Skip to content

Imvashi

  • Home
  • HindusimExpand
    • Devi Devta
    • 10 Mahavidya
  • Hindu TempleExpand
    • Jyotirlinga
    • ShaktiPeeth
  • BiogpraphyExpand
    • Freedom Fighter
    • Sikh Guru
    • Astrologer
  • Contact Us
  • Youtube
Donate
Imvashi

भविष्य पुराण

Byvashi Hinduism

Contents

  • 1 भविष्य पुराण (Bhavishya Puran Hindi)
  • 2 भविष्य पुराण में क्या है?
  • 3 भविष्य पुराण की संरचना
    • 3.1 # ब्राह्म पर्व
    • 3.2 # मध्यम पर्व
    • 3.3 # प्रतिसर्ग पर्व
    • 3.4 # उत्तर पर्व
  • 4 प्रतिसर्ग पर्व की भविष्यवाणियाँ
  • 5 भविष्य पुराण का महत्व
  • 6 Related Posts

भविष्य पुराण (Bhavishya Puran Hindi)

भविष्य पुराण हिंदुओं के पवित्र 18 पुराणों में से एक है। पुरानों में इसका स्थान नवा है,  विषय-वस्तु एवं वर्णन-शैली की दृष्टि से यह एक विशेष ग्रंथ है। भविष्य में होने वाली घटनाओं का वर्णन पुर्व में होने का कारण इसका नाम भविष्य पुराण पड़ा।

भविष्य पुराण की रचना का श्रेय वेद व्यास ऋषि को प्राप्त है इसमें कुल 485 अध्याय और 15 हज़ार श्लोक है।

भविष्य पुराण (गीता गोरखपुर प्रेस)

Short Introduction:- The Bhavishya Purana is one of the eighteen major Hindu Puranas. It is written in Sanskrit and attributed to Rishi Vyasa, the compiler of the Vedas. The title Bhavishya Purana signifies a work that contains prophecies regarding the future.


भविष्य पुराण में क्या है?

भविष्य पुराण में धर्म, सदाचार, नीति, कथा, उपदेश, तीर्थ, व्रत, उपासना, दान, ज्योतिष एवं आयुर्वेद विषयों का संग्रह मिलता है। प्रसिद्ध वेताल-विक्रम की कथा भी इस पुराण में देखने को मिलता है। इसके अतिरिक्त इसमें नित्यकर्म, संस्कार, सामुद्रिक लक्षण, शान्ति तथा पौष्टिक कर्म आराधना और अनेक व्रतोंका भी विस्तृत वर्णन है।

ईसा और मुहम्मद के जन्म से बहुत पहले ही वेद व्यास ने भविष्य पुराण में मुस्लिम और ईसाई धर्म के उद्भव और विकास के विषय में लिख दिया था। इसमें मध्यकालीन हुर्षवर्धन आदि हिन्दू राजाओं के अतिरिक्त भारत में मुस्लिम शासको का आगमन, अलाउद्दीन, मुहम्मद तुगलक, तैमूरलंग, बाबर तथा अकबर आदि का भी वर्णन है।

इस पुराण में भारतवर्ष के वर्तमान समस्त आधुनिक इतिहास का वर्णन है। इसके प्रतिसर्गपर्व के तृतीय तथा चतुर्थ खण्ड में इतिहास की महत्त्वपूर्ण सामग्री विद्यमान है। इतिहास लेखकों ने प्रायः इसी का आधार लिया है।

इसके मध्यमपर्व में समस्त कर्मकाण्ड का निरूपण है। इसमें वर्णित व्रत और दान से सम्बद्ध विषय भी महत्त्वपूर्ण हैं। इतने विस्तार से व्रतों का वर्णन न किसी अन्य पुराण, धर्मशास्त्र में मिलता है और न किसी स्वतन्त्र व्रत-संग्रह के ग्रन्थ में। हेमाद्रि, व्रतकल्पद्रुम, व्रतरत्नाकर, व्रतराज आदि परवर्ती व्रत-साहित्य में मुख्यरूप से भविष्यपुराण का ही आश्रय लिया गया है।


भविष्य पुराण की संरचना

भविष्य पुराण चार पर्वों (ब्रह्म पर्व, मध्यम पर्व, प्रतिसर्ग पर्व तथा उत्तर पर्व) में विभक्त है। मध्यमपर्व तीन तथा प्रतिसर्गपर्व चार अवान्तर खण्डों में विभक्त है। पर्वों के अन्तर्गत अध्याय हैं, जिनकी कुल संख्या 485 है।

प्रतिसर्गपर्व के द्वितीय खण्ड के 23 वे अध्याय में प्रसिद्ध विक्रम-बेताल की कथा वर्णित है, वह अत्यन्त रमणीय तथा रोचक है। भविष्य पुराण की इन्हीं कथाओं का नाम ‘वेतालपंचविंशति’ या ‘वेतालपंचविंशतिका’ है।

इसी प्रकार प्रतिसर्गपर्व के द्वितीय खण्डके २४ से 29 अध्यायों तक “श्री सत्यनारायणव्रत कथा” वर्णित है। उत्तरपर्व में वर्णित व्रतोत्सव तथा दान-माहात्म्य से सम्बद्ध कथाएँ भी एक से बढ़कर एक हैं। ब्राह्मपर्व तथा मध्यमपर्व की सूर्य-सम्बन्धी कथाएँ भी कम रोचक नहीं हैं। आल्हा- ऊदल के इतिहास का प्रसिद्ध आख्यान इसी पुराण के आधार पर प्रचलित है।

# ब्राह्म पर्व

इसमें कुल २१५ अध्याय हैं। भविष्य की घटनाओं से संबंधित इस पन्द्रह सहस्र श्लोकों के महापुराण में धर्म, आचार, नागपंचमी व्रत, सूर्यपूजा, स्त्री प्रकरण आदि हैं। इसके इस पर्व के आरम्भ में महर्षि सुमंतु एवं राजा शतानीक का संवाद है। इस पर्व में मुख्यत: व्रत-उपवास पूजा विधि, सूर्योपासना का माहात्म्य और उनसे जुड़ी कथाओं का विवरण प्राप्त होता है। इसमें सूर्य से सम्बन्धित 169 अध्याय है।

# मध्यम पर्व

मध्यमपर्व में समस्त कर्मकाण्ड का निरूपण है। इसमें वर्णित व्रत और दान से सम्बद्ध विषय भी अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हैं। इतने विस्तार से व्रतों का वर्णन न किसी पुराण, धर्मशास्त्रमें मिलता है और न किसी स्वतन्त्र व्रत-संग्रह के ग्रन्थ में। हेमाद्रि, व्रतकल्पद्रुम, व्रतरत्नाकर, व्रतराज आदि परवर्ती व्रत-साहित्य में मुख्यरूप से भविष्यपुराण का ही आश्रय लिया गया है। इस पर्व में मुख्य रूप से श्राद्धकर्म, पितृकर्म, विवाह-संस्कार, यज्ञ, व्रत, स्नान, प्रायश्चित्त, अन्नप्राशन, मन्त्रोपासना, राज कर देना, यज्ञ के दिनों की गणना के बारे में विवरण दिया गया है।

# प्रतिसर्ग पर्व

इसके प्रतिसर्गपर्व के तृतीय तथा चतुर्थ खण्ड में इतिहास की महत्त्वपूर्ण सामग्री विद्यमान है। इतिहास लेखकों ने प्रायः इसी का आधार लिया है। इसमें मध्यकालीन हर्षवर्धन आदि हिन्दू राजाओं और अलाउद्दीन, मुहम्मद तुगलक, तैमूरलंग, बाबर तथा अकबर आदि का प्रामाणिक इतिहास निरूपित है। ईसा मसीह के जन्म एवं उनकी भारत यात्रा, हजरत मुहम्मद का आविर्भाव, द्वापर युग के चन्द्रवंशी राजाओं का वर्णन, कलि युग में होने राजाओं, बौद्ध राजाओं तथा चौहान एवं परमार वंश के राजाओं तक का वर्णन इसमें प्राप्त होता है।

# उत्तर पर्व

इस पर्व में भगवान विष्णु की माया से नारद जी के मोहित होने का वर्णन है। इसके बाद स्त्रियों को सौभाग्य प्रदान करने वाले अन्य कई व्रतों का वर्णन भी विस्तारपूर्वक किया गया है। उत्तर पर्व में २०८ अध्याय हैं। यद्यपि यह भविष्य पुराण का ही अंग है, किन्तु इसे एक स्वतन्त पुराण (भविष्योत्तरपुराण) माना जाता है।


प्रतिसर्ग पर्व की भविष्यवाणियाँ

भविष्य पुराण के प्रतिसर्गपर्व के तृतीय तथा चतुर्थ खण्ड में इतिहास की महत्त्वपूर्ण सामग्री विद्यमान है। इसमें मध्यकालीन हर्षवर्धन आदि हिन्दू राजाओं और अलाउद्दीन, मुहम्मद तुगलक, तैमूरलंग, बाबर तथा अकबर आदि का प्रामाणिक इतिहास निरूपित है।

ईसा मसीह के जन्म एवं उनकी भारत यात्रा, हज़रत मुहम्मद का आविर्भाव, द्वापर युग के चन्द्रवंशी राजाओं का वर्णन, कलियुग में होने राजाओं, बौद्ध राजाओं तथा चौहान एवं परमार वंश के राजाओं तक का वर्णन इसमें प्राप्त होता है


भविष्य पुराण का महत्व

भविष्य पुराण का आध्यात्मिक धृष्टि से महत्व होने के साथ- इतिहास के अन्वेषण में भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इस पुराण में भारतवर्ष के वर्तमान समस्त आधुनिक इतिहास का वर्णन है। इतिहासकारो ने प्रायः इसी का आधार लिया है।

विषय-वस्तु, वर्णनशैली तथा काव्य-रचना की दृष्टि से भविष्यपुराण महत्वपूर्ण ग्रन्थ है। इसकी कथाएँ रोचक तथा प्रभावोत्कपादक हैं।


4.8/5 - (84 votes)

Related Posts

  • Naina Devi Temple: नैना देवी मंदिर, हिमाचल प्रदेश

  • RUDRAKSHA: जानें, रुद्राक्ष का रहस्य

  • Maha Mrityunjaya: अकाल मृत्यु टालने के लिए सर्वोत्तम अनुष्ठान

  • Swastika: जानें, स्वस्तिक का रहस्य

  • भगवान श्रीकृष्ण को क्यों कहा जाता है रणछोड़?

Post Tags: #Hindu#Hinduism#purana#Religious Books
YouTube YouTubeTelegram Telegram

All Rights Reserved © By Imvashi.com

  • Home
  • Privacy Policy
  • Contact
Twitter Instagram Telegram YouTube
  • Home
  • Vrat Tyohar
  • Devi Devta
  • 10 Maha Vidhya
  • Pauranik Katha
  • Hindu Temple
    • 12 Jyotirlinga
    • Shakti Peetha
  • Learn Astrology
    • jyotish
    • Hast Rekha
    • Dream meaning (A To Z)
  • Biography
    • Freedom Fighter
    • Astrologer
    • 10 Sikh Guru
  • Tourist Places
    • Delhi
    • Uttar Pradesh
    • Madhya Pradesh
    • Utrakhand
    • Rajasthan
    • Bihar
    • Hariyana
    • Andhra Pradesh
    • Jharakhand
    • Maharashtra
    • West Bengal
    • Panjab
    • Odisha
    • Telangana
    • Assam
    • Sikkim
    • Tamilanadu
    • Kerala
    • Tripura
Search