Ardra: आर्द्रा नक्षत्र की सम्पूर्ण जानकारी
Ardra Nakshtra: आर्द्रा नक्षत्र 27 नक्षत्र में से छठा नक्षत्र है। राशि पथ में आर्द्रा नक्षत्र की स्थिति 66.40 अंशों में 80.00 अंशों के मध्य मानी गयी है। यह राहू का नक्षत्र है और इस नक्षत्र का 1 तारा है।
आर्द्रा का शाब्दिक अर्थ: आर्द्रा संस्कृत शब्द, आर्द्र (अर्द + रक्) = गीला, नमीदार, सीला, हरा, रसीला, ताजा, मृदु, कोमल । आ + र्द्रा छठा । सूर्य जब आर्द्रा नक्षत्र पर होता है, तब पृथ्वी रजस्वला होती है, जिसे आर्तव या अम्बोबची कहते है।
इस नक्षत्र के चारों चरण मिथुन राशि के अंतर्गत होते हैं। चरणाक्षर हैं-कृ घ, ङ, छ है। आर्द्रा के चार चरणों के स्वामी निम्न हैं-
- प्रथम चरणः गुरु
- द्वितीय चरणः शनि
- तृतीय चरण: शनि
- चतुर्थ चरण गुरु
कलेश, दुख, अत्याचार, उत्पीडन, क्रोध, शक्ल की भयानकता, कोलाहल, डरावनापन सब आर्द्रा में आते है।
आर्द्रा नक्षत्र (पौराणिक मान्यता)
पौराणिक मान्यता अनुसार बृहस्पति देव की दूसरी पत्नी तराका के साथ है। तराका एक असुर है जिसे ब्रह्मा द्वारा अखंडनीयता का वरदान मिला हुआ है।
भगवान शिव एकादश रुद्र के रूप मे ऋषि कश्यप की पत्नी सुरभि के गर्भ से पृथ्वी पर अवतरित हुए। शिव एक ओर दयालुता तो दूसरी ओर रुद्र भयानकता के प्रतीक है, यही गुण आर्द्रा नक्षत्र में विद्यमान है।
विशेषताएँ
आर्द्रा मे जन्मा जातक तेज, बलवान, स्थिर, रोगी, भयभीत और क्रोधी होता है। ऐसे जातक प्रायः अपने जन्म-स्थल से दूर ही जीवन बिताते हैं। शीघ्र विवाह दुखदायी हो सकता है, जबकि विलम्ब से विवाह पूर्ण पारिवारिक सुख का संकेत करता है।
प्रस्तुत फल जन्म नक्षत्र के आधार पर है। कुंडली में ग्रह स्थिति अनुसार फल में अंतर संभव है। अतः किसी भी ठोस निर्णय में पहुंचने के लिए सम्पूर्ण कुंडली अध्यन आवश्यक है।