रावण संहिता : Asli Prachin Ravana Samhita | Book Review & PDF [Hindi]
Ravana Samhita: रावण संहिता भारतीय ज्योतिष और तंत्र शास्त्र का एक प्राचीन और महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जिसका रचयिता लंका के राजा रावण माने जाते हैं। यह ग्रंथ तंत्र, मंत्र, ज्योतिष और आयुर्वेद से संबंधित गूढ़ रहस्यों और विधियों का संग्रह है।
रावण संहिता का इतिहास
शिवपुराण के अनुसार रावण के द्वारा उपदिष्टित विषयों को समय-समय पर उनका पुत्र मेघनाद ने संगृहित कर ‘रावणसंहिता’ के रूप में प्रकट किया था। रावण या मेघनाद के नाम से अनेक ग्रन्थ उपलब्ध होते हैं, जिनमें प्रमुख रूप से चातुर्ज्ञान, उड्डीशतन्त्र, कियोड्डीशतन्त्र, अर्कप्रकाश, कुमारतंत्र, रावणसंहिता आदि प्रसिद्ध हैं।
असली प्राचीन रावण संहिता: Ravana Samhita [PDF]
Title | रावण संहिता |
Publisher | मनोज |
Author | पंडित किसनलाल शर्मा |
Language | Sanskrit Text to Hindi Translation |
Page | 784 |
Size | 10MB |
Category | Tantra Mantra |
Download | Available |
Source | Archive |
कुछ विद्वानों ने रावण संहिता’ को प्रामाणिक मानने से इनकार किया है। वे इसकी तुलना’ भृगुसंहिता’ जैसे ग्रंथ से करते हैं। उनके अनुसार, जैसे ‘भृगुसंहिता’ का नाम लेकर कुछ गिने- चुने लोग अपने पास आने वालों को ठग रहे हैं, उसी तरह ‘रावण संहिता’ के नाम पर भी पाठकों को ठगा जा रहा है।
अस्तु! हमारा इस तरह का कोई पक्ष नहीं है। हमने तो उपलब्ध ‘रावण संहिता’ में दिए गए ज्ञान को ही और अधिक परिमार्जित करने का प्रयास किया है। इसमें रावण के जीवनवृत्त के शिवोपासना, तंत्र, चिकित्सा व फलित-ज्योतिष संबंधी जानकारी दी गई है।
रावण के जीवनवृत्त को मूल श्लोकों के साथ हमने प्रथम खंड में दिया गया है। द्वितीय खंड में ऐसी चर्चा करते समय प्रणव व पंचाक्षर मंत्र।साधना, लिंगस्थापना, शिवपूजन आदि विधियां दी हैं, ताकि शिवभक्तों को शिवोपासना की व्यावहारिक और सटीक जानकारी प्राप्त हो सके।
तंत्र-मंत्र साधना नामक तृतीय खंड में हमने तंत्र संबंधी विभिन्न विचारधाराओं का विशेष रूप से प्रतिपादन किया है। ग्रंथ के चतुर्थ खंड में विभिन्न प्रकार के अर्को की चर्चा की गई है। इसमें ऐसे रोगों का भी बखान है, जो नवजात शिशुओं व उनकी माताओं को हो सकते हैं। लक्षणों के साथ उपचार की भी चर्चा है।
पंचम खंड में ज्योतिष से संबंधित जानकारी को हमने सीमित रखा है। इससे पुस्तक के विस्तार का तो भय था ही, ऐसा भी लगता था मानो जबरदस्ती फलित- ज्योतिष के किसी ग्रंथ का पूरा भाग उठाकर रख दिया हो। कुछ विद्वानों की राय में यह ग्रंथ ज्योतिष का प्रतिपादन करने वाला ग्रंथ है।
इसीलिए उन्होंने इसकी तुलना ‘भृगुसंहिता’ से की है। लेकिन विदित हो कि ज्योतिष, हस्तरेखा और सामुद्रिक शास्त्र का ज्ञान रावण को सूर्य के सारथी अरुण ने दिया था, जो ‘लाल किताब’ के रूप में आज हिंदी में उपलब्ध है। ज्योतिष खंड में इसीलिए हमने सिर्फ कुछ विशेष योगों को लिया है।
हम केवल पाठकों की सुविधा के लिए इंटरनेट पर उपबंध पुस्तकों का लिंक साझा करते हैं, किसी PDF का निर्माण नही करते। हम कॉपीराइट नियमो का सख्ती से पालन करते हैं और आपको भी ऐसा करने की सलाह देते हैं।
किसी भी प्रकार की सलाह, शिकायत अथवा कॉपीराइट संबंधित मामले के लिए आप हमसे संपर्क कर सकते है।