जानिए, भगवान को भोग लगाने का सही तरीका
हिंदू धर्म में नित्य पूजा-पाठ करने का विशेष महत्व बताया गया है। भगवान की पूजा करते वक्त कई बातों का ध्यान रखा जाता है, जिसमे से भोग लगाना भी एक है। इसलिए, आजके इस लेख में हम आपको भगवान को भोग लगाते वक्त ध्यान में रखी जाने वाली बातों के बारे में बता रहे है।
भगवान को भोग लगाने का सही तरीका (Right way to offering Bhog)
भगवान को भोग लगाने के लिए उनके सामने भोजन रखें। शुद्ध जल का पात्र साथ में रखें। सबसे पहले शुद्ध जल हाथ में लेकर भगवान के सामने जमीन पर गोलाकार जल छिड़कें। इस पर भोजन की थाली रखें।
दायें हाथ में जल का लोटा तीन बार थाली के ऊपर घुमायें। कहें – “ ॐ अमृतोपस्तरणमसी स्वाहा “ फिर थोड़ा सा जल धरती पर छोड़ दें। अब थाली को उठाकर मनोभाव से प्रार्थना करें – भगवान भोग लगाइए।
- भगवान को भोग लगाने का समय भी महत्वपूर्ण है। नित्य भोग प्रातः और सायकाल में लगाया जाता है।
- लड्डू गोपाल को अधिक देर तक भूखा न रखे।
- जन्मोत्सव, व्रत, त्योहार आदि के अवसर पर विशेष भोग लगाना चाहिए।
भगवान को भोग लगाने के लिए बर्तन कैसा लें?
भगवान को भोग लगाने के लिए सोने, चांदी, तांबे, कांस्य, ढाक के पत्ते, केले के पत्ते आदि का प्रयोग भोग लगाने के लिए किया जा सकता है।
आजकल घर में अधिकतर स्टील के तथा काँच के बर्तन होते हैं ये भी साफ, सुंदर और शुद्ध हों तो इनका उपयोग भोग लगाने के लिए किया जा सकता है।
लेकिन भूलकर भी कभी एल्यूमिनियम, लोहो, स्टील या प्लास्टिक के बर्तनों का इस्तेमाल भोग लगाने के लिए न करें। इससे आपको भोग लगाने का फल प्राप्त नहीं होता।
भोग किस चीज का बना होना चाहिए?
भगवान का भोग सात्विक होना चाहिए। भगवान के भोग में लहसुन, प्याज, मांस, मदिरा, तमाकू, चाय, कॉफी आदि का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। भोग बनाने के लिए तामसिक चीजों का इस्तेमाल भूलकर भी ना करें।
तीखा और मसालेदार भोग ना लगाए: भगवान के भोग में तीखी, मिर्च मसाले वाली चीजों का भोग कभी नहीं लगाना चाहिए। भगवान के भोग में फल, मिठाई और सात्विक चीजों का ही इस्तेमाल करना चाहिए।
भगवान को उनके प्रिय नारियल का भोग लगता है: जैसे शिवजी को बेलपत्र, दूध, घी, गंगाजल, धतूरा आदि का भोग लगाया जाता है। विष्णुजी को तुलसी, फूल, फल, मिष्ठान, दूध, घी, चावल आदि का भोग लगाया जाता है। गणेशजी को लोध, मोदक, दूर्वा, फूल, फल आदि का भोग लगाया जाता है। किस देवता कौन सा कौन सा प्रसाद चढ़ाएं
प्रसाद के साथ जल रखना न भूलें: भगवान को प्रसाद चढ़ाते वक्त किसी दूसरे पात्र में जल जरूर रखना चाहिए. मान्यता है कि जैसे खाने के वक्त पानी की जरूरत होती है वैसी ही भगवान को भी प्रसाद के साथ जल जरूर चढ़ाना चाहिए. प्रसाद हटाते वक्त इस जल को भी हटा लेना चाहिए.।
प्रसाद को लेकर इस बात का जरूर दें ध्यान
भगवान को प्रसाद चढ़ाने के तुरंत बाद बचे हुए प्रसाद को हटा देना चाहिए. ऐसी मान्यता है कि भगवान ऐसा न करने वालों से नाराज हो जाते हैं। पूजा पूरी होने के बाद प्रसाद को हटा देना चाहिए। ऐसा नहीं करने पर घर में नकारात्मकता फैल सकती है।
भगवान का प्रसाद बांटना चाहिए
भगवान को भोग लगाने के बाद प्रसाद को मंदिर से हटा देना चाहिए। पूजा संपन्न होने के बाद प्रसाद को घर में या लोगों में वितरित करना चाहिए. प्रसाद का एक भी दाना बर्बाद नहीं होना चाहिए या उसका अपमान नहीं होना चाहिए। भगवान का प्रसाद बांटने से अच्छा फल मिलता है।
भगवान को भोग लगाते समय कौन सा मंत्र बोलना चाहिए?
त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये। गृहाण सम्मुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर ।। अर्थ- हे ईश्वर मेरे पास जो भी है वो आपका ही दिया हुआ है। आपका दिया आपको समर्पित करता हूं।