Skip to content

Imvashi

  • Home
  • HindusimExpand
    • Vrat Tyohar
    • Devi Devta
    • 10 Mahavidya
    • Pauranik katha
  • TempleExpand
    • Jyotirlinga
    • ShaktiPeeth
  • AstrologyExpand
    • Jyotish
    • Face Reading
    • Shakun Apshakun
    • Dream
    • Astrologer
    • Free Astrology Class
  • BiogpraphyExpand
    • Freedom Fighter
    • Sikh Guru
  • TourismExpand
    • Uttar Pradesh
    • Delhi
    • Uttarakhand
    • Gujarat
    • Himachal Pradesh
    • Kerala
    • Bihar
    • Madhya Pradesh
    • Maharashtra
    • Manipur
    • Kerala
    • Karnataka
    • Nagaland
    • Odisha
  • Contact Us
Free Kundi
Imvashi
Free Kundli

भागवत पुराण

Byvashi Hinduism
4.8/5 - (66 votes)

भागवत पुराण, हिन्दुओं के पवित्र अट्ठारह पुराणों में से एक है। इसे श्रीमद्भागवतम् या केवल भागवतम् भी कहते हैं। इस पुराण में भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण की लीलाओं का विस्तृत वर्णन किया गया हैं।

Bhagwat Purana also known as Śrīmad Bhagwat Maha Purana, Shrimad Bhagwatm or Bhāgavata, is one eighteen greatest Puranas in Hinduism. It is a book about Narayana, has avatars and the detailed account of Lord Krishna


श्रीमद भागवत पुराण (Shrimad Bhagwat puran in Hindi)

भागवत पुराण, हिन्दुओं के पवित्र अट्ठारह पुराणों में से एक पुराण है। पुराणो की सूची में इसका स्थान अष्टम है। इसे श्रीमद्भागवतम् या केवल भागवतम् भी कहते हैं। इस पुराण का मुख्य विषय भक्ति योग है।

परंपरागत तौर पर इस पुराण के रचयिता वेद व्यास ऋषि को माना जाता है। श्री भागवत सर्वप्रथम भगवान शुकदेव द्वारा महाराज परीक्षित को सुनाया गया। इसके प्रत्येक श्लोक में श्रीकृष्ण-प्रेम की सुगन्धि है।


भागवत पुराण कथा और संरचना (Bhagwat Puran story & Structure in Hindi)

भागवत पुराण में साधु लोग महर्षि सूत जी से विष्णु के विभिन्न अवतारों के बारे में प्रश्न पूछते हैं। सूत जी कहते हैं कि यह कथा उन्होने शुक देव से सुनी थी। मै उसका वर्णन तुम्हें करता हूँ और इस प्रकार कथा प्रारम्भ हो जाती है।

भागवत पुराण में कुल 18 हजार श्लोक, 335 अध्याय तथा 12 स्कन्ध हैं। इसके विभिन्न स्कंधों में विष्णु के लीलावतारों का वर्णन बड़ी सुकुमार भाषा में किया गया है।

भागवत के 12 स्कन्द निम्नलिखित हैं-

स्कन्ध संख्याविवरण
प्रथम स्कन्धइसमें भक्तियोग और उससे उत्पन्न एवं उसे स्थिर रखने वाला वैराग्य का वर्णन किया गया है।
द्वितीय स्कन्धब्रह्माण्ड की उत्त्पत्ति एवं उसमें विराट् पुरुष की स्थिति का स्वरूप।
तृतीय स्कन्धउद्धव द्वारा भगवान् का बाल चरित्र का वर्णन।
चतुर्थ स्कन्धराजर्षि ध्रुव एवं पृथु आदि का चरित्र।
पंचम स्कन्धसमुद्र, पर्वत, नदी, पाताल, नरक आदि की स्थिति।
षष्ठ स्कन्धदेवता, मनुष्य, पशु, पक्षी आदि के जन्म की कथा।
सप्तम स्कन्धहिरण्यकश्यिपु, हिरण्याक्ष के साथ प्रहलाद का चरित्र।
अष्टम स्कन्धगजेन्द्र मोक्ष, मन्वन्तर कथा, वामन अवतार
नवम स्कन्धराजवंशों का विवरण। श्रीराम की कथा।
दशम स्कन्धभगवान् श्रीकृष्ण की अनन्त लीलाएं।
एकादश स्कन्धयदु वंश का संहार।
द्वादश स्कन्धविभिन्न युगों तथा प्रलयों और भगवान् के उपांगों आदि का स्वरूप।


भागवत पुराण में काल गणना (Calculation Of Time in Bhagwat Puran)

‘श्रीमद्भागवत पुराण‘ (Shrimad Bhagwat Puran) में काल गणना अत्यधिक सूक्ष्म रूप से की गई है। वस्तु के सूक्ष्मतम स्वरूप को ‘परमाणु’ कहते हैं। दो परमाणुओं से एक ‘अणु’ और तीन अणुओं से मिलकर एक ‘त्रसरेणु’ बनता है।

तीन त्रसरेणुओं को पार करने में सूर्य किरणों को जितना समय लगता है, उसे ‘त्रुटि’ कहते हैं। त्रुटि का सौ गुना ‘कालवेध’ होता है और तीन कालवेध का एक ‘लव’ होता है।

तीन लव का एक ‘निमेष’, तीन निमेष का एक ‘क्षण’ तथा पाँच क्षणों का एक ‘काष्टा’ होता है। पन्द्रह काष्टा का एक ‘लघु’, पन्द्रह लघुओं की एक ‘नाड़िका’ अथवा ‘दण्ड’ तथा दो नाड़िका या दण्डों का एक ‘मुहूर्त’ होता है। छह मुहूर्त का एक ‘प्रहर’ अथवा ‘याम’ होता है।

एक चतुर्युग (सत युग, त्रेता युग, द्वापर युग, कलि युग) में बारह हज़ार दिव्य वर्ष होते हैं। एक दिव्य वर्ष मनुष्यों के तीन सौ साठ वर्ष के बराबर होता है।

युगवर्ष
सत युगचार हज़ार आठ सौ
त्रेता युगतीन हज़ार छह सौ
द्वापर युगदो हज़ार चार सौ
कलि युगएक हज़ार दो सौ

प्रत्येक मनु 7,16,114 चतुर्युगों तक अधिकारी रहता है। ब्रह्मा के एक ‘कल्प’ में चौदह मनु होते हैं। यह ब्रह्मा की प्रतिदिन की सृष्टि है। सोलह विकारों (प्रकृति, महत्तत्व, अहंकार, पाँच तन्मात्रांए, दो प्रकार की इन्द्रियाँ, मन और पंचभूत) से बना यह ब्रह्माण्डकोश भीतर से पचास करोड़ योजन विस्तार वाला है।

उसके ऊपर दस-दस आवरण हैं। ऐसी करोड़ों ब्रह्माण्ड राशियाँ, जिस ब्रह्माण्ड में परमाणु रूप में दिखाई देती हैं, वही परमात्मा का परमधाम है। इस प्रकार पुराणकार ने ईश्वर की महत्ता, काल की महानता और उसकी तुलना में चराचर पदार्थ अथवा जीव की अत्यल्पता का विशद् विवेचन प्रस्तुत किया है।


भागवत पुराण का महत्व (Importance of Bhagwat Puran in Hindi)

श्री भागवत पुराण (Bhagwat Puran) वर्तमान में सर्वाधिक प्रख्यात पुराण है। भागवत से हमे श्री कृष्ण के संदर्भ में जितनी जानकारी मिलती है उतनी अन्य किसी से नही। निसंदेह कृष्ण भक्तों के लिए यह सर्वाधिक पूजनीय ग्रंथ हैं। स्वयं भागवत में कहा गया है-

     सर्ववेदान्तसारं हि श्रीभागवतमिष्यते।
तद्रसामृततृप्तस्य नान्यत्र स्याद्रतिः क्वचित् ॥

श्रीमद्भाग्वतम् सर्व वेदान्त का सार है। उस रसामृत के पान से जो तृप्त हो गया है, उसे किसी अन्य जगह पर कोई रति नहीं हो सकती। (अर्थात उसे किसी अन्य वस्तु में आनन्द नहीं आ सकता।)

श्रीमद भागवत कथा श्रवण से जन्म जन्मांतर के विकार नष्ट होकर प्राणी मात्र का लौकिक व आध्यात्मिक विकास होता है। जहां अन्य युगों में धर्म लाभ एवं मोक्ष प्राप्ति के लिए कड़े प्रयास करने पड़ते हैं, कलियुग में कथा सुनने मात्र से व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है।


Related Posts

  • सत्यवती: एक बुद्धिमान और महत्वाकांक्षी महिला

  • Diwali Interesting Facts: दिवाली से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

  • Kalawa significance: कलावे का वैज्ञानिक और धार्मिक महत्व

  • Keeping Dog: हमें घर में कुत्ता पालना चाहिए या नही?

  • Mahabharat: यमराज को क्यों लेना पड़ा था विदुर रूप में जन्म

All Rights Reserved © By Imvashi.com

  • Home
  • Privacy Policy
  • Contact
Twitter Instagram Telegram YouTube
  • Home
  • Hinduism
    • Vrat Tyohar
    • Devi Devta
    • 10 Maha Vidhya
    • Hindu Manyata
    • Pauranik Katha
  • Temple
    • 12 Jyotirlinga
    • Shakti Peetha
  • Astrology
    • Astrologer
    • jyotish
    • Hast Rekha
    • Shakun Apshakun
    • Dream meaning (A To Z)
    • Free Astrology Class
  • Tourist Places
    • Delhi
      • Biography
        • Freedom Fighter
        • 10 Sikh Guru
    • Uttar Pradesh
    • Madhya Pradesh
    • Utrakhand
    • Rajasthan
    • Bihar
    • Hariyana
    • Andhra Pradesh
    • Jharakhand
    • Maharashtra
    • West Bengal
    • Panjab
    • Odisha
    • Telangana
    • Assam
    • Sikkim
    • Tamilanadu
    • Kerala
    • Tripura
  • Astrology Services
  • Donate
Search