तंत्र-मंत्र द्वारा रोग निवारण : Best Books on Disease Prevention Through Tantra Mantra | Review & PDF [Hindi]
Disease Prevention Through Tantra Mantra: भारत की प्राचीन तंत्र-मंत्र परंपरा और आध्यात्मिक ज्ञान का उपयोग आज भी कई लोग अपने स्वास्थ्य और जीवन के विभिन्न पहलुओं को सुधारने के लिए करते हैं। “तंत्र-मंत्र द्वारा रोग निवारण” एक ऐसी पुस्तक है, जो तंत्र, मंत्र और योग के माध्यम से रोगों को दूर करने के उपायों को समझाती है। यह लेख इस पुस्तक की विस्तृत समीक्षा, इसकी उपयोगिता और PDF डाउनलोड की जानकारी प्रदान करेगा।
तंत्र मंत्र और टोटके से रोग निवारण पर आधारित पुस्तके
![](https://imvashi.com/wp-content/uploads/Tantra-Mantra-Totke.jpg)
Tantra Mantra se Rog Nivaran: साधारण से प्रतीत होने वाले टोटके ऐसा चमत्कारी कार्य करते हैं कि उनके परिणामों को देखकर अत्यंतआश्चर्य होता है। और कैसे ? इसका उत्तर कोई नहीं दे सकता। हां, रोगी अवश्यही निरोगी हो जाता है। ये
तंत्र-मंत्र द्वारा रोग निवारण: Disease Prevention Through Tantra and Mantra by Tantrik Bahal
![](https://imvashi.com/wp-content/uploads/Tantra-Mantra-Dwara-Rog-Nivaran.webp)
Title | तंत्र-मंत्र द्वारा रोग निवारण |
Author: | तान्त्रिक बहल (Tantrik Bahal) |
Publisher: | Randhir Prakashan, Haridwar |
Language: | Hindi |
Pages: | 216 |
Cover: | Paperback |
PDF: | Not Available |
“मंत्र द्वारा रोग निवारण” कोई नया विषय नहीं है। इस पर अनगिनत पुस्तकें हैं। जिस प्रकार आयुर्वेदिक, पैलोपेथिक, यूनानी, प्राकृतिक तथा चुम्बकीय इलाजे की व्यवस्थाएं हैं और उनके कुछ नियम व सिद्धांत हैं, उसी प्रकार मनोविज्ञान के सिद्धांतों पर वायु और स्वर विज्ञान के आधार पर ही मंत्र या यंत्र अथवा तंत्र द्वारा रोग निवारण की व्यवस्था की गयी है।
अन्य चिकित्सा पद्धतियों की तरह यह भी एक विज्ञान सम्मत पद्धति है, इसका सिद्धांत ये है कि उसका प्रयोग उचित और सही तथा नियमानुसार ढंग से हो। यह एक प्रकार से विज्ञान सम्मत उपचार ही है, पर इसका हर प्रकार से लाभ उठाने के लिये हर ऐरे गेरे नत्थू खेरे ने इसमें हाथ डालना शुरू कर दिया और बहती गंगा में स्नान का पुण्य लाभ मुफ्त में प्राप्त करने का प्रयत्न किया। अनाड़ी हाथों में पड़कर ‘शाबर मंत्र’ उलट पलट गये। बिना किसी सिद्धांत या वैज्ञानिक आकार के यंत्र-मंत्र-तंत्र क्रियाओं से पीड़ित व्यक्तियों से धन हरण के लोभ में अनेक प्रकार की क्रिया कलाप ऐसी बातें तथा कार्य विधियां जोड़ी गयीं।
इस सबके कारण इस विद्या द्वारा रोग निवारण एक खिलवाड़ बन गया और नौबत यहां तक आ गयी कि इस प्रकार प्रकाशित या वर्णित साहित्य भी प्रयोग में लाया जाने पर झूठा पड़ने लगा।स्वयं मैंने इस प्रकार के साहित्य का अध्ययन किया। उनका प्रयोग किया तो मैं झूठा निकला अथवा कुछ का कुछ प्रभाव पड़ा। पीड़ित को लाभ की अपेक्षा हानि उठानी पड़ी। तभी से मैं इस ओर प्रयत्नशील हो गया कि इस संबंध में वास्तव में एक प्रामाणिक पुस्तक लिखी जाये।
इस प्रकार के संपूर्ण साहित्य में से मैंने सत्यासत्य का निरुपण करना शुरू कर दिया। वर्णित साहित्य को स्वयं प्रयोग में लाकर, उसकी प्रामाणिकता की परख करने लगा, उस विद्या के ज्ञानी ध्यानी, प्रयोगकर्ताओं से मिलने लगा और उनकी प्रयोग विधियों को परखने लगा। हरिद्वार से लेकर केदारनाथ तक, अमरनाथ से लेकर कामाख्या तक गया। अनेक ऋषि मुनियों, तपस्वीयों, मनस्वीयों से भेंट करी। इस प्रकार खोज करते रहने के कारण विषय पर जैसे जैसे सामग्री प्राप्त होती गयी, वैसे वैसे उसका संकलन करता गया।
रोग नाशक टोटके
लंबी बीमारी: किसी व्यक्ति को कोई बीमारी चल रही हो तो शनिवार की रात्रि को बेसन की दो रोटी बनावें और उस पर सरसों का तेल चुपड़ कर रोगी के ऊपर से सात बार घुमा कर उतारें। इसके बाद कुत्ते को वह रोटी खिला दें।
पित्ती: यह रोग अचानक पैदा होता है और अचानक लुप्त हो जाता है। इस रोग के कारण शरीर पर चकत्तें पड़ जाते हैं। इसे आर्टिकेरिया भी कहा जाता है। गांव में इस रोग को शांत रखने के लिए गेरू खाया जाता है। इस क्रिया पर एक महत्वपूर्ण प्रयोग यह है। जब यह रोग आक्रमण करे तो उस समय भंगिन जब गंदा उठा रही हो तो जाकर उसे स्पर्श करें तो भी रोग से छुटकारा मिलता है।
नजर: नजर का लगना एक आम बात है मंगल या शनिवार को हनुमान जी का दर्शन करें। प्रणाम करके उनके दाहिने कंधे से सिंदूर लेकर माथे पर टीका लगाएं तो समाप्त नजर हो जाती है।
पेट की बीमारियों के लिए मंत्र: ॐ शं शूलधारिणीभ्यामं नमः। इस मंत्र से पेट की सब व्याधियां दूर हो जाती है पेट में दर्द पर इसका अच्छा है।
भूत-प्रेत बाधा निवारण प्रयोग
स्थाने हृषीकेश तब प्रक्रीर्त्या जगत्प्रहृष्टयतयनुतज्यते च ।
रक्षांसि भीतानि दिशो द्रवन्ति सर्वे नमस्याति च सिद्धसथा ।।
विधि: इस मंत्र की सिद्धि 11000 जप से होती है। नित्य जप करना चाहिए और भावना करनी चाहिए कि इससे मेरे अंदर इतनी शक्ति आ रही है कि भूत-प्रेत मेरी आज्ञा के पालन की प्रतीक्षा में है।
सिद्ध होने पर जब किसी की भूत प्रेत बाधा को दूर करना हो तो एक मिट्टी के पात्र में गंगा जल लें और उपरोक्त मंत्र का 21 बार उच्चारण करके दायें हाथ की तर्जनी अंगुली फिरावें। इस प्रकार जल अभिमंत्रित हो जाता है। इस जल को रोगी को पिलाना चाहिए। शेष जल को उसके सर्वांग पर छिड़कना चाहिये। बाधा निवृत्ति होने पर 7 बार इस विधि को अपनाना चाहिए। इसके अतिरिक्त आप निम्न मंत्र भी प्रयोग कर सकते हैं।
भय नाश हेतु
ॐ ह्रीं श्रीं चक्रेश्वरी। मम रक्षं कुरू कुरू स्वाहा।
विधि: इस मंत्र को प्रतिदिन 108 बार जाप करने से सभी प्रकार का भय समाप्त हो जाता है।
शरीर सुरक्षा मंत्र
ॐ नमो वज्र का कोठा,
जिसमें पिण्ड हमारा पैठा।
ईश्वर कुन्जी ब्रह्म का ताला।
गेरे आठो याम का यति हनुमन्त रखवाला।
विधि: प्राणभय या किसी अन्य प्रकार के संकट या बाधा आ जाने पर इस मंत्र को तीन बार उच्चारण कर अपने इष्टदेव का ध्यान करें।
मंत्र शक्ति से रोग निवृति: Mantra Shakti se Rog Nivriti by Radha Krishna Shrimali
![](https://imvashi.com/wp-content/uploads/Photo-not-available-868x1024.jpg)
Name | मंत्र शक्ति से रोग निवृति |
Author | राधा कृष्ण श्रीमाली |
Publisher | डायमंड प्रकाशन |
Language | Hindi |
Pages | 135 |
NOT Available |
रोग निवारण के अचूक टोटके (प्रमोद सागर)
Name | रोग निवारण के अचूक टोटके |
Author | Pramod Sagar |
Publisher | MANOJ PUBLICATIONS, DELHI |
Language | Hindi |
Pages | 112 |
Not Avilable |
किसी भी मनुष्य का किसी भी समय रोगग्रस्त हो जाना कोई बड़ी अथवा अनहोनी बात नहीं। मौत और जिंदगी के समान ही अच्छे स्वास्थ्य और बीमारियों का तथा विभिन्न प्रकार के रोगों और उनके इलाजों का भी चोली दामन का साथ है। प्रकृति ने जहां अनेक प्रकार के रोग बनाए हैं, वहीं उस परमपिता परमात्मा ने एक-एक रोग के सैकड़ों इलाज भी दिए हैं। ऐसा कोई रोग नहीं जिसका इलाज प्रकृति के पास न हो, बस आवश्यकता है उस रोग और उसकी प्रकृति को सही रूप में समझकर उसका उचित इलाज करने की।
झाड़-फूंक, झाड़ा देना और विभिन्न टोटकों का आगामी चरण है मन्त्रों के द्वारा विभिन्न रोगों की चिकित्सा। यद्यपि झाड़-फूंक और कुछ टोटकों में भी सामान्य मन्त्रों का स्तवन किया जाता है, परन्तु मन्त्रों द्वारा चिकित्सा का अर्थ है शास्त्रों में वर्णित मन्त्रों का बड़ी संख्या में जप करके किसी रोग का इलाज करना। इस प्रकार की चिकित्साओं का अन्य रूप है यन्त्र सिद्धि द्वारा चिकित्सा। अलग-अलग रोगों के लिए मन्त्रों के समान ही ये यन्त्र भी अलग-अलग होते हैं। इन यन्त्रों का संक्षिप्त रूप ही होते हैं सभी प्रकार के गंडे-तावीज, जो हमारी प्राचीन चिकित्सा पद्धति की जान हैं और अधिकांश ओझा और गुनिया इनका ही प्रयोग करते हैं। यन्त्र-मन्त्र के सम्मिलित प्रयोग और अन्य अनेक उपादानों के साथ विभिन्न तान्त्रिक प्रक्रियाओं द्वारा भी रोगों का इलाज किया जाता है।
ऐलोपैथी में ऑपरेशन करने के समान ही तान्त्रिक प्रक्रियाओं द्वारा विभिन्न रोगों का इलाज जहां सबसे सफल और शक्तिशाली पद्धति है, वहीं सबसे जटिल प्रक्रिया भी। यही कारण है कि यन्त्रों, मन्त्रों तथा तान्त्रिक प्रक्रियाओं द्वारा इलाज करने के लिए पर्याप्त ज्ञान के साथ ही दीर्घकालीन अनुभव और अभ्यास भी चाहिए। प्रत्येक रोग के साथ वर्णित टोटकों की जानकारी आप इस पुस्तक से ले सकते हैं।
बुखार नाशक टोटके
यदि औषधि उपचार द्वारा सन्निपात ज्वर से मुक्ति न मिल पा रही हो, तो एक लाल धागा लेकर रोगी के सिर से पैर तक नापकर तोड़ लें। फिर इस धागे में नील की जड़ बांधकर रोगी को धारण करा दें, लाभ शीघ्र दिखलाई पड़ जाएगा।
- ज्वर का कारण कोई भी रहा हो, चिरचिटे की जड़ या लाल पलाश (ढाक) की जड़ गले या भुजा में धारण करा दें।
- कमल की टहनी के छोटे-छोटे टुकड़े करके किसी धागे में पिरो लें और रोगी को गले में माला की भांति धारण कराएं।
दंत-व्याधियों से मुक्ति
काहे रिसियाये हम तो अकेला, तुम हो बत्तीस बार हमजोला, हम लावें तुम बैठे खाव, अन्तकाल में संगहि जाव।
विधि: यदि कोई व्यक्ति, वह चाहे रोगी हो या नीरोग, प्रतिदिन प्रातःकाल मुंह धोते समय निम्न मंत्र पढ़ते हुए चुल्लू में जल लेकर कुल्ला करे तो सभी प्रकार की दंत व्याधियों से मुक्त रह सकता है। प्रतिदिन सात बार यह मंत्र पढ़ते हुए जल से कुल्ला करने पर दांतों की पीड़ा दूर होकर उनका हिलना भी मिट जाता है और दांत अपनी जगह मजबूती से जमे रहते हैं।
यदि आप प्रस्तुत सूची में अन्य पुस्तक को शामिल करना चाहते हैं, या कोई पुस्तक हमारे साथ साझा करना चाहते हैं, तो आप हमसे Contact Us पेज के माध्यम से संपर्क कर सकते है।
साथ ही, यदि आप लेख में कोई त्रुटि महसूस करते है जैसे; किसी पुस्तक का लिंक का कार्य न करना। तो हमें अवश्य सूचित करें। ताकि त्रुटि को सुधार कर लेख Update किया जा सके। धन्यवाद…🙏