Alappuzha (Kerala):History & Places To Visit in Hindi
आलप्पुझा (Alappuzha) भारत के केरल राज्य में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है। आलप्पुझा लक्षद्वीप सागर के किनारे बसा हुआ है। आलप्पुझा को बैकवाटर में रूचि रखने वाले सैलानियों का स्वर्ग कहा जा सकता है।
Alappuzha: History & Tourist Places in Hindi | wiki
राज्य | केरल |
क्षेत्रफल | 46.2 वर्ग किमी |
भाषा | मलायलम, हिंदी और इंग्लिश |
दर्शनीय स्थल | कृष्णापुरम पैलेस, पाथीरामानल, अंबालापुज्जा श्रीकृष्ण मंदिर, मन्नरसाला नागराज मंदिर, सेंट एन्ड्रयूज चर्च, अरथुंकल आदि। |
सम्बंधित लेख | केरल के प्रमुख पर्यटन स्थल |
कब जाएं | अक्टूबर से मई। |
प्रारंभ में अलिप्पे के नाम से महशूर आलप्पुझा बैकवाटर में रूचि रखने वाले सैलानियों का स्वर्ग कहा जा सकता है। पूर्व के वेनिस के नाम से विख्यात केरल का यह खूबसूरत शहर झीलों, लैगून और अनेक नदियों से सम्पन्न है। पश्चिम में फैला विस्तृत अरब सागर इसकी सुंदरता में और बढ़ोत्तरी कर देता है।
केरल का यह महत्वपूर्ण बैकवाटर पर्यटन केन्द्र अगस्त माह में आयोजित होने वाली नेहरू ट्रॉफी बोट रेस के लिए भी काफी चर्चित रहता है। वर्तमान में आलप्पुझा नारियल जटा, कोपरा और नारियल के तेल का प्रमुख उत्पादन केन्द्र है। एक बार यहां आने वाले पर्यटन इसकी यादों को जीवनभर नहीं भुला पाते।
कृष्णापुरम पैलेस (Krishnapuram Palace)
यह पैलेस 18वीं शताब्दी में त्रावणकोर के राजा मार्तंड वर्मा द्वारा बनवाया गया था। इस दोमंजिले महल में केरल वास्तुकारी की झलक देखी जा सकती है। महल में बने गजेन्द्र मोक्षम नामक भित्तिचित्रों को केरल के सबसे विशाल और लोकप्रिय भित्तिचित्रों में शुमार किया जाता है।
महल में एक म्युजियम भी बना हुआ है, जहां बहुमूल्य प्राचीन वस्तुओं को देखा जा सकता है। यह महल आलप्पुझा से 4 किमी. दूर आलप्पुझा-कोल्लम रूट पर स्थित है। महल सोमवार के अतिरिक्त प्रतिदिन सुबह 9 से शाम 5 बजे तक खुला रहता है।
पाथीरामानल (Pathiramanal)
पाथीरामानल एक द्वीप है जो वेम्बानद झील पर बना है। कुमारकोम या मुहम्मा से यहां नाव द्वारा पहुंचा जा सकता है। आलप्पुझा से भी लगभग डेढ़ घंटे में नाव के माध्यम से इस द्वीप तक पहुंचा जा सकता है। नाव की यह यात्रा पर्यटकों के लिए काफी यादगार होती है। द्वीप और नाव के वेम्बानद झील की खूबसूरती को करीब से देखा जा सकता है।
अंबालापुज्जा श्रीकृष्ण मंदिर (Ambalapuzha Krishna Temple)
आलप्पुझा से 16 किमी. की दूरी पर स्थित इस मंदिर का संबंध गुरूवयूर श्रीकृष्ण मंदिर से है। पालपयासन के लिए लोकप्रिय यह मंदिर का अपना एक ड्रामा हाउस है। यह मंदिर ओट्टमथुल्लल नामक कला का जन्मस्थल माना जाता है। इस कला का सबसे पहले प्रदर्शन प्रसिद्ध कवि कुजन नांबियार ने 16वीं शताब्दी में किया था। मार्च-अप्रैल के महीने में मंदिर का मुख्य पर्व आयोजित किया जाता है।
मन्नरसाला नागराज मंदिर (Mannarasala Nagraj Temple)
इस मंदिर में स्थापित नागराज की मूर्ति को भगवान विष्णु और शिव का अंश माना जाता है। यह केरल के सबसे प्रमुख मंदिरों में एक है जहां सर्पों की पूजा की जाती है। आलप्पुझा से 35 किमी. दूर हरिपद नगर के समीप यह मंदिर आलप्पुझा-कोल्लम रूट पर स्थित है। मन्नरसाला इलयम यहां का लोकप्रिय पर्व है।
माना जाता है मंदिर के पवित्र हल्दी के लेप से कुष्ठरोग ठीक हो जाता है। मन्नरशाला परिवार की महिलाएं इस मंदिर में पूजा करती हैं, जिन्हें अम्मा कहा जाता है। मंदिर से जुड़ी एक मान्यता यह भी है कि इसकी प्रथम पुजारिन को जो पुत्र हुआ, उसका मुंह सर्प का था जिसे इस परिवार का रक्षक माना जाता है।
सेंट एन्ड्रयूज चर्च, अरथुंकल (St. Andrew’s Church Arthunkal)
चेरथला के निकट स्थित यह चर्च आलप्पुझा से 22 किमी. दूर है। इस चर्च का निर्माण एक पुर्तगाली संत द्वारा करवाया गया था। जनवरी माह में यहां एक उत्सव आयोजित किया जाता है। केरल के प्रमुख ईसाई तीर्थस्थल के रूप में विख्यात इस चर्च का इतिहास सहनशीलता, विश्वास और दया के उदाहरणों से भरा पड़ा है।
चंपाकुलम (Champakulam)
चंपाकुलम जुलाई माह में होने वाली नौका दौड़ के लिए प्रसिद्ध है। स्टार मूलम में आयोजित होने वाली दौड़ को चंपाकुलम मूलम नौका दौड़ के नाम से जाना जाता है। इस अवसर पर नावों को काफी सुंदरता से सजाया जाता है। नौका दौड़ की यह परंपरा यहां कई शताब्दियों से चली आ रही है।
लपुज्जा बीच (Alappuzha Beach)
यह बीच केरल के बेहद आकर्षक बीचों में एक है। पिकनिट के तौर पर यहां वक्त गुजारना लोगों को काफी पसंद आता है। पर्यटकों के मनोरंजन के लिए निकट ही विजय बीच पार्क है। साथ ही एक लाइटहाउस भी है। यहां के सी व्यू पार्क में बोटिंग और स्वीमिंग की व्यवस्था है। बीच के एक छोर पर केरल की पहचान बताते ताड़ के पेड़ों का झुंड यहां के वातावरण को और आकर्षक बना देता है।
चेत्तीकुलंगर भगवती मंदिर (Chettikulangara Bhagwati Temple)
यह मंदिर भगवान परशुराम द्वारा स्थापित पांच मंदिरों में विशिष्ट स्थान रखता है। चेत्तीकुलंगर में स्थित यह मंदिर कायमकुलम से 8 किमी. की दूरी पर है। वर्तमान में इस मंदिर पर त्रावणकोर देवसवोम बोर्ड का नियंत्रण है।
सबरीमाला मंदिर के बाद त्रावणकोर बोर्ड के अधीन इस मंदिर को ही सबसे अधिक राजस्व प्राप्त होता है। माना जाता है कि यह मंदिर 1200 साल पुराना है, लेकिन इस तथ्य के ऐतिहासिक प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं। केट्टूकजछा और कुथीयोट्टम पर्व बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है।
नेहरू ट्रॉफी बोट रेस (Nehru Trophy Boat Race)
पुन्नामद बैकवाटर में आयोजित होने वाली इस बोट रेस को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग एकत्रित होते हैं। इस बोट रेस का आयोजन हर वर्ष अगस्त माह के दूसरे शनिवार को होता है। 1952 में इस बोट रेस की शुरूआत हुई थी और जीतने वाले को जवाहर लाल नेहरू ने ट्रॉफी प्रदान की थी। इसलिए इस रेस में दी जाने वाली ट्रॉफी को नेहरू ट्रॉफी का नाम दिया जाने लगा।
हरिपद सुब्रमण्य स्वामी मंदिर Haripad Subramanya Temple)
आलप्पुझा से 51 किमी. दूर कोल्लम-आलप्पुझा रोड़ पर यह मंदिर स्थित है। केरल के सबसे प्राचीन और महत्वपूर्ण सुब्रमण्य मंदिरों में इसकी गणना की जाती है। मंदिर में स्थापित चार भुजाओं वाले देव की मूर्ति इस तरह की मूर्तियों में सबसे विशाल और अनूठी है। माना जाता है परशुराम इस मंदिर में पूजा किया करते थे। तवादियट्टन नृत्य और कवड़ी यहां के अन्य मुख्य आकर्षण हैं।
इदाथुआ चर्च (Edathua Church)
सेन्ट जॉर्ज को समर्पित इस चर्च की स्थापना 1810 ई. में की गई थी। माना जाता है कि इस चर्च में प्रार्थना करने से हर प्रकार का मानसिक असंतुलन और अन्य बीमारियां ठीक हो जाती हैं। 5, 6, और 7 मई को होने वाले वार्षिक पर्व के अवसर दक्षिण भारत से हजारों श्रद्धालु यहां महात्मा का आशीर्वाद लेने आते हैं। यह चर्च आलप्पुझा से 24 किमी. दूर आलप्पुझा-थिरूवल रोड़ पर स्थित है।
आलप्पुझा कैंसे पहुंचे (How To Reach Alappuzha)
वायु मार्ग– कोचीन यहां का निकटतम एयरपोर्ट है, जो 64 किमी. दूर उत्तर में स्थित है। यहां से 159 किमी. की दूरी पर त्रिवेन्द्रम अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा दूसरा निकटतम एयरपोर्ट है। देश के प्रमुख शहरों से यह एयरपोर्ट जुड़े हुए हैं।
रेल मार्ग- आलप्पुझा को हाल ही में रेल मार्ग से जोड़ा गया है। यहां का निकटतम एयरपोर्ट सेन्ट्रल बस स्टैंड से 5 किमी. की दूरी पर है। चैन्नई, बोकारो आदि शहरों से यहां के लिए ट्रेनें चलती हैं।
सड़क मार्ग– आलप्पुझा राष्ट्रीय राजमार्ग 47 पर पड़ता है। यह राजमार्ग दक्षिण भारत के अनेक बड़े शहरों से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। राज्य परिवहन निगम की अनेक बसें इसे अन्य शहरों से जोड़ती हैं।