Books On Aghori Tantra | PDF & Reviews [Hindi]
Aghori Tantra Book: अघोर और अघोरी संप्रदाय से संबंधित कई पुस्तके बाजार में उपलब्ध है। जिसमें अघोर के इतिहास, दिनचर्या ओर मठ आदि का विस्तार से जिक्र मिलता है। किंतु यहां केवल अघोर मंत्र पर आधारित पुस्तक शामिल किया जा रहा है।
अघोरी तंत्र, खेमराज प्रकाशन Book PDF
Publisher | Khemraj Shri krishnadass |
Author | पं. गौरीशंकर शर्मा (Pt. Gauri Shankar Sharma) |
Language | Hindi Text |
Edition | 2015 |
Pages | 80 |
Size | 24MB |
Category | Tantra Mantra |
Download Status | Avilable |
पुस्तक अंश: हिंदुस्तान में ऐसी ऐसी विद्या भरी पड़ी हैं, जिनको देखकर सारे संसार के लोग ताज्जुब में आ जाते हैं। उन विद्याओं में से यहां पर मंत्र विद्याका जिक्र किया जा रहा है। इस विद्या की आजमायश हमने कई बार की है।
मंत्र के जरिये से चोर पकडे गये हैं। मंत्र पढी हुई वस्तु खाने से चोर के बदन से लहू बहा है। मंत्र पढे हुए लकडी के टुकडे ने बराबर एक साथ उछलकर चोर को पकडा है। हमने यहां तक देखा कि मंत्र के पढते ही सांपका जहर उतर गया।
मंत्र विद्या को बतलाना सिखलाना या किसी किताब में लिखना बडा ही मुशकिल काम है। नहीं कह सकते हैं कि हमसे यह काम कहां तक पूरा हुआ है? अब इम्तहान करना आपका काम है।
बगली दर्द का बंगाली मंत्र
वात् वात् अकाल वात् अन्धवात् कुनकुने वात् कुटकुटरे वात् आमार प्रतिचक्रेशीघ्र फाट । तौमार डांके पवनपुत्र हनुमान कार आज्ञाय राजा श्रीरामेर आज्ञाय ।
विधि: 108 वार जप करनेसे सिद्धि होती है। सरसों का तेल बगली दर्द की जगह लगाय आहिस्ते से हाथोंको बदन पर फिराता रहै। हरेक मंत्र पढने पर फूंक मारे।
घी से वशीकरण (बंगाली मंत्र)
ओनो ओनो साओ। ईमोर माम तोर पो मोर कोलेओ इरयम यदि कोणेर मायाधरो ओसिद्ध सिद्धेश्वरीर माथा खावो।
विधि: इस मंत्रको गायके घीके साथ पढ़कर वह थी जिसको खिलाया जायगा, वह वश हो जायगा ।
क्रोध शांति करने का मंत्र (बंगाली मंत्र)
भूल भूल कि तोलामूकी, उठ मेलकी पातास कूडे लाग भेलकी सभा जूडे भेलकी चले आगे । आमि जारे सलाम करि भेलकी लागे तारे वेडे आजरे पांजरे लाग, चके मुके लाग, होकसिद्धि गरुरपा दोहाई काटर कामिक्षारमा, हाडिर झिर आज्ञा चण्डिरपा ।
विधि: मंत्रके बलसे क्रोधी पुरुषको भी ठण्ढा किया जा सकता है। किसी क्रोधित हुए पुरुषकी ओर देखकर यह मंत्र पढे और तीन वार फूंक मारे, तत्काल उसके क्रोधकी शांति हो जायगी।
अघोरी साधु का अघोर तन्त्र Book PDF
Name | Aghori Sadhu Ka Aghor Tantra |
Publisher | Randhir Prakashan, Haridwar |
Author | Kanhaiyalal Nishaad |
Language | Hindi |
ISBN | 9788194065012 |
Pages | 184 |
Category | Tantra Mantra |
Download Status | Available Soon |
अघोरी कौन है?
अघोरी साधु को औघड़ भी कहा जाता है। “अघोरी” उसे कहा जाता है जिसके भीतर अच्छे-बुरे, सुख-दुःख, प्रेम-द्वेष, ईर्ष्या-मोह जैसे समस्त भाव नष्ट हो चुके हों।
पहली बार अघोरी तन्त्र की यह पुस्तक अघोरी बाबा के आशीर्वाद से ही प्रकाशित हुई है। इसमें दिये गये मन्त्र, साधना व टोटके अघोरी साधु की अनुमति से ही प्राप्त हुए है।
ये अघोरी टोटके एवं साधना के प्रयोग इससे पूर्व कहीं भी एकत्रित रूप से प्रकाशित नही हुए हैं। अघोरी पंथ का परिचय एवं अघोरियों द्वारा प्रयोग किए जाने वाले अघोर मन्त्रों का संकलन इस पुस्तक की विशिष्टता है।
पुस्तक का अंश: हाथ में लोहे या ताँबे का छल्ला पहनाने, गले में चन्द्रमा या सूरज बनाकर पहनाने से या रीठे के फल को छेदकर पहनाने से नजर, टोटका, भूत-प्रेत आदि का प्रभाव बच्चे पर नहीं पड़ता है। स्मरण रखें चन्द्रमा या सूरज मामा ही लाकर देवें।
अघोर साधना सिद्धि (सुरेंद्र नाथ) Book PDF
Name | RZZ658 |
Publisher | Saurabh Bhansali |
Author | Surendranath |
Language | Hindi |
Edition | 2015 |
Pages | 400 |
Cover | PAPERBACK |
Category | Tantra Mantra |
Download Status | Avilable Soo |
सुरक्षा का मंत्र
छोटी-मोटी थमंत वार को वार बाँधे पार को पार बाँधे मरघट मसान बाँधे, टोना और अंबर बाँधें, जादू वीर बाँधें, दीठ और मूठ बाँधे, बिच्छू और साँप बाँधे, भेड़िया और बाघ बाँधे, लखुरी-सिथार बाँधे, अरूसी-अरूसी दोष बाँधे, कालिका-लिलार बाँधे योगिनी संहार बाँधे, ताड़िया कलेज बाँधे, उतर-दक्षिण-पूर्व-पश्चिम बाँधे अरी मसानी बाँधे और डायन भूत के गुण बाँधे लाईल्लाह को कोट ईल्लाललाह की खाई, मुहम्मद रसुल्लिलाह की चौकी हजरत अली की दुहाई ।।
विधि: उपरोक्त रक्षा मंत्र को साधक सूर्यग्रहण पर अनगिनत जप करके सिद्ध करें। अपने सामने धूप दीप जलाकर या फिर कलि चौदश (नरक चतुर्दशी) की रात्रि में 1008 बार मंत्र जाप करने सिद्ध कर लें। इस मंत्र के सिद्ध हो जाने के उपरान्त समस्त प्रकार से यह मंत्र रक्षा करता है।
जंगल या श्मशान के आस-पास से जाना पड़े तो सात बार जाप करके जायें तो साधक की रक्षा होगी तथा किसी भी तंत्र-मंत्र साधना में भी इसका उपयोग कर सकते हैं अपनी सुरक्षा हेतु। साधक साधना आरम्भ से पहले 21 बार जाप करें तो रक्षा होती है और सात बार मंत्र जपते हुये रक्षा घेरा भी निकाल सकते हैं, घेरा चाकू द्वारा खींचे। इससे साधक सुरक्षित रहता है, यह सिद्ध मंत्र है अवश्य लाभ मिलता है।
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