Banka (Bihar): History & Tourist Places in Hindi
बाँका (Banka) भारत के बिहार राज्य के बाँका ज़िले में स्थित एक नगर है। यह उस ज़िले का मुख्यालय भी है।
राज्य | बिहार |
क्षेत्रफल | 3018 वर्ग किलोमीटर |
भाषा | हिंदी |
दर्शनीय स्थल | अतिरिक्त, पापहरणी कुंड, लक्ष्यद्वीप मंदिर, रुपस, अमरपुर, असौटा, ज्येष्ठ आदि। |
कब जाएं | अक्टूबर से मार्च। |
बांका जिला बिहार राज्य के दक्षिण-पूर्व की ओर स्थित है। यह जिला झारखंड राज्य के गोण्डा जिला के पूर्व और दक्षिण सीमा, जुमई के पश्चिम, मुंगेर जिले के उत्तर-पूर्व और भागलपुर के उत्तरी सीमा से लगा हुआ है।
इस जिला की स्थापना 21 फरवरी, 1991 को हुई। पूर्व में यह भागलपुर जिला का एक अनुमंडल था। यह जिला विशेष रूप में मकर सक्रांति के अवसर पर चौदह दिनों तक चलने वाले मेले के लिए जाना जाता है। यह मेला मन्दार पर्वत पर लगता है।
बांका के प्रमुख दर्शनीय स्थल (Best Place to visit in Banka)
Banka Tourist Tourist: भारत को स्वतंत्रता दिलाने में भी इस जगह की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इसके अतिरिक्त, पापहरणी कुंड, लक्ष्यद्वीप मंदिर, रुपस, अमरपुर, असौटा, ज्येष्ठ गौर मठ और श्रावण मेला आदि यहां के दर्शनीय स्थलों में से हैं।
पापहरणी कुंड (Papharni Kund)
ऊंचे पर्वत पर स्थित इस प्राचीन कुंड को पापहरणी के नाम से जाना जाता है। इस कुंड तक पहुंचने के लिए पर्वत में तीन रास्ते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार कर्नाटक के राजा यहां पर आए थे और मकर सक्रांति में दिन उन्होंने इस कुंड में स्नान किया था। कुंड में स्नान करने से उनके सभी रोग दूर हो गए थे।
इस पर्वत पर भगवान मधुसूदन का मंदिर भी है। काफी संख्या में लोग प्रतिदिन उनके दर्शनों के लिए यहां आते हैँ। एक अन्य कथा के अनुसार, एक भगवान बुंसी के रास्ते से जा रहे थे तो काल पहर के बाद इस मंदिर को नष्ट कर दिया गया था। माना जाता है कि शायद ऐसा कुछ मुसलमानों ने किया था। इस कारण भगवान मधुसूदन को बुंसी से प्रत्येक वर्ष हाथी पर बैठाकर लाया जाता है और फिर उनकी पूजा कर उन्हें वापिस उनके स्थान पर छोड़ दिया जाता है।
मंदिर के रास्ते में अन्य कई और मंदिर भी है। पापहरणी कुंड के मध्य में महाविष्णु, महालक्ष्मी जैसे खूबसूरत मंदिरों का निर्माण किया गया है। वर्तमान समय में कुछ मंदिर नष्ट हो चुके हैं। इसके अलावा, यहां दो जैन मंदिर भी है। काफी संख्या में जैन धर्म के लोग भगवान बसुपूज्य की आराधना के लिए यहां आते हैं।
माना जाता है कि यह स्थान बसुपूज्य की निर्वाण भूमि है। इस पर्वत पर कई अन्य कुंड जैसे आकाश गंगा और सनख कुंड भी है। सबसे अधिक प्रसिद्ध सीता कुंड है। माना जाता है कि देवी सीता ने इस कुंड में स्नान किया था, जिसके पश्चात् इस कुंड को सीता कुंड के नाम से जाना जाता है।
लखदीपा मंदिर (Lakshdeepa Temple)
यह मंदिर अब नष्ट हो चुका है। लेकिन आज भी पर्वत पर इस मंदिर के कुछ अवशेष देखे जा सकते हैं। पूर्व समय में इस मंदिर को एक लाख द्वीपों से जगमगाया गया था। इसके लिए हर घर से एक मोमबत्ती लाई गयी थी। प्राचीन समय में इस क्षेत्र को बलिशा के नाम से भी जाना जाता था। बलिशा पुराण के अनुसार, यह भगवान शिव की सिद्ध पीठ थी। पर्वत के सबसे ऊंचे भाग पर एक विशाल मंदिर स्थित है।
इस मंदिर में भगवान राम ने स्वयं भगवान मधुसूदन की स्थापना की थी। वर्तमान समय में स्थित इस मंदिर का निर्माण जहांगीर के समय में करवाया गया था। इस मंदिर को नाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है। इसके अतिरिक्त, यहां पर एक विद्यापीठ भी है। काफी संख्या में लोग दूर-दूर से यहां ज्ञान प्राप्त करने के लिए आते हैं। प्रत्येक वर्ष मकर संक्रांति के अवसर के यहां बहुत बड़े मेले का आयोजन किया जाता है।
रुपस गांव (Rupsa village)
चन्दन नदी के तट पर स्थित यह गांव भागलपुर-दुमका मार्ग के पश्चिम से लगभग छ: किलोमीटर की दूरी पर है। यह काफी प्राचीन गांव है। गांव में देवी काली और दुर्गा का प्राचीन मंदिर है। प्रत्येक वर्ष काली पूजा और दुर्गा पूजा के अवसर पर यहां बहुत बड़े मेले का आयोजन किया जाता है। काफी संख्या में लोग इस मेले में सम्मिलित होते हैं।
अमरपुर (Amarpit)
बांका से लगभग 19 किलोमीटर की दूरी पर अमरपुर खण्ड स्थित है। भागलपुर से अमरपुर 26 किलोमीटर की दूरी पर है। पौराणिक कथा के अनुसार, इस गांव की स्थापना बिहार के गर्वनर शाह उमर वाजिर ने की थी।
असौटा गांव (Asauta village)
कहा जाता है कि इस गांव की स्थापना महारानी चन्दरजोती ने की थी। वह खारगपुर से यहां पर आई थी। महारानी ने यहां पर एक किले और असौटा सरोवर कुंड का निर्माण करवाया था। इसके अलावा, उन्होंने अपने पुत्र के लिए यहां एक मस्जिद का निर्माण करवाया था। कुछ समय बाद यह किला और मस्जिद नष्ट कर दी गई थी।
ज्येष्ठ गौर मठ (Jesth Gour Math)
चन्दन नदी के तट पर स्थित यह जगह अमरपुर के पूर्व से दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। ज्येष्ठ गौर स्थान शिव मंदिर है जो कि पर्वत पर स्थित है। पर्वत के सबसे ऊंचे हिस्से को ज्येष्ठ गौर पहर के नाम से जाना जाता है। यहां पर एक काली मंदिर और प्राचीन कुंआ भी है। प्रत्येक वर्ष शिवरात्रि के अवसर पर यहां बहुत बड़े मेले का आयोजन किया जाता है।
श्रावण मेला (Shravan Mela)
प्रत्येक वर्ष श्रवण माह में (जुलाई-अगस्त) में भक्त (कावड़िया) जब सुल्तानगंज से देवघर से रास्ते जाते हैं तो वह साथ में भगवान शिव को गंगा जल चढ़ाने के लिए ले जाते हैं। पूरे एक माह तक इस मार्ग में भक्तों की काफी भीड़ रहती है।
बांका कैंसे पहुंचे (How To Reach Banka)
वायु मार्ग: यहां का सबसे निकटतम हवाई अड्डा जयप्रकाश नारायण अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है। पटना से बांका 263 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
रेल मार्ग: सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन बांका जंक्शन है। रेलमार्ग द्वारा भारत के कई प्रमुख शहरों से यहां पहुंचा जा सकता है।
सड़क मार्ग: भारत के कई प्रमुख शहरों से बांका सड़क मार्ग द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है।
कहां ठहरें: बांका में ठहरने के लिए होटलों का अभाव है। इसलिए यहां आने वाले पर्यटक इसके नजदीकी शहर पटना में ठहरते हैं। पटना के प्रमुख होटलों की सूची इस प्रकार है।