बेलगाम (Belgaum)
बेलगाम (Belgaum) भारत के दक्षिणी राज्य कर्नाटक का उत्तर पश्चिमी जिला है। इसकी सीमाएं गोवा और महाराष्ट्र से लगती हैं। बेलगाम को पुराने समय में वेणुग्राम के नाम से भी जाना जाता था। यह स्थान पश्चिमी घाट के सबसे पुराने, शक्तिशाली और सुसंस्कृत ऐतिहासिक स्थलों में से एक है।
पर्यटन की दृष्टि से भी यह जिला बहुत समृद्ध है। इसकी सुंदरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसे गरीबों का स्वीट्जरलैंड कहा जाता है। यहां की स्थानीय लकड़ी, पीले टीक और चमड़े से बनने वाले खिलौने बहुत प्रसिद्ध हैं।
Belgaum: History & Tourist Attractions in Hindi
राज्य | कर्नाटक |
क्षेत्रफल | 94 वर्ग किलोमीटर |
भाषा | कन्नड़, मराठी, हिंदी और इंग्लिश |
आकर्षण | बेलगाम किला, कपिलेश्वर मंदिर, येलम्मा मंदिर, गोकक जल प्रताप आदि। |
प्रसिद्धि | स्थानीय लकड़ी, पीले टीक और चमड़े से बनने वाले खिलौने बहुत प्रसिद्ध हैं। |
यात्रा समय | अक्टूबर से मार्च। |
बेलगाम दर्शनीय स्थल (Places to visit in Belgaum)
बेलगाम में बहुत से मंदिर व मस्जिदें हैं और बेलगाम के सबसे पुराने मंदिर कपिलेश्वर मंदिर का महत्व तो इसी बात से आंका जा सकता है कि यहां आए बिना ज्योतिर्लिगों के दर्शन पूर नहीं होते। बेलगाम जिले का सौंदत्ती रत्ता शासकों की वास्तविक राजधानी थी।
चालुक्य और दक्कन शैली में बने स्मारक भी सैलानियों को लुभाते हैं। इसके अलावा यहां हिंडाल्गा सेंट्रल जेल है, जहाँ भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान विनायक दामोदर सावरकर को रखा गया था।
1. कपिलेश्वर मंदिर, बेलगाम
इसे बेलगाम का सबसे पुराना मंदिर कहा जाता है। दक्षिण काशी कहे जाने वाले इस स्थान के बारे में माना जाता है कपिलेश्वर आए बिना 12 ज्यातिर्लिगों की यात्रा अधूरी रहती है। श्रावण मास और महाशिवरात्रि के दौरान यहां की शोभा देखते ही बनती है।
उस समय यहां का संपूर्ण वातावरण भक्ति से सराबोर रहता है। यहां स्थापित ज्योतिर्लिग के बारे में माना जाता है कि यह स्वयंभू है। मंदिर परिसर में भगवान शिव, हनुमान, दत्ता, साईबाबा मंदिर तथा एक नवगृह मंदिर भी है।
2. गोकक जलप्रपात, गोकक
यह झरना अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है। यह बेलगाम से 60 किमी. और गोकक शहर से 10 किमी. दूर है। मुख्य मार्ग के किनारे स्थित यह झरना जिले का प्रमुख पर्यटक स्थल है। इस 170 फीट ऊंचे जलप्रपात का स्रोत घाटप्रभा नदी है जो लंबा रास्ता तय करती हुई यहां ऊंची चट्टानों से यहां गिरती है।
यह झरना अपने विस्तार और आकार के लिए प्रसिद्ध है। झरने के पानी का स्वर दूर से ही सुनाई देने लगता है। जून से सितंबर का समय यहां आने के लिए सबसे उपयुक्त है। देश में पहली बार यहां बिजली उत्पादन सन् 1887 में हुआ था। बिजली उत्पादन केंद्र तक रोप वे के जरिए पहुंचा जा सकता है।
3. येलम्मा मंदिर, सौंदत्ती
येलम्मा मंदिर देवी रणुका को समर्पित है। यह स्थान बेलगाम से 70 किमी. दूर है और सड़क मार्ग के जरिए सभी स्थानों से यहां पहुंचा जा सकता है। सौंदत्ती शहर से 5 किमी. दूर एक विशाल पहाड़ पर यह मंदिर स्थित है। पुराने समय में इस पहाड़ को सिद्धाचल पर्वत के नाम से जाना जाता था। येलम्मा मंदिर का निर्माण चालुक्य और राष्ट्रकूट शैली में किया गया है और यहां की गई नक्काशी जैन वास्तुशिल्प को दर्शाती हैं।
इस मंदिर का निर्माण रायबाग के बोमप्पा नायक ने 1514 में करवाया था। मंदिर परिसर में भगवान गणेश, मल्लिकार्जुन, परशुराम, एकनाथ, सिद्धेश्चर आदि मंदिर बने हुए हैं। महाराष्ट्र, गोवा और आंध्र प्रदेश से श्रद्धालु यहां आते रहते हैं विशेषरूप से साल में दो बार होने वाली जात्रा के समय यहां भक्तों का तांता लगा रहता है। 1975 को येलम्मा मंदिर का प्रबंधन सरकार को सौंप दिया गया था। सरकार ने यहां धर्मशाला, हेल्थ सेंटर और अन्य सुविधाओं की व्यवस्था की है।
4. गोडाचिन्मल्की जलप्रपात, गोकक
गोकक से 16 किमी. दूर यह खूबसूरत स्थान गहरी हरीभरी घाटी में स्थित है। मरकडेय नदी 25 मीटर की ऊंचाई से गिरकर घाटी के बीच में बहती है और दूसरी बार 18 मीटर की ऊंचाई से इस स्थान से गिरती है। बड़ी संख्या में पर्यटक यहां प्रकृति की सुंदरता का आनंद उठाने आते हैं।
5. बेलगाम किला, बेलगाम
यह एक प्राचीन स्मारक है जहां मस्जिद और मंदिर का सुंदर मेल देखा जा सकता है। इस किले का निर्माण 12वीं शताब्दी में स्थानीय रत्ता शासकों ने करवाया था। बाद में बेलगाम के अन्य शासकों ने इसकी मरम्मत करवाई और इसे विस्तार प्रदान किया। किले के प्रवेश द्वार पर दो मंदिर हैं जिनमें से एक भगवान गणपति को और दूसरा देवी दुर्गा को समर्पित है।
किले में स्थित दो मस्जिदों में से एक साफा मस्जिद है जो शहर की सबसे प्रसिद्ध मस्जिद है। इसकी मीनारें और गुंबद इंडो-सेरसेनिक और दक्कन शैली के मिश्रण को दर्शाती हैं। कहा जाता है कि जामिया कक्ष के दो वृताकार स्तंभ प्रावीन मंदिर से लाए गए थे। इनमें कहीं पर नागरी लिपि में लिखे कन्नड़ शिलालेख मिलते हैं और कहीं पर पारसी लिपि दिखायी देती है।
6. कमल बस्ती, बेलगाम
किले के अंदर स्थित दो बस्तियों में से एक है कमला बस्ती। इसका निर्माण 1204 में चालुक्य शैली में किया गया था। यहां पर जैन तीर्थंकर नेमिनाथ की काले पत्थर से बनी प्रतिमा स्थापित है। कमला बस्ती का मुख्य आकर्षण मुखमंटप है जिसकी छत पर खूबसूरती और बारीकी से तराशा गया कमल बना हुआ है। कमल मंदिर के बाहर एक अन्य जैन मंदिर है जिसके अब केवल खंडहर ही बचे हैं।
7. नविलतीर्थ, सौंदत्ती
सौंदत्ती से 10 किमी. दूर दो पहाड़ियों के बीच एक मनोहारी घाटी स्थित है नविलतीर्थ। पुराने समय में यहां तालाब के किनारे बहुत सारे मोर आते थे इसलिए इस जगह का नाम नविलतीर्थ पड़ा। यहां पर मालप्रभा बांध और रणुकासागर स्थित है। यह एक अच्छा पिकनिक स्पॉट भी है।
8. सैंट मेरी चर्च, बेलगाम
बेलगाम के सैंट मेरी चर्च का वास्तुशिल्प बहुत ही सुंदर है। 1869 में पत्थर से बने इस चर्च का मुख्य आकर्षण कांच से बनी खिड़कियां हैं। चर्च की दीवारों पर बाइबल के चित्र बने हुए हैं। सैंट मेरी चर्च के अलावा बेलगाम के अन्य प्रमुख चर्च हैं सैंट जेबियर चर्च, सैंट एंथनी चर्च, कैथ्रेडल ऑफ आवर लेडी और मेथडिस्ट चर्च।
बेलगाम कैंसे पहुंचे (How to Reach Belgaum)
वायु मार्ग: बेलगाम जिले के संब्रा में हवाई अड्डा है जो बेलगाम शहर से 11 किमी. दूर है। यहां से मुंबई और बेलगाम के बीच प्रतिदिन की उड़ाने उपलब्ध हैं।
रेल मार्ग: जलगाम में फैला रेलों का जाल इसे दक्षिण भारत के सभी प्रमुख शहरों से जोड़ता है। इसके अलावा पुणे और मुंबई के लिए ट्रेनें चलती है।
सड़क मार्ग: जलगांव पुणे-बंगलुरु राजमार्ग पर पड़ता है। सड़कों के जरिए यह दक्षिण और पश्चिम भारत के अधिकांश स्थानों से जुड़ा हुआ है। बेलगाम को मुंबई और बंगलुरु के बीच मध्यमार्ग के रूप में जाना जाता है।
बेलगाम में क्या खाएं (what to eat in belgaum)
बेलगाम की कुंदा नामक मिठाई बहुत मशहूर है। यह मिठाई दूध से बनती है और शहर में मिठाई की सभी दुकानों में मिलती है। इसके अलावा भी बेलगाम की कई मिठाइयां प्रसिद्ध हैं जैसे बलुशाही। अन्य मिठाइयों से भिन्न यह कई दिनों तक खराब नहीं होती।