Bharani Nakshatra: भरणी नक्षत्र की सम्पूर्ण जानकारी
Bharani Nakshatra: भारतीय खगोल में भरणी नक्षत्र द्वितीय नक्षत्र है और इसका अधिकार क्षेत्र 13.30 अंश से 26. 40 अंश तक है। इस नक्षत्र में तीन तारे है। भरणी नक्षत्र की क्रूर, निर्दयी, सक्रीय, कर्मठ, कर्तृवाच्य नक्षत्र है। भरणी का देवता यम (यमराज) और स्वामी ग्रह शुक्र है। चरणाक्षर हैं: ली, लू, ले, लो है।
पौराणिक मान्यता
यमराज मृत्यु के देवता है। इन्हे सूर्य और संजना / छाया का पुत्र माना जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओ में इन्हे यमी (यमुना) के जुड़वा भाई बताया है। यम नरक के स्वामी भी है। (और पढ़ें: मृत्यु के देवता “यमराज”
विशेषताएँ
भरणी नक्षत्र में जन्मे जातक सुन्दर, आकर्षक व्यक्तित्व ओर मध्यम कद के होते है इनकी आँखें चमकीली, दांत सुंदर और माथा चौड़ा होते है।
जातक संयमी, बुद्धिमान, मजाकिया, निरोगी, सत्यवक्ता और धनी होता है। इनके जीवन मे अडचन और उतार चढाव भी आते है। जिसका यह डटकर सामना करते है।
क्या करें क्या न करें?
मुहूर्त ज्योतिष अनुसार यह क्षति नक्षत्र है। इस नक्षत्र के दिन दूसरो की हानि करना, छल-कपट करना, कार्य में विघ्न डालना आदि कर्म सिद्ध होते है।
अनुकूल कार्य: यह नक्षत्र निर्माण, प्रेम, प्रजनन, कृषि, प्रारम्भ / अंत, अग्निकर्म, त्यागकर्म के लिये अनुकूल है।
प्रतिकूल कार्य: यह नक्षत्र यात्रा, प्रवेश, दीक्षा संस्कार, निष्कर्ष गतिविधियो के प्रतिकूल है।