आगरा (Agra): History & Tourist Places in Hindi
Agra History & Tourist places: ताज की नगरी आगरा (agra) सिर्फ उत्तर प्रदेश का ही नहीं बल्कि भारत का गौरव है। अपनी ऐतिहासिक इमारतों के लिए मशहूर यह शहर देश-विदेश के बीच लोकप्रिय पर्यटक स्थल के रूप में जाना जाता है। सुप्रसिद्ध ताजमहल यही पर स्थित है। इस स्थान पर अकबर ने अपनी राजधानी भी बसाई थी लेकिन बाद में उन्होंने इसे छोड़ दिया।
आगरा: ताज की नगरी

नाम | आगरा |
राज्य | उत्तर प्रदेश |
क्षेत्रफल | 4,027 वर्ग किमी |
तापमान | 12 से 25 (सर्दी) 35 से 44 (गर्मी) |
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घूमने के लिए उपयुक्त समय | नवम्बर से मार्च. |
आगरा के प्रमुख पर्यटन स्थल (Best Place To Visit in Agra)
आगरा, भारत के सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है। विश्व के 7 आश्चर्यो में शामिल “ताजमहल” यहां का प्रमुख आकर्षण है। इसके अलावा आगरा का किला और फतेहपुर सीकरी में सलीम चिश्ती की दरगाह मुख्य है।
1. ताजमहल (Tajmahal)
आगरा का वर्णन ताजमहल के बिना अधूरा ही माना जाता है। बहुत से लोग तो ताजमहल के कारण ही आगरा को जानते हैं। ताजमहल को मुगलों द्वारा बनवाई गई सर्वश्रेष्ठ स्मारक माना जाता है।
1983 में इसे यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची का हिस्सा बनाया गया। उस्ताद अहमद लाहौरी को ताजमहल का प्रधान शिल्पकार माना जाता हे। इसके बारे में कहा जाता है इसकी बनावट और सजावट पर इतिमद-उद-दौला के मकबरे का प्रभाव पड़ा है।
दुनिया के सात अजूबों में शामिल ताजमहल को मुगल सम्राट शाहजहां ने अपनी प्रिय पत्नी मुमताज महल की याद में बनवाया था। यमुना नदी के तट पर स्थित प्रेम की इस निशानी को बनाने में लगभग 20 वर्ष का समय लगा था।
1631 में ताजमहल का निर्माण कार्य शुरू हुआ था और 1653 में कहीं जाकर यह पूरी तरह से बनकर तैयार हो सका। इसे बनवाने के लिए राजस्थान के मकराना से सफेद संगमरमर मंगवाया गया था। इसकी नींव और दरवाजों पर लगे बलुआ पत्थरों को फतेहपुर सीकरी से मंगवाया गया था।
ताजमहल में की गई बेहद बारीक नक्काशी और सजावट जैसा अन्य उदाहरण मिलना संभव नहीं है। इसमें की गईं फूल और पत्तियों की नक्काशियां एकदम सजीव प्रतीत होती हैं। इसकी सजावट में अनेक बहुमूल्य रत्नों का भी प्रयोग किया गया है।
कहा जाता है कि ताजमहल जैसा खूबसूरत स्मारक कहीं और न बन सके इसलिए शाहजहां ने इसके कारीगरों के हाथ कटवा दिए थे और जीवन भर उनके परिवार का पालन पोषण किया था। 42 एकड में फैले इस भव्य इमारत को देखने के लिए दुनियाभर से लोगों का आना जाना लगा रहता है।
चांदनी रात में इसकी सुंदरता में और निखार आ जाता है। ताजमहल के निचले तल में मुमताज महल की कब्र बनी है। बाद में शाहजहां की कब्र को भी यहां बनाया गया।
2. आगरा का किला (Agra Fort)
अकबर सबसे प्रमुख मुगल शासक था। उसके शासनकाल में आगरा को अकबरबाद का नाम से पुकारा जाता था। उसने लोदी किले के स्थान पर नई शैली का आगरा किला बनवाया। इस किले का निर्माण सैन्य उद्देश्य से 1565 ईसवी में किया गया था।
शहर के बीच में स्थित यह किला ताजमहल के बाद आगरा का सबसे प्रमुख पर्यटक स्थल है। वैसे तो इस किले का बनाने का मकसद सैन्य था, लेकिन अपने शासनकाल में शाहजहां ने इसका एक हिस्सा महल में बदल दिया था। अमर सिंह दरवाजा आगरा किले में प्रवेश का एकमात्र द्वार है। यहां से ताज का मनमोहक नजारा दिखाई देता है।
किले में अंदर आज भी मुगल काल को महसूस किया जा सकता है। इसी किले में औरंगजेब से अपने पिता शाहजहां को सात सालों तक कैद रखा। किले में कई खूबसूरत कमरे और पेवेलियन हैं जिनमें से दीवान-ए-आम और दीवाने-ए-खास सबसे महत्वपूर्ण हैं।
इसके अलावा किले में कुछ सुंदर मस्जिदें और महल भी हैं जिनमें से अधिकांश का निर्माण शाहजहां ने करवाया था। इनमें से शीश महल और खास महल की खूबसूरती देखते ही बनती है। अंगूरी बाग की सैर करना न भूलें जो आंखों को बहुत सुकून पहुंचाता है। संगमरमर से बना मुसम्मान बुर्ज भी दर्शनीय है। यहीं से ताजमहल को देखतें हुए शाहजहां ने अपने अंतिम दिन व्यतीत किए थे। आगरा किले के अंदर कुछ प्रमुख स्मारक इस प्रकार हैं:
दीवान-ए-आम (Diwan-i-Aam)
इस ढ़ांचें का निर्माण मूल रूप से लकड़ी से किया गया था लेकिन बाद में शाहजहां से उसे वर्तमान रूप प्रदान किया। इसपर शाहजहां शैली के प्रभाव को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है जो संगमरमर पर की गई फूलों की नक्काशी से पता चलती है। इस कमरे में राजा आम जनता की फरियाद सुनते थे और अधिकारियों से मिलते थे। दीवान-ए-आम से एक रास्ता नगीना मस्जिद और महिला बाजार की ओर जाता है जहां केवल महिलाएं ही मुगल औरतों को सामान बेच सकती थीं।
दीवान-ए-खास (Diwan-i-Khas)
यह कमरा केवल निजी लोगों के लिए था। इसका निर्माण भी शाहजहां ने करवाया था। यह कमरा दो हिस्सों मे बंटा हुआ है जो तीन बुर्जों से आपस में जुड़ा हुआ है। यहीं से प्रसिद्ध मयूर सिंहासन को औरंगजेब दिल्ली ले गया था जो बाद में इरान ले जाया गया।
यही वह जगह है जहां औरंगजेब की कैद में शाहजहां ने अपनी जिंदगी के आखिरी सात साल बिताए। माना जाता है कि यहां से ताज का सबसे सुंदर नजारा दिखाई पड़ता है जो अधिक प्रदूषण के कारण अब अधिक स्पष्ट नहीं होता।
समय: सूर्योदय से सूर्यास्त। शो टाइम: अंग्रेजी में शाम 7.30, हिंदी में रात 8.30 बजे।
चीनी का रौजा (Chini Ka Rauza)
यह मकबरा शिराज के अल्लमा अफजल खल मुल्लाह शुक्रुल्लाह को समर्पित है। शुक्रुल्लाह मश्हूर पारसी कवि और विद्वान थे जो बाद में शाहजहां के प्रधानमंत्री भी बने। 1635 में बनी इस खूबसूरत मकबरे का नाम इसको बनाने में इस्तेमाल हुए पत्थरों के नाम पर पड़ा। यह मकबरा उस समय मुगल वास्तुशिल्प पर पारसी प्रभाव का दर्शाता है।
इतिमद-उद-दौला से एक किमी. से भी कम दूरी पर स्थित इस इमारत के ऊपर गोलाकार गुंबद है। इसे देखकर बताया जा सकता है कि यह आगरा की एकमात्र पारसी इमारत है। गुंबद की भीतरी छत पर तस्वीरों और इस्लामिक लिखावट के चिह्न देखे जा सकते हैं। गुंबद के ऊपर कुराने की कुछ आयतें खुदी हुई हैं।
फतेहपुर सीकरी (Fatehpur Sikri)
आगरा से 37 किमी. दूर फतेहपुर सीकरी का निर्माण महान मुगल सम्राट अकबर ने कराया था। एक सफल राजा होने के साथ-साथ वह कलाप्रेमी भी था। 1570-1585 तक फतेहपुर सीकरी मुगल साम्राज्य की राजधानी भी रहा।
इस शहर का निर्माण अकबर ने स्वयं अपनी निगरानी में करवाया था। अकबर नि:संतान था। संतानप्राप्ति के सभी उपाय असफल होने पर उसने सूफी संत शेख सलीम चिश्ती से प्रार्थना की। इसके बाद पुत्र जन्म से खुश और उत्साहित अकबर ने यहां अपनी राजधानी बनाने का निश्चय किया। लेकिन यहां पानी की बहुत कमी थी इसलिए केवल 15 साल बाद ही राजधानी को पुन: आगरा ले जाना पड़ा।
फतेहपुर सीकरी हिंदू और मुस्लिम वास्तुशिल्प के मिश्रण का सबसे अच्छा उदाहरण है। फतेहपुर सीकरी मस्जिद के बारे में कहा जाता है कि यह मक्का की मस्जिद की नकल है और इसके डिजाइन हिंदू और पारसी वास्तुशिल्प से लिए गए हैं। मस्जिद का प्रवेश द्वार 54 मीटर ऊंचा बुलंद दरवाजा है जिसका निर्माण 1570 में किया गया था। मस्जिद के उत्तर में शेख सलीम चिश्ती की दरगाह है जहां नि:संतान महिलाएं दुआ मांगने आती हैं।
आंख मिचौली, दीवान-ए-खास, बुनंद दरवाजा, पांच महल, ख्वाबगाह, अनूप तालाब फतेहपुर सीकरी के प्रमुख स्मारक हैं।
जामा मस्जिद, आगरा (Jama Masjid, Agra)
जामा मस्जिद का निर्माण 1571 में अकबर के शासनकाल के दौरान हुआ था। फतेहपुर सीकरी का निर्माण इसी मस्जिद के आसपास हुआ था इससे मस्जिद के महत्व का पता चलता है। मस्जिद का बरामदा बहुत बड़ा है और इसके दोनों ओर जम्मत खाना हॉल और जनाना रौजा हैं।
जामा मस्जिद से सूफी शेख सलीम चिश्ती की मजार पर नजर पड़ती है जो कलाकारी का अद्भुत नमूना है। पूरी जामा मस्जिद खूबसूरत नक्काशी और रंगीन टाइलों से सजी हुई है। बुलंद दरवाजे से होते हुए जामा मस्जिद तक पहुंचा जा सकता है। इसके अलावा यहां बादशाही दरवाजा भी है। इसकी खूबसूरती भी देखते ही बनती है।
बुलंद दरवाजा (Buland Darwaza)
बुलंद दरवाजा फतेहपुर सीकरी का विशाल द्वार है जिसका निर्माण अकबर ने 1573 में करवाया था। यह अकबर की गुजरात पर जीत के प्रतीक के रूप में बनाया गया था। बुलंद दरवाजे की कुल ऊंचाई 40 मीटर है। इस इमारत को फतेहपुर सीकरी से कुछ दूरी से देखा जा सकता है।
इस खूबसूरत इमारत का निर्माण लाल पत्थरों से किया गया है जिसे सफेद संगमरमर से सजाया गया है। दरवाजे के आगे और स्तंभों पर कुरान की आयतें खुदी हुई हैं। बुलंद दरवाजा अकबर की धार्मिक सहिष्णुता का प्रतीक है। कुछ शिलालेख ईसा मसीह को समर्पित किए गए हैं।
इनमें कहा गया है कि ये दुनिया एक पुल है जिससे पर तो जाओ पर उसपर घर मत बनाओ। बुलंद दरवाजा जामा मस्जिद का प्रवेश द्वार है। कुल मिलाकर कहें तो यह ऐतिहासिक दरवाजा सर्वश्रेष्ठ मुगल स्मारकों में से एक है।
अकबर का मकबरा, सिकंदरा (Tomb of Akbar, Sikandra)
आगरा से चार किमी. की दूर सिकंदरा में अकबर का मकबरा स्थित है। सिकंदरा का नाम सिकंदर लोदी के नाम पर पड़ा हैं। इस मकबरे का निर्माण कार्य स्वयं अकबर ने शुरु करवाया था। लेकिन इसके पूरा होने से पहले ही अकबर की मृत्यु हो गई। बाद में उनके पुत्र जहांगीर ने इसे पूरा करवाया।
जहांगीर ने मूल योजना में कई परिवर्तन किए। इस इमारत को देखकर पता चलता है कि मुगल कला कैसे विकसित हुई। मकबरे के चारों कोनों पर तीन मंजिला मीनारें हैं। ये मीनारें लाला पत्थर से बनी हैं जिन पर संगमरमर का सुंदर काम किया गया है।
मकबरे के चारों ओर खूबसूरत बगीचा है जिसके बीच में बरादी महल है जिसका निर्माण सिकंदर लोदी ने करवाया था। सिकंदरा से आगरा के बीच में अनेक मकबरे हैं और दो कोस मीनार भी हैं। पांच मंजिला इस मकबरे की खूबसूरती आज भी बरकरार है।
इतिमद-उद-दौला का मकबरा (Itmad-ud-Daula)
इतिमद-उद-दौला का मकबरा नूरजहां के पिता मिर्जा गियास बेग को समर्पित है। इतिमद-उद-दौला उनकी उपाधि थी। यमुना नदी के किनारे स्थित इस मकबरे का निर्माण 1625 ईसवी में किया गया था। बेबी ताज के नाम से मशहूर इस मकबरे की कई चीजें ऐसी हैं जिन्हें बाद में ताजमहल बनाते समय अपनाया गया था। लोगों का
कहना है कि कई जगह यहां की नक्काशी ताजमहल से भी ज्यादा खूबसूरत लगती है। इस मकबरे एक अन्य आकर्षण मध्य एशियाई शैली में बना इसका गुंबद है। यहां के बगीचे और रास्ते इसकी सुंदरता को और भी बढ़ाते हैं।
यह मकबरा भारत में बना पहला मकबरा है जो पूरी तरह सफेद संगमरमर से बनाया गया था। इसकी दीवारों पर पेड़ पौधों,जानवरों और पक्षियों के चित्र उकेरे गए हैं। कहीं कहीं आदमियों के चित्रों को भी देखा जा सकता है जो एक अनोखी चीज है क्योंकि इस्लाम में मनुष्य का सजावट की चीज के रूप में इस्तेमाल करने की मनाही है। अपनी खूबसूरती के कारण यह मकबरा आभूषण बक्से के रूप में जाना जाता है।
आगरा में क्या खाए और क्या खरीदे?
आगरा का खानपान: आगरा का भोजन बहुत प्रसिद्ध है। विशेष तौर पर आगरे का पेठा। इसके साथ-साथ यहां बहुत अच्छे-अच्छे होटल भी हैं। ताज के पास एक बाजार लगता है। जहां आप स्वादिष्ट बिरयानी और कबाब का लुत्फ उठा सकते हैं। इस बाजार में स्थानीय व्यंजनों के अलावा अन्तर्राष्ट्रीय व्यंजन भी आसानी से उपलब्ध हैं।
आगर का पेठा बहुत प्रसिद्ध है यह दो स्वादों मे उपलब्ध है। इसके लिए सदर बाजार की पांच पेठा और जोहरी बाजार की केदारनाथ फूल चन्द पेठावाला की दुकान प्रसिद्ध है।
आगरा से क्या खरीदे: अपनी यात्रा को यादगार बनाने के लिए आप वहां खरीदारी कर सकते हैं। आगरा में अच्छे कालीन मिलते हैं। आगरा की मार्बल से बनी चीजें भी बहुत प्रसिद्ध है। यहां उच्च कोटि की वस्तुएं मिलती हैं। इनकी कीमत बहुत ज्यादा होती है। इन चीजों को खुदरा में बेचना टेढ़ी खीर है क्योंकि इनकी कीमत बहुत ज्यादा होती है।
स्थानीय बाजारों में इनके खरीदार बहुत कम होते हैं। आगरा में चमडे की चीजें भी बनाई जाती हैं जसे बेल्टें, जुते, बैग्स आदि। इन चीजों का निर्यात विदेशों में किया जाता है। टुर ऐजेंसी चलाने वाली की अनेक दुकानदारों से सांठ-गांठ होती है जो पर्यटकों से ज्यादा पैसे ऐंठने की फिराक में रहते हैं।
आगरा कैसे पहुंचे (How To Reach Agra)
आगरा, मथुरा से 56 किमी, दिल्ली से 203 किमी. दूर, लखनऊ से 365 किमी. दूर स्थित है।
वायु मार्ग: दिल्ली से आगरा तक सीधी विमान सेवा है जो आपको खेडिया हवाई अड्डे पर पहुंचा देती है। एलियांस विमान सेवा सप्ताह में तीन दिन वहां के फेर लगाती है।
रेल मार्ग: आगरा के सबसे समीप चार स्टेशन हैं आगरा कैंट, आगरा फोर्ट, ईदगाह आगरा जंक्शन और राजा की मंडी। आगरा में भारत और विदेशों से सबसे ज्यादा पर्यटक आते है। मुंबई से आगरा के लिए प्रतिदिन चार रेल हैं। कोलकाता से प्रतिदिन तुफान एक्सप्रेस सुपरफास्ट ट्रेन आगरा पहुंचती है।
सडक मार्ग: आगरा सड़क मार्ग द्वारा भी देश के विभिन्न भागों से जुड़ा हुआ है। दिल्ली से आगरा तक अच्छी बस सेवा है। अपने वाहन से भी यहां पहुंचा जा सकता है। कलकता से आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग 2 से जुड़ा हुआ है। आगरा पहुंचने के लिए पहले लखनऊ पहुंचिए वहां से कानपुर 77 किमी. की दूरी पर है वहां से आगरा पहुंचने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग 2 पर दायीं तरफ मुडिए।