Bihar Tourism: बिहार के प्रमुख पर्यटन स्थल
बिहार (Bihar) ऐतिहासिक विरासत तथा धार्मिक स्थलों के कारण पर्यटन की दृष्टि से एक महत्त्वपूर्ण राज्य है। बिहार में हिन्दू, मुसलमान, बुद्ध, जैन एवं सिख धर्म के अनेक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है।
बिहार के प्रमुख दर्शनीय एवं पर्यटन (Bihar Famous Tourist Places)
बिहार में धार्मिक स्थलों, प्राचीन स्मारकों, किले, महल, संग्रहालय आदि के रूप में कई सांस्कृतिक धरोहरे विद्यमान है। बिहार ऐसा राज्य है जिसने दुनिया को दो महत्वपूर्ण धर्म दिए है- “बौद्ध धर्म और जैन धर्म।” यहाँ सम्भवतः कोई भी ऐसा जिला न होगा जहाँ कोई दर्शनीय या पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थल न हो।
#1 गया या बोध गया (Bodh Gaya)
गया (Gaya) बिहार राज्य का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। इस नगर का हिन्दू, बौद्ध और जैन धर्मों में गहरा ऐतिहासिक महत्व है। शहर का उल्लेख रामायण और महाभारत में भी मिलता है।
विष्णुपद मंदिर (Vishnupad Temple)
फल्गु नदी के पश्चिमी किनारे पर स्थित यह मंदिर पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय है। पितृपक्ष के अवसर पर यहां श्रद्धालुओं की काफी भीड़ जुटती है। इस मंदिर का 1787 में इंदौर की महारानी अहिल्या बाई ने नवीकरण करवाया था। और पढ़ें: भगवान विष्णु दशावतार
यह मंदिर 30 मीटर ऊंचा है जिसमें आठ खंभे हैं। इन खंभों पर चांदी की परतें चढ़ाई हुई है। मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु के 40 सेंटीमीटर लंबे पांव के निशान हैं।
महाबोधि मंदिर (Mahabodhi Temple)
इस मंदिर की बनावट सम्राट अशोक द्वारा स्थापित स्तूप के समान हे। इस मंदिर में बुद्ध की एक बहुत बड़ी मूर्त्ति स्थापित है। यह मूर्त्ति पदमासन की मुद्रा में है। यहां यह अनुश्रुति प्रचिलत है कि यह मूर्त्ति उसी जगह स्थापित है जहां बुद्ध को ज्ञान निर्वाण (ज्ञान) प्राप्त हुआ था। मंदिर परिसर के दक्षिण-पूर्व दिशा में प्राकृतिक दृश्यों से समृद्ध एक पार्क है जहां बौद्ध भिक्षु ध्यान साधना करते हैं।
अद्भुत शिव मंदिर, चोवार गॉव (Shiv temple Choar Village)
चोवार गया शहर से 35 किलोमीटर पूर्व में एक गाँव है। इस गाँव में एक बहुत ही प्राचीन शिव मंदिर है जहा सैकड़ो श्रद्धालु बाबा बालेश्वरनाथ के ऊपर जल चढाते है पर आजतक ये जल कहाँ जाता है कुछ पता नहीं चलता है। और पढ़ें:जानें, शिवलिंग का रहस्य
अद्भुत ताड़ का पेड़: इस गाँव में एक अद्भूत ताड़ का पेड़ भी है। इस ताड की खास बात ये है कि ताड का पेड़ भगवान के त्रिशुल के तरह त्रिशाखायुक्त है! दूर-दूर से लोग इस पेड़ को देखने के लिये आते हैं।
तिब्बतियन मठ (Bodhgaya Math)
महाबोधि मंदिर के पश्चिम में पांच मिनट की पैदल दूरी पर स्थित है। जोकि बोध गया का सबसे बड़ा और पुराना मठ है इसे 1934 ई॰ में बनाया गया था।
बाबा सिद्धनाथ मंदिर (Baba sidhnath Temple)
बराबर पर्वत पर सिद्ध नाथ तथा दशनाम परंपरा के नागाओं के प्रमुख आस्था का केन्द्र है सिद्धनाथ मंदिर, पास में ही नारद लोमस आदि ऋषियों की गुफायें हैं। माना जाता है कि इन गुफाओं मे प्राचीन ऋषियों ने तप किया था।
#2 पटना (Patna)
पटना (Patna) बिहार राज्य का एक ऐतिहासिक नगर है और राज्य की राजधानी है। यह बिहार का सबसे बड़ा नगर भी है। पटना का प्राचीन नाम पाटलिपुत्र, पुष्पपुरी और कुसुमपुर था।
सभ्यता द्वार – इसमें बिहार राज्य तथा पाटलिपुत्र की परम्पराओं और प्राचीन संस्कृति की महिमा दिखाने के उद्देश्य से बनाया गया है। यहाँ प्रवेश पूर्णतः निःशुल्क है। यहां शाम को काफी पर्यटक आते हैं।
पटना तारामंडल– पटना के इंदिरा गांधी विज्ञान परिसर में स्थित है। इसका नाम वरिष्ठ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस नेता और भारत के पूर्व प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी के नाम पर रखा गया है। तारामंडल में खगोल विज्ञान से संबंधित विषयों पर नियमित फिल्म शो हैं। इसमें प्रदर्शनी भी होती है, जो बहुत से आगंतुकों को आकर्षित करती है।
अगम कुँआ – मौर्य वंश के शासक सम्राट अशोक के काल का एक कुआँ गुलजा़रबाग स्टेशन के पास स्थित है। इस कुँए का निर्माण चक्रवर्ती सम्राट अशोक मौर्य (304-232 ईसा पूर्व) की अवधि तक की थी। इसके समीपवर्ती शीतला देवी मंदिर भी है जहाँ लोक देवता शीतला देवी की वंदना की जाती है।
कुम्हरार – चंद्रगुप्त मौर्य, बिन्दुसार तथा अशोक कालीन पाटलिपुत्र के भग्नावशेष को देखने के लिए यह सबसे अच्छी जगह है। कुम्रहार परिसर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा संरक्षित तथा संचालित है और सोमवार को छोड़ सप्ताह के हर दिन 10 बजे से 5 बजे तक खुला रहता है।
क़िला हाउस (जालान हाउस) – दीवान बहादुर राधाकृष्ण जालान द्वारा शेरशाह के किले के अवशेष पर निर्मित इस भवन में हीरे जवाहरात तथा चीनी वस्तुओं का एक निजी संग्रहालय है।
तख्त श्रीहरमंदिर साहेब – पटना सिखों के दसमें और अंतिम गुरु गोविन्द सिंह की जन्मस्थली है। गुरु गोबिंद सिंह का जन्म 26 दिसम्बर 1666 शनिवार को 1.20 पर माता गुजरी के गर्भ से हुआ था। नवम गुरु श्री तेगबहादुर के पटना में रहने के दौरान गुरु गोविन्दसिंह ने अपने बचपन के कुछ वर्ष पटना सिटी में बिताए थे। यह स्थल सिक्खों के लिए अति पवित्र है।
महावीर मन्दिर – संकटमोचन रामभक्त हनुमान मन्दिर पटना जंक्शन के ठीक बाहर बना है। यह देश के सर्वोत्तम और प्राचीन हनुमान मन्दिरों में से एक है। मन्दिर में हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं। न्यू मार्किट में बने मस्जिद के साथ खड़ा यह मन्दिर हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक भी है। और पढ़ें: हनुमान का रहस्य
गांधी मैदान – गांधी मैदान बिहार की राजधानी पटना में स्थित एक प्रख्यात और एतिहासिक मैदान हैं। यहाँ पर महात्मा गांधी का विश्व भर में सबसे लम्बी प्रतिमा स्थापित हैं। वर्तमान में जनसभाओं, सम्मेलनों तथा राजनीतिक रैलियों के अतिरिक्त यह मैदान पुस्तक मेला तथा दैनिक व्यायाम का भी केन्द्र है।
गोलघर – 1770 में आएं भयंकर अकाल के दौरान ब्रिटिश कैप्टन जान गार्स्टिन ने अनाज़ के (ब्रिटिश सेना के लिए) भंडारण के लिए इस गोल ढाँचा का निर्माण करवाया था। यह गोलाकार ईमारत अपनी खास आकृति के लिए प्रसिद्ध है। दो तरफ बनी सीढियों से ऊपर जाकर पास ही बहनेवाली गंगा और इसके परिवेश का शानदार अवलोकन संभव है।
गाँधी संग्रहालय – गोलघर के सामने बनी बाँकीपुर बालिका उच्च विद्यालय के बगल में महात्मा गाँधी की स्मृतियों से जुड़ी चीजों का नायाब संग्रह देखा जा सकता है।
श्रीकृष्ण विज्ञान केंद्र – गाँधी मैदान के पश्चिम भाग में बना विज्ञान परिसर स्कूली शिक्षा में लगे बालकों के लिए ज्ञानवर्धक केंद्र है। यह देश का पहला और इसके साथ-साथ बिहार का एकमात्र क्षेत्रीय विज्ञान केंद्र है। इसे वर्ष 1978 में स्थापित किया गया था और इसका नाम बिहार के पहले मुख्यमंत्री के नाम पर रखा गया।
पटना संग्रहालय – इसका निर्माण 1917 में अंग्रेजी शासन के समय हुआ था ताकि पटना और आसपास पाई गई ऐतिहासिक वस्तुओं को संग्रहित किया जा सके। जादूघर के नाम से भी जानेवाले इस म्यूज़ियम में प्राचीन पटना के हिन्दू तथा बौद्ध धर्म की कई निशानियां हैं। लगभग 30 करोड़ वर्ष पुराने पेड़ के तने का फॉसिल यहाँ का विशेष धरोहर है।
ताराघर – संग्रहालय के पास बना इन्दिरा गाँधी विज्ञान परिसर में बना ताराघर देश में वृहत्तम है।
ख़ुदाबख़्श लाईब्रेरी -खुदाबक़्श ओरियेन्टल लाइब्रेरी भारत के सबसे प्राचीन पुस्तकालयों में से एक है। अशोक राजपथ पर स्थित यह राष्ट्रीय पुस्तकालय 1891 में स्थापित हुआ था। यहाँ कुछ अतिदुर्लभ मुगल कालीन पांडुलपियां हैं।
सदाक़त आश्रम – इसकी स्थापना महात्मा गांधी ने 1921 में की थी। यह भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के आवासों में से एक था। वह सेवानिवृत्ति के बाद वहां रहे और अपने जीवन के अंतिम दिन वहीं बिताए। स्वतंत्रता के बाद, जयप्रकाश नारायण ने 1970 के दशक के दौरान सदाकत आश्रम से अपना ऐतिहासिक आंदोलन शुरू किया।
संजय गांधी जैविक उद्यान – इस पार्क को 1973 में एक चिड़ियाघर के रूप में जनता के लिए खोला गया था। वर्तमान में यह पार्क पटना का सबसे अधिक प्रिय पिकनिक स्थल है।
दरभंगा हाउस – इसे नवलखा भवन भी कहते हैं। इसका निर्माण दरभंगा के महाराज कामेश्वर सिंह ने करवाया था। गंगा के तट पर अवस्थित इस प्रासाद में पटना विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर विभागों का कार्यालय है। इसके परिसर में एक काली मन्दिर भी है जहां राजा खुद अर्चना किया करते थे।
बेगू हज्जाम की मस्जिद – यह पटना में सबसे पुरानी मस्जिद है। इस मस्जिद का निर्माण सन् 1489 में बंगाल के शासक अलाउद्दीन शाह द्वारा किया गया था।
पत्थर की मस्जिद – मुगल सम्राट जहांगीर के बेटे परवेजशाह ने वर्ष 1621 में इस मस्जिद का निर्माण करवाया था। अपने नाम के अनुरूप यह मस्जिद पूर्ण रूप से पत्थर की बनी हुई है
शेरशाह की मस्जिद – यह पटना शहर की सबसे बड़ी मस्जिद होने के साथ एक प्रमुख ऐतिहासिक स्थल भी है।अफगान शैली में बनी यह मस्जिद बिहार के महान शासक शेरशाह सूरी द्वारा 1540-1545 के बीच बनवाई गयी थी।
पादरी की हवेली, पटना पादरी की हवेली को सेंट मेरी का चर्च भी कहा जाता है और यह बिहार का सबसे पुराना चर्च है। सन 1772 में निर्मित बिहार का प्राचीनतम चर्च बंगाल के नवाब मीर कासिम तथा ब्रिटिस ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच की कड़वाहटों का गवाह है।
शहीद स्मारक, पटना – 15 अगस्त 1947 को बिहार के राज्यपालश्री जयराम दास दौलतराम ने अखण्ड बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. श्रीकृष्ण सिन्हा की उपस्थिति में शहीद स्मारक की आधारशिला रखी गयी थी।
इस स्मारक में सन् 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में शहीद हुए सात शहीदों की प्रतीमाएं हैं जो भारत की आजादी के लिए उनके बलिदान की याद दिलाता है। शहीदों के नाम निम्नलिखित हैं- उमाकान्त प्रसाद सिन्हा, रामानन्द सिंह, सतीश प्रसाद झा, जगत्पति कुमार, देविपदा चौधरी , राजेन्द्र सिंह, रामगोविन्द सिंह।
#3 नालंदा (Nalanda)
नालंदा प्राचीन भारत में उच्च शिक्षा का सर्वाधिक महत्वपूर्ण और विख्यात केन्द्र था। विवरणों से इस विश्वविद्यालय के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त होती है। यहाँ 10,000 छात्रों को पढ़ाने के लिए 2,000 शिक्षक थे। प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेनसांग ने 7 वीं शताब्दी में यहाँ जीवन का महत्त्वपूर्ण एक वर्ष एक विद्यार्थी और एक शिक्षक के रूप में व्यतीत किया था। प्रसिद्ध ‘बौद्ध सारिपुत्र’ का जन्म यहीं पर हुआ था।
मखदूम याहिया मनेरी का मकबरा: मखदूम याहिया मनेरी 13वीं सदी के एक मुस्लिम सूफी संत थे। पटना से 29 किमी दूर मनेर में स्थित एक मस्जिद के प्रांगण में इनका मकबरा बना है।
#4 राजगीर (Rajgir)
राजगीर (Rajgir) बिहार राज्य के नालंदा ज़िले में स्थित एक ऐतिहासिक नगर है। यह कभी मगध साम्राज्य की राजधानी हुआ करती थी, जिससे बाद में मौर्य साम्राज्य का उदय हुआ। राजगीर न केवल एक प्रसिद्ध धार्मिक तीर्थस्थल है बल्कि एक सुन्दर हेल्थ रेसॉर्ट के रूप में भी लोकप्रिय है।
राजगीर वन्यजीव अभ्यारण्य (Pant Wildlife Sanctuary)
पर्यावरण एवं वन विभाग द्वारा सन् 1978 में 35.84 वर्ग किलोमीटर के राजगीर अरण्य क्षेत्र को वन्यजीव अभ्यारण्य बना दिया गया था। राजगीर अभ्यारण्य में वनस्पतियों और वन्यप्राणियों की कई दुर्लभ प्रजातियां देखने को मिलती है।
पंच पहाड़ियों से घिरा राजगीर वन्यजीव अभ्यारण्य प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण और साथ ही अपने अंदर जैव-विविधता को समेटे हुए जिलें में एकलौता वन्यजीव आश्रयणी है।
गृद्धकूट पर्वत (Griddhraj Parvat)
इसका नाम गिद्ध (पक्षी) शब्द पर आधारित है क्योंकि यह पहाड़ एक बैठे हुए गिद्ध जैसी आकृति दिखाता है। ऐसा माना जाता है कि जहाँ महात्मा बुद्ध अक्सर आकर रहते थे और उपदेश दिया करते थे।
जापान के बुद्ध संघ ने इसकी चोटी पर एक विशाल “शान्ति स्तूप” का निर्माण करवाया है जो आजकल पर्यटकों के आकर्षण का मूख्य केन्द्र है। स्तूप के चारों कोणों पर बुद्ध की चार प्रतिमाएं स्थपित हैं।
लाल मन्दिर: इस मन्दिर में जैन धर्म के 20 वे तीर्थंकर भगवान मुनिसुव्रतनाथ स्वामी की काले वर्ण की 11 फुट ऊँची विशाल खडगासन प्रतिमा विराजमान है। मन्दिर में भगवान महावीर स्वामी का गर्भगृह भूतल के निचे बनाया गया है जहां जैन तीर्थयात्री आकर भगवान महावीर के पालने को झुलाते है तथा असीम शांति का अनुभव इस मन्दिर में होता है।
वीरशासन धाम: भगवान महावीर स्वामी की लाल वर्ण की 11 फुट ऊँची विशाल पद्मासन प्रतिमा यहाँ विराजमान है। इस मन्दिर में भगवान महावीर स्वामी के दिक्षा कल्याणक महोत्सव में विशाल जुलुस हर साल जैन धर्मावलम्बियों द्वारा निकाला जाता है।
दिगम्बर जैन मन्दिर (Digambar Jain Temple)
इसे धर्मशाला मन्दिर के नाम से भी जाना जाता है। यहां जैन धर्मावलम्बियों के ठहरने के लिए विशाल धर्मशाला है। इस मन्दिर में मूलनायक भगवान महावीर की श्वेत वर्ण पद्मासन प्रतिमा विराजमान है। वेदी में सोने तथा शीशे का काम कराया गया है, जो अलौकिक छँटा प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त 10 धातु की प्रतिमा, एक छोटी श्वेत पाषण की प्रतिमा एवं 2 धातु के मानस्तंभ है।
गर्भ गृह की बाहरी दिवाल के आले में बायीं ओर पद्मावती माता की पाषाण की मूर्ति है। इसके शिरोभाग पर पार्श्वनाथ विराजमान है एवं इसके दायीं ओर क्षेत्रपाल जी स्थित है। बायीं ओर की अलग वेदी में भगवान पार्श्वनाथ एवं अन्य प्रतिमायें अवस्थित है। मन्दिर शिखरबद्ध है एवं आकर्षक प्रवेशद्वार इसकी शोभा द्विगुणित करते है ।
गर्म जल का झरना (Hot spring)
वैभव पर्वत की सीढ़ियों पर मंदिरों के बीच गर्म जल के कई झरने हैं जहां सप्तकर्णी गुफाओं से जल आता है। इन झरनों के पानी में कई चिकित्सकीय गुण होने के प्रमाण मिले हैं। पुरुषों और महिलाओं के नहाने के लिए 22 कुन्ड बनाए गये हैं। इनमें “ब्रह्मकुन्ड” का पानी सबसे गर्म (45 डिग्री) होता है।
जरासंध की स्वर्ण गुफा (Jarasandh Cave, Rajgir)
यह स्थान प्राचीन काल में जरासंध का सोने का खजाना था। कहा जाता है कि इस पर्वत की गुफा के अन्दर अतुल मात्रा में सोना छुपा है और पत्थर के दरवाजे पर उसे खोलने का रहस्य भी किसी गुप्त भाषा में खुदा हुआ है। विद्वानों का कहना है कि यह शंख लिपि है जो बिंदुसार के शासन काल में चला करती थी।
विपुलाचल पर्वत (जैन मंदिर)
जैन धर्म के 24 वे तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी ने समस्त विश्व को “जिओ और जीने दो” दिव्य सन्देश विपुलाचल पर्वत से दिया था। पहाड़ों की कंदराओं के बीच बने 26 जैन मंदिरों को आप दूर से देख सकते हैं पर वहां पहुंचने का मार्ग अत्यंत दुर्गम है। लेकिन अगर कोई प्रशिक्षित गाइड साथ में हो तो यह एक यादगार और बहुत रोमांचक यात्रा साबित हो सकती है।
सप्तपर्णी गुफा (Saptaparni Cave)
सप्तपर्णी गुफा (या सत्तपर्णगुहा) राजगीरी की एक पहाड़ी में स्थित गुफा है। मान्यता अनुसार प्रथम बौद्ध संगीति का आयोजन इसी स्थान पर हुआ था। यहाँ गरम जल का एक स्रोत है जिसमें स्नान करने से स्वास्थ्य लाभ होता है।
मनियार मठ (Maniyar Math)
मनियार मठ राजगीर का एक और खुदाई स्थल है। यह एक अष्टकोणी मंदिर है, जिसकी दीवारें गोलाकार हैं। मनियार मठ के परिसर में आप विविध राजकुलों की छाप देख सकते हैं जैसे गुप्त राजकुल का धनुष। यह महाभारत में उल्लिखित मणि-नाग का समाधि स्थान माना जाता है।
#5 सुल्तानगंज (Sultanganj)
बिहार राज्य के भागलपुर जिला में स्थित एक ऐतिहासिक स्थल है। यह गंगानदी के तट पर बसा हुआ है। उत्तरवाहिनी गंगा होने के कारण सावन के महीने में लाखों काँवरिये देश के विभिन्न भागों से गंगाजल लेने के लिए यहाँ आते हैं
अजगैबीनाथ मंदिर (उत्तर दिशा में बहने वाली गंगा)
सुल्तानगंज में बाबा अजगबीनाथ का विश्वप्रसिद्ध और प्राचीन मन्दिर है। सुल्तानगंज उत्तर वाहिनी गंगा (उत्तर दिशा में बहने वाली गंगा) के लिए भी प्रसिद्ध है। मान्यता अनुसार जब भगीरथ के प्रयास से गंगा का स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतरण हुआ तो उनके वेग को रोकने के लिये साक्षात भगवान शिव अपनी जटायें खोलकर उनके प्रवाह-मार्ग में आकर उपस्थित हो गये। इस कारण से पूरे भारत में केवल यहाँ ही गंगा उत्तर दिशा में बहती है।
बाद में देवताओं की प्रार्थना पर शिव ने उन्हें अपनी जाँघ के नीचे बहने का मार्ग दे दिया। चूंकि शिव स्वयं आपरूप से यहाँ पर प्रकट हुए थे अत: श्रद्धालु लोगों ने यहाँ पर स्वायम्भुव शिव का मन्दिर स्थापित किया और उसे नाम दिया अजगवीनाथ मन्दिर। अर्थात एक ऐसे देवता का मन्दिर जिसने साक्षात उपस्थित होकर वह चमत्कार कर दिखाया जो किसी सामान्य व्यक्ति से सम्भव न था।
बौद्ध पुरावशेष (Buddhist Antiquities)
सुल्तानगन्ज हिन्दू तीर्थ के अलावा बौद्ध पुरावशेषों के लिये भी विख्यात है। सन 1853 ई० में रेलवे स्टेशन के अतिथि कक्ष के निर्माण के दौरान यहाँ से मिली बुद्ध की लगभग 3 टन वजनी ताम्र प्रतिमा आज बर्मिन्घम म्यूजियम में रखी है।
#6 सासाराम (Sasaram)
सासाराम (Sasaram), जिसे सहसराम (Sahasram) भी कहा जाता है। यह भारत के बिहार राज्य के रोहतास ज़िले में स्थित एक ऐतिहासिक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है। सूर वंश के संस्थापक अफ़ग़ान शासक शेरशाह सूरी का मक़बरा सासाराम में है
शेरशाह सूरी का किला: इसे स्वयं शेरशाह सूरी ने अपने जीवन काल में बनवाया था। यह अपने समय की कला का श्रेष्ठतम नमूना है। एक विशाल झील के मध्य उठे हुए चबूतरे पर बना यह मक़बरामखदूम याहिया मनेरी उत्तर भारत की श्रेष्ठ इमारतों में से एक कहा गया है। इस पर हिन्दू और इस्लामी कला का स्पष्ट प्रभाव देखा जा सकता है।
#7 सोनपुर (Sonpur)
सोनपुर (Sonpur) भारत के बिहार राज्य के सारण ज़िले में स्थित एक शहर है। यह गण्डकी नदी और गंगा नदी के किनारे बसा हुआ है। वर्ष 1991 में सोनपुर को अनुमंडल का दर्जा मिला।
सोनपुर पशु मेला: सोनपुर में विश्व का सबसे बड़ा पशु मेला लगता है। यह मेला नवम्बर में पटना के उसपार लगता है। यहाँ पर गाय, भैंस, बैल, बकरी, हाथी, घोड़ा इत्यादि बड़े पैमाने पर मिलते हैं। दूर-दूर से खरीद एवं बिक्री के लिए यहाँ पर लोग आते हैं।
#8 पावापुरी (Pawapuri)
पावापुरी (Pawapuri), जिसे पावा भी कहा जाता है, बिहार राज्य के नालंदा ज़िले जिले में राजगीर और बोधगया के समीप स्थित एक स्थान है। यह जैन धर्म के मतावलंबियो के लिये एक अत्यंत पवित्र शहर है क्यूंकि माना जाता है कि भगवान महावीर को यहीं मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। यहाँ कमल तालाब के बीच जल मंदिर विश्व प्रसिद्ध है।
जल मंदिर: मंदिर का निर्माण मूल रूप से महावीर के बड़े भाई राजा नंदीवर्धन ने लाल रंग के कमल के फूलों से भरे तालाब के भीतर करवाया था। यह पावपुरी के पांच मुख्य मंदिरों में से एक है, जहां “चरण पादुका ” या महावीर के पैर की छाप है। जलमंदिर की शोभा देखते ही बनती है। इसके अलावा यहां समोशरण मंदिर, मोक्ष मंदिर और नया मन्दिर भी दर्शनीय हैं।
#9 पूर्णिया (Purnia)
पूर्णिया (Purnia) भारत के बिहार राज्य के पूर्णिया ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय है और बिहार राज्य का पाँचवा सबसे बड़ा नगर है। यहां प्रमुख दर्शनित स्थल में पूरण देवी मंदिर और महर्षि मेंदी का जन्म स्थल मुख्य है।
#10 बरौनी (Barauni)
बरौनी (Barauni) भारत के बिहार राज्य के बेगूसराय ज़िले में स्थित एक क़स्बा है। यह गंगा नदी के किनारे बसा एक औद्योगिक क़स्बा है, जो बरौनी तेल शोधनागार एवं बरौनी थर्मल पावर स्टेशन के लिए प्रसिद्ध है।
निष्कर्ष (Conclusion)
बिहार पर्यटन (Bihar Tourism) की दृष्टि से भले ही राजस्थान या गोवा की तरह अधिक प्रसिद्व प्राप्त नही कर पाया हो। लेकिन बिहार को प्रकृति ने अप्रतिम सौंदर्य और असीमित पर्यटन स्थलों से नवाजा है।