Ashlesha Nakshatra: अश्लेषा नक्षत्र की सम्पूर्ण जानकारी
Ashlesha Nakshatra: आश्लेषा भारतीय खगोल और ज्योतिष का 9 वा नक्षत्र है। आश्लेषा की राशिपथ में स्थिति 106.40 अंश से 120.00 अंशों के मध्य मानी गयी है। यह नक्षत्र कर्क राशि के अंतर्गत आता है, जिसका स्वामी चंद्र है। यह एक गण्ड नक्षत्र है, इसके 6 तारे है।
ज्योतिष के 27 नक्षत्रो मे सबसे डरावना व खौफनाक नक्षत्र है। किंतु यह उर्जा परिवर्तन, रचनात्मक का भी प्रतीक है। नक्षत्र के चरणाक्षर डी, डू, डे, डो है।
अश्लेषा का अर्थ: संस्कृत – आश्लेषः (आ+श्लिष् + षञ) का अर्थ आलिंगन, परिरम्भण होता है। इस नक्षत्र के देवता सर्प और ग्रह बुध है। इस नक्षत्र में पांच तारों की स्थिति मानी गयी है।
पुराणिक मान्यता
इसके देवता सर्प है। भारत में सांप को नाग देवता कहते है और श्रावण मास की पंचमी को नाग की पूजा करते है।
यह शेषनाग (विष्णु का सर्प / विष्णुशय्या) और वासुकी (शिव का सर्प) नामक दोनो सर्पो का जन्म नक्षत्र है। कलियुग का प्रारम्भ इसी नक्षत्र से हुआ है।
दुर्वासा के शाप वश देवताओ और बलि की प्रमुखता में दानवो ने मन्दराचल पर्वत और वासुकी सर्प रूपी मथनी से क्षीर सागर का मंथन किया था, इससे जडी-बुटी तथा 14 रत्न प्राप्त हुऐ।
विशेषताएँ
आश्लेषा नक्षत्र में जन्मे जातक भाग्यशाली, वाचाल, बुद्धिमानी एवं नेतृत्व की क्षमता युक्त होते है। यह एक गुप्त रहस्यमय नक्षत्र है। जातक मे विश्लेषण शक्ति की प्रबलता होती है।
- लक्ष्मण , शत्रुघ्न (रामायण)
- महात्मा गांधी (राष्ट्रपिता, भारत)
- जवाहर लाल नेहरु (प्रथम प्रधान मंत्री, भारत)
- इन्दिरा गांधी (प्रथम महिला प्रधान मंत्री, भारत).
- मदर टेरसा (नोबल शान्ति पुरस्कार, भारत रत्न),
- लिन्डन जानसन (अमेरीकन राष्ट्रपति),
- महारानी एलिजाबेथ (प्रथम और द्वितीय, इंगलैन्ड)
क्या करें क्या न करें?
अनुकूल कार्य: यह नक्षत्र प्रतियोगिता, सर्प पूजा, विष संबंधी कर्म, सजा, कारावास, कैद, प्रताडना, प्रेत बाधा निवारण के अनुकूल है।
प्रतिकूल कार्य: यह आयोजन शुरुआत (नीव रखना), व्यापार इत्यादि के लिए प्रतिकूल है।