Bishnupur (Manipur): History & Tourist Places in Hindi
बिष्णुपुर (Bishnupur) भारत के मणिपुर राज्य के बिष्णुपुर जिले का एक शहर है। इसका नाम शहर में स्थित एक प्राचीन विष्णु मंदिर से लिया गया है जिसे 15 वीं शताब्दी में स्थापित किया गया था।
राज्य | मणिपुर |
क्षेत्रफल | 530 वर्ग कि.मी. |
भाषा | मणिपुरी (मैतै) |
दर्शनीय स्थल /वस्तु | टेराकोटा मन्दिर, मदनमोहन मन्दिर, बांध, कला और हस्तशिल्प आदि। |
विशेष | पहले यहां पर मल्ला राजाओं का शासन था |
मणिपुर का विष्णुपुर अपने शानदार मन्दिरों, बांधों और उत्सवों के लिए पूर विश्व में प्रसिद्ध है। पहले इसका नाम लुमलांगडोंग था। विष्णुपुर का इतिहास गौरवशाली है। पहले यहां पर मल्ला राजाओं का शासन था और उन्होंने यहां पर कई मन्दिरों और बांधों का निर्माण कराया था।
इन मन्दिरों में पांच रत्न मन्दिर, जोरबंगला मन्दिर, मदनमोहन मन्दिर, लालबांध, कृष्णाबांध और पोकाबांध प्रमुख हैं। यह सभी मन्दिर व बांध बहुत खूबसूरत हैं और पर्यटकों को बहुत पसंद आते हैं। कहा जाता है कि जो भी पर्यटक इनको देखते हैं वह इनकी तारीफ किए बिना नहीं रह पाते।
टेराकोटा मन्दिर: मणिपुर का विष्णुपुर अपने मन्दिरों के लिए बहुत प्रसिद्ध है। इन मन्दिरों को टेराकोटा कलाकृतियों से सजाया गया है। विष्णुपुर के अधिकतर मन्दिरों का निर्माण सत्रहवीं और अठारहवीं सदी में मल्ला शासकों ने कराया था। इन मन्दिरों में श्याम राय का पांच रत्न मन्दिर और केष्टा राय का जोरबंगला मन्दिर प्रमुख हैं। यह दोनों मन्दिर बहुत खूबसूरत हैं और स्थानीय निवासियों में इन मन्दिरों के प्रति बहुत श्रद्धा है। वह पूजा करने के लिए प्रतिदिन इन मन्दिरों में आते हैं।
मदनमोहन मन्दिर: मदनमोहन मन्दिर विष्णुपुर का सबसे खूबसूरत और लोकप्रिय मन्दिर है। इसका निर्माण 1694 ई. में राजा रघुनाथ सिंह के पुत्र दुर्जन सिंह देव ने कराया था। मदनमोहन मन्दिर के निर्माण में एका रत्न शैली का प्रयोग किया गया है।
यह मन्दिर इतना खूबसूरत है कि इसकी खूबसूरती के सामने पांच रत्न मन्दिर और जोरबंगला मन्दिर की खूबसूरती भी फीकी पड़ जाती है। मन्दिरों की सजावट के लिए टेराकोटा शैली का प्रयोग सबसे पहले इसी मन्दिर में किया गया था। इनके अलावा इस मन्दिर की दीवारों पर रामायण और महाभारत की प्रमुख घटनाओं के चित्र भी देखे जा सकते हैं।
इन सब से अलग यहां पर हर वर्ष दिसम्बर माह में भव्य मेले का आयोजन भी किया जाता है। यह मेला चार दिन तक चलता है और इस मेले में स्थानीय निवासियों के साथ-साथ पर्यटकों की भारी भीड़ देखी जा सकती है।
बांध: मन्दिरों के अलावा विष्णुपुर में मनोहारी बांध और तालाब भी देखे जा सकते हैं। जिनमें लालबांध, कृष्णाबांध और पोकाबांध प्रमुख हैं। इन बांधों का निर्माण मल्ला राजाओं ने सत्रहवीं और अठारहवीं सदी में कराया था। मल्ला राजा इन बांधों का प्रयोग ग्रामीणों को जल आपूर्ति करने के लिए और युद्ध के समय दुश्मनों पर पानी छोड़ने के लिए किया करते थे।
कला और हस्तशिल्प: कला और बेहतरीन हस्तशिल्प के लिए विष्णुपुर को पूरे विश्व में जाना जाता है। यहां पर टेराकोटा शैली में कलाकृतियां बनाई जाती हैं जो बहुत खूबसूरत होती हैं और पर्यटकों को बहुत पसंद आती हैं।
इन कलाकृतियों की आकर्षक छटा मदनमोहन मन्दिर और श्याम राय मन्दिर में देखी जा सकता है। टेराकोटा कलाकृतियों के अलावा यहां पर उच्च गुणवत्ता का कपड़ा भी तैयार किया जाता है। इस कपड़े से सुन्दर साड़ियां बनाई जाती हैं जिनका आयात देश-विदेश में किया जाता है। इन साड़ियों का डिजाईन बड़ी बारीकी से तैयार किया जाता है जो बहुत खूबसूरत होता है।
कहां ठहरें: विष्णुपुर में पर्यटकों के ठहरने व खाने-पीने के लिए कोई खास विकल्प नहीं हैं। इसीलिए विष्णुपुर आने वाले पर्यटकों को आस-पास के होटलों में रूकना पड़ता है।
बिष्णुपुर कैसे पहुचें (How to Reach bishnupur)
वायु मार्ग: मणिपुर की राजधानी इम्फाल में हवाई अड्डे का निर्माण किया गया है। हवाई अड्डे से आसानी से विष्णुपुर तक पहुंचा जा सकता है।
रेल मार्ग: कोलकाता के हावड़ा रेलवे स्टेशन से विष्णुपुर 200 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। स्टेशन से यहां तक पहुंचने के लिए बस या टैक्सी ली जा सकती है।
सड़क मार्ग: राष्ट्रीय राजमार्ग 39 से बसों और निजी वाहनों द्वारा विष्णुपुर तक पहुंचना काफी आसान है।