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Holi Festival: होली कथा, मुहूर्त एवं पूजन विधि

Byvashi Vrat Tyohar
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Holi Festival 2025: होली, हिंदुओ का एक प्रमुख त्योहार है। यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस साल होलिका दहन 13 मार्च को मनाया जाएगा। जानिए, होलिका कथा, मुहूर्त एवं पूजन विधि..


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  • होली क्या है? (What is Holi)
  • होली क्यों मनाया जाता है? (Why is Holi celebrated in Hindi)
    • होली का पौराणिक कारण
    • होली का सामाजिक कारण
  • ब्रज की होली होती है सबसे खास
  • 2025 में होलिका दहन मुहूर्त कब है? (Holika Dahan Muhurta in 2025?)
  • होलिका दहन की पूजा विधि क्या है (Holika Dahan 2025 Puja Vidhi in Hindi)
  • Holi Festival (Summary)
  • Holi festival dates between 2024 & 2032

होली क्या है? (What is Holi)

होली भारत और नेपाल में मनाया जाने वाला हिंदुओ का एक प्रमुख त्योहार है। यह हर वर्ष फरवरी या मार्च के महीने में मनाया जाता है। होली के पूजन में, लोग खुशी और उत्साह से अपने घरों, मंदिरों और मैदानों को रंगों से सजाते हैं। एक दूसरे को रंगों से पुलकित करते हैं और संगीत, नृत्य और खेल के माध्यम से उत्सव मनाते हैं।

होली भारतीय हिन्दू समाज का एक महान पर्व है कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक गुजरात से लेकर बंगाल तक हर प्रदेश में, हर जनपद में होली मनाई जाती है।

होली के दिन, लोग अपने घरों, मंदिरों और मैदानों को रंगों से सजाते हैं। वे अपने परिवार और मित्रों के साथ मिठाईयों, संगीत, नृत्य और खेलों के माध्यम से उत्सव मनाते हैं।

होली का त्योहार प्रमुख रूप से 2 दिन में बटा हुआ है।

  • होली (रंग खेलना)
  • होलि दहन

होली फागुन की पूर्णमासी की रात में जलाई जाती है। कहा जाता है कि इसी दिन भगवान विष्णु ने प्रह्लाद की होलिका से रक्षा की थी। इसी दिन को प्रतीक के रूप में होली जलाया जाता है।

अगले सवेरे प्रतिपदा होती और चैत्र का महीना आरम्भ हो जाता है। सवेरा होते ही रंग का खेलना शुरू हो जाता है। एक दूसरे पर रंग डाला जाता है। गुंजियाँ, मीठे पकवान मेहमानों को बांटे और खिलाये जाते है। इस त्योहार में दुश्मन भी आकर गले लग जाता हैं।


होली क्यों मनाया जाता है? (Why is Holi celebrated in Hindi)

Why is Holi celebrated: होली से सदियों का नहीं, युगों का इतिहास जुड़ा है। यह हिंदुओ के प्राचीनतम त्योहारों में से एक है। होली बनाने का धार्मिक कारण होने के साथ साथ सामाजिक कारण भी रहा है।

होली का पौराणिक कारण

पौराणिक तत्थ के अनुसार हिरण्यकश्यप भक्त प्रह्लाद का पिता था। भक्त प्रह्लाद एक तरफ जहां भगवान विष्णु के परम भक्त थे, वही दूसरी और हिरण्यकश्यप ईश्वर को नहीं मनता था।

उसका कहना था कि ईश्वर मैं ही हूँ। भक्त प्रहलाद विष्णु भक्ति में ही लीन रहते थे। इसीलिए हिरण्यकश्यप उन्हे तरह-तरह की यातनायें देने लगा, उन्हे ऊंचे पहाड़ से फेंक दिया, सांप से भरे कमरे में छोड़ दिया, पागल हाथी के मध्य खड़ा कर दिया। लेकिन भगवान विष्णु ने उसे कुछ न होने दिया।

तब हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका से कहा कि तुम इस बालक को गोद में लेकर बैठ जाओ। तुम्हें अग्नि देवता का वरदान है, तुम जलोगी नहीं। मगर यह बालक जरूर जल जायेगा।

होलिका ने अपने भाई हिरण्यकश्यप की बात मान ली और प्रह्लाद को लेकर अग्नि में बैठ गयी। लेकिन भक्त प्रहलाद का कुछ भी अनिष्ट नहीं हुआ। और होलिका जलकर भस्म हो गई। इसी उपलक्ष में होली का त्योहार मनाया जाता है।

होली का सामाजिक कारण

सामाजिक दृष्टिकोण से यह होलिका त्योहार इसलिए मनाया जाता है कि जाड़े के मौसम के बाद गर्मी की ऋतु आती है। खेतों में अनाज पकने लगता है। पतझड़ की ऋतु वसंत में बदल जाती है। सभी पेड़ तथा पौधे हरित परिधान धारण कर लेते हैं। इसी खुशी में यह त्योहार मनाया जाता है।

ब्रज की होली होती है सबसे खास

हमारे देश में सबसे अच्छी होली उत्तर प्रदेश के ब्रज की होली को माना जाता है। राजस्थान की होली भी मशहूर है।पंजाब की होली भांगड़ा (विशेष प्रकार का नाच) के लिए प्रचलित है।

2025 में होलिका दहन मुहूर्त कब है? (Holika Dahan Muhurta in 2025?)

होलिका दहन मुहूर्त: इस साल होलिका दहन के दिन भद्रा का साया रहेगा। 13 मार्च सुबह 10 बजकर 4 मिनट से भद्रा की शुरुआत होगी और समापन उसी दिन रात 10 बजकर 30 मिनट पर होगा। यानी 13 मार्च को रात 10 बजकर 40 मिनट के बाद होलिका दहन कर सकते है।

सूर्योदय14 मार्च, 12:00 पूर्वाह्न
सूर्यास्त14 मार्च, शाम 6:31 बजे
फाल्गुन शुक्ल पक्ष पूर्णिमा13 मार्च, 10:36 पूर्वाह्न – 14 मार्च, 12:24 अपराह्न

होलिका दहन की पूजा विधि क्या है (Holika Dahan 2025 Puja Vidhi in Hindi)

होलिका दहन की पूजा के लिए सर्वप्रथम प्रातःकाल स्नान करके होलिका पूजा स्थल पर उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बैठ जाएं। इसके बाद पूजा के लिए गाय के गोबर के कंडे होली में रखें।

अक्षत, चंदन, रोली, हल्दी, पुष्प, सुपारी, गुलाल आदि से होलिका का पूजन करे। इसके बाद होलिका की तीन परिक्रमा करते हुए जल छोड़े। नारियल का गोला, गेहूं की बाली तथा चना को भूंज कर इसका प्रसाद वितरित करें।

पूजन सामग्री: होलिका पूजन में रोली, धूप, फूल, गुड़, हल्दी, बताशे, गुलाल, नारियल और गोबर से बने बड़कुले (कंडे) जैसी चीजें अर्पित की जाती है।


Holi Festival (Summary)

Holi is a Hindu spring festival, also known as the “Festival of Colors” or the “Festival of Love”, that is celebrated primarily in India and Nepal. It is celebrated on the full moon day in the Hindu month of Phalguna, which falls in February or March.

Holi is primarily a celebration of the arrival of spring, the end of winter, and the triumph of good over evil. It is also a time for people to come together, forget and forgive past conflicts, and repair broken relationships. People greet each other with colored powders, water, and sweets, and participate in a variety of cultural and religious events and rituals.

Holi also has a spiritual significance in Hinduism, as it is believed to commemorate the story of Lord Vishnu saving his devotee Prahlada from the evil intentions of his father, the demon king Hiranyakashipu. The burning of the effigy of Holika, the sister of Hiranyakashipu, symbolizes the triumph of good over evil and the victory of righteousness.


Holi festival dates between 2024 & 2032

YearDate
2025Friday, 14th of March
2026Tuesday, 3rd of March
2027Monday, 22nd of March
2028Saturday, 11th of March
2029Thursday, 1st of March
2030Wednesday, 20th of March
2031Sunday, 9th of March

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Post Tags: #Holi#Holi Festival#Vrat Tyohar

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