औघडऩाथ मंदिर, मेरठ
औघडऩाथ मंदिर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के मेरठ छावनी क्षेत्र में स्थित भगवान शिव का एक प्रसिद्ध मंदिर है। यही से भारत के स्वतंत्रता संग्राम की शुरुवात हुई थी, इसलिए इसे काली पलटन भी है। ये शिवरात्रि के अवसर पर देश का दूसरा सर्वाधिक जल चढ़ाए जाने वाला मंदिर भी है।
औघडऩाथ मंदिर, मेरठ (Augharnath Temple Complete Guide In Hindi)
नाम | औघड़नाथ मंदिर, काली पलटन |
स्थान | मेरठ छावनी |
सम्बन्ध | शिव |
प्रसिद्धि | स्वयम्भू शिव लिंग |
समय सारणी | 6 AM-10 PM |
अन्य जानकरी | मंदिर का भारत की आज़ादी के लड़ाई में योगदान रहा है। प्रथम स्वतंत्रता संग्राम (1857) की शुरुवात यही से हुई थी। |
वेबसाइट | Augharnathmandir |
औघडऩाथ मंदिर, मेरठ (Augharnath Temple Meerut)
औघडऩाथ या काली पलटन मंदिर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के मेरठ महानगर में छावनी क्षेत्र में स्थित भगवान शिव का एक प्रसिद्ध मंदिर है। वैसे तो इस मंदिर में रोज ही श्रद्धालु की भीड़ रहती है खास तौर पर सोमावर के दिन हजारों श्रद्धालु आते है।
मंदिर में शिववरात्रि के पावन अवसर पर विशेष मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमे लाखों की संख्या में कांवड़िये और श्रद्धालु बाबा भोलेनाथ का जलाभिषेक करते हैं। इस मंदिर का भारत की आज़ादी में भी योगदान रहा है। सन 1857 का प्रथम स्वतंत्रा संग्राम का प्रारम्भ यही से हुआ था।
मंदिर की स्थापना और जीर्णोद्धार (History of Augharnath Temple, Meerut )
औघड़नाथ मंदिर (Augharnath temple) की स्थापना का कोई निश्चित समय ज्ञात नहीं है, लेकिन जनश्रुति के अनुसार यह प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से भी पहले से शहर और आसपास के लोगों के बीच वंदनीय श्रद्धास्थल के रूप में विद्यमान था। वीर मराठाओं के इतिहास में अनेकों पेशवाओं की विजय यात्राओं का उल्लेख मिलता है, जिन्होंने यहाँ भगवान शंकर की पूजा अर्चना की थी।
औघडऩाथ मंदिर सन 1944 तक सेना के प्रशिक्षण केन्द्र से सटा एक छोटे से शिव मंदिर के रूप में विद्यमान था। बाद में बढ़ते-बढ़ते सन 2 अक्टूबर 1968 में ब्रह्मलीन ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य कृष्णबोधाश्रम जी महाराज ने नवीन मंदिर का शिलान्यास किया।
मान्यता (Belief)
औघडऩाथ मंदिर (Augharnath temple) में स्थित शिलिंग स्वयंभू है, अर्थात स्वयं पृथ्वी से उत्पन्न। जिस कारण इसे सिद्ध मंदिर भी कहते है। चूंकि यहां भगवान शिव स्वरूप में विद्यमान हैं, इस कारण इसे औंघडनाथ मंदिर कहा जाता है। इस मंदिर का एक अन्य नाम काली पल्टन भी है।
वर्तमान में औघड़नाथ मंदिर (Augharnath temple) शिवभक्तो और कांवड़ियों के श्रद्धा का केन्द्र बना हुआ है। शिवरात्रि के अवसर पर लाखों कांवड़िये मंदिर पहुँच कर बाबा भोलेनाथ का जलाभिषेक करते हैं, व स्वयं को धन्य मानते हैं। इसके अलावा श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर भी मंदिर में हजारों श्रद्धालु आते है।
मंदिर परिसर (Temple Complex)
औघडऩाथ मंदिर (Augharnath temple) श्वेत संगमरमर से निर्मित है, जिस पर यथा स्थान उत्कृष्ट नक्काशी की गई है। मंदिर परिसर के मध्य में मुख्य मंदिर बाबा भोलेनाथ एवं माँ पार्वती को समर्पित है, जिसका शिखर अत्यंत ऊँचा है। उस शिखर के ऊपर स्वर्ण निर्मित कलश स्थापित है। मंदिर परिसर में 100 किलो स्वर्ण से निर्मित कलश है।
मंदिर के गर्भ गृह में भगवान शिव एवं पार्वती की मूर्ति स्थापित हैं व बीच में शिव परिवार सिद्ध शिवलिंग के साथ विद्यमान है। इसके उत्तरी द्वार के बाहर ही इनके वाहन नंदी बैल की एक विशाल मूर्ति स्थापित है। गर्भ गृह के भीतर मंडप एवं छत पर भी काँच का अत्यंत ही सुंदर काम किया हुआ है।
राधा कृष्ण मंदिर (Radha Krishna Temple)
इस मंदिर के उत्तरी ओर राधा कृष्ण का मंदिर बना हुआ है। गर्भ गृह में राधा कृष्ण की बहुत ही आकर्षक एवं भव्य मूर्तियाँ एक सुंदर रजत मंडप में स्थापित हैं। मंदिर की परिक्रमा क्षेत्र में कई सुंदर चित्र बने हुए हैं। इस मंदिर का शिखर भी मुख्य मंदिर के समान ही ऊँचा है और स्वर्ण कलश विराजमान है।
सीता राम मंदिर (Seeta Ram Temple )
औघडऩाथ मंदिर (Augharnath temple) के परिसर के मुख्य द्वार के निकट श्री राम-सीता अन्य देताओं के साथ भव्य प्रतिमा के रूप में विराजमान है। भवन की सजावट देखने योग्य है, मंदिर के ऊपर स्वर्ण कलश स्थित है।
सतसंग भवन (Satnsag bhawan)
मुख्य मंदिर के दक्षिण में सत्संग भवन बना हुआ है। जिस में समय समय पर सत्संग, कथा, झांकी आदि का आयोजन किया जाता है।
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