चंपावत (Champawat)
उत्तराखंड का ऐतिहासिक नगर चंपावत जिला अपने आकर्षक मंदिरों और खूबसूरत वास्तुशिल्प के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। पहाड़ों और मैदानों के बीच से होकर बहती नदियां अद्भुत छटा बिखेरती हैं।
राज्य | उत्तराखंड |
क्षेत्रफल | 5 वर्ग किलो मी. |
ऊँचाई | 1615 मीटर |
भाषा | कुंमाऊंनी और हिन्दी |
पर्यटन स्थल | बालेश्वर मंदिर, नागनाथ मंदिर, मीठा रीठा साहिब, पूर्णागिरि मंदिर, श्यामलातल, पंचमेश्वर, देवी धुरा, लोहाघाट, अब्बोट माउंट आदि। |
यात्रा समय | किसी भी समय |
चंपावत उत्तराखंड राज्य में पूर्वी कुमाऊ प्रभाग में स्थित है। इस क्षेत्र के पूर्व में नेपाल क्षेत्र, दक्षिण में उधम सिंह नगर जिला, पश्चिम में नैनीताल जिला और उत्तर-पश्चिम में अल्मोडा जिला स्थित है।
चंपावत का इतिहास (History of Champawat)
History of Champawat:चंपावत कई सालों तक कुंमाऊं के शासकों की राजधानी रहा है। चांद शासकों के किले के अवशेष आज भी चंपावत में देखे जा सकते हैं। चंपावत आज़ादी के बाद अल्मोडा जिले का एक हिस्सा था। 1972 में पिथोरागढ़ जिले के तहत यह हिस्सा आ गया। 15 सितंबर 1997 में चंपावत को एक स्वतंत्र जिला घोषित कर दिया गया।
चंपावत के प्रमुख पर्यटन स्थल (Best Places to Visit in Champawat)
Tourist Places in Champawat: चंपावत में पर्यटकों को वह सब कुछ मिलता है जो वह एक पर्वतीय स्थान से चाहते हैं। वन्यजीवों से लेकर हरे-भरे मैदानों तक और ट्रैकिंग की सुविधा, सभी कुछ यहां पर है।
1. बालेश्वर मंदिर (Baleshwar Temple)
यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण चांद शासन ने करवाया था। इस मंदिर की वास्तुकला काफी सुंदर है। ऐसा माना जाता है कि बालेश्रवर मंदिर का निर्माण 10-12 ईसवीं शताब्दी में हुआ था।
2. नागनाथ मंदिर (Nagnath Temple Champawat)
इस मंदिर में की गई वास्तुकला काफी खूबसूरत है। यह कुंमाऊं के पुराने मंदिरों में से एक है।
4. मीठा-रीठा साहिब (Gurudwara Shri Reetha Sahib)
यह सिक्खों के प्रमुख धार्मिक स्थानों में से एक है। यह स्थान चम्पावत से 72 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कहा जाता है कि सिक्खों के प्रथम गुरू, गुरू नानक जी यहां पर आए थे। यह गुरूद्वारा जहां पर स्थित है वहां लोदिया और रतिया नदियों का संगम होता है।
गुरूद्वार परिसर पर रीठे के कई वृक्ष लगे हुए है। ऐसा माना जाता है कि गुरू के स्पर्श से रीठा मीठा हो जाता है। गुरूद्वारा के साथ में ही धीरनाथ मंदिर भी है। बैसाख पूर्णिमा के अवसर पर यहां मेले का आयोजन किया जाता है।
3. पूर्णनागिरी मंदिर (Purnagiri Temple)
पूर्णनागिरी मंदिर (Puranagiri Temple) पूर्णनागिरी पर्वत पर स्थित है। यह मंदिर टनकपुर से 20 किलोमीटर तथा चम्पावत से 92 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पूरे देश से काफी संख्या में भक्तगण इस मंदिर में आते हैं। इस मंदिर में सबसे अधिक भीड़ चैत्र नवरात्रों (मार्च-अर्प्रैल) में होती है। यहां से काली नदी भी प्रवाहित होती है जिसे शारदा के नाम से जाना जाता है।
5. श्यामलातल (Shyamlatal)
यह जगह चम्पावत से 56 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसके साथ ही यह स्थान स्वामी विवेकानन्द आश्रम के लिए भी प्रसिद्ध है जो कि खूबसूरत श्यामातल झील के तट पर स्थित है। इस झील का पानी नीले रंग का है। यह झील 1.5 वर्ग किलोमीटर तक फैली हुई है। इसके अलावा यहां लगने वाला झूला मेला भी काफी प्रसिद्ध है।
6. पंचेश्रवर (Pancheshwar Temple)
यह स्थान नेपाल सीमा के समीप स्थित है। इस जगह पर काली और सरयू नदियां आपस में मिलती है। पंचेश्रवर भगवान शिव के मंदिर के लिए अत्यंत प्रसिद्ध है। काफी संख्या में भक्तगण यहां लगने वाले मेलों के दौरान आते हैं। और इन नदियों में डूबकी लगाते हैं।
7. देवीधुरा (Devidhura)
यह जगह चम्पावत से 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह खूबसूरत जगह वराही मंदिर के नाम से जानी जाती है। यहां बगवाल के अवसर पर दो समूह आपस में एक दूसरे पर पत्थर फेकते हैं। यह अनोखी परम्परा रक्षा बन्धन के अवसर की जाती है।
8. लोहाघाट (Lohaghat)
यह ऐतिहासिक शहर चम्पावत से 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह स्थान लोहावती नदी के तट पर स्थित है। यह जगह अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए भी काफी प्रसिद्ध है। इसके अलावा यह स्थान गर्मियों के दौरान यहां लगने वाले बुरास के फूलों के लिए भी प्रसिद्ध है।
9. अब्बोट माउंट (Abbott Mount)
अब्बोट माउंट बहुत ही खूबसूरत जगह है। इस स्थान पर ब्रिटिश काल के कई बंगले मौजूद है। यह खूबसूरत जगह लोहाघाट से 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसके अलावा यह जगह 2001 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
10. बाणासुर का किला (Vanasur’s Fort)
बाणासुर का किला लोहाघाट से 7 किलोमीटर और चम्पावत से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जो कि समुद्र तल से 1859 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इस किले का निर्माण पुराने समय के राजा ने करवाया था।
इस किले से कुंमाऊं हिमालय के कई खूबसूरत नजारों को देखा जा सकता है। यहां से आप बर्फ से ढके पर्वतों का नजारा भी देखा जा सकते है जो कि मोतियों के हार की तरह दिखलाई पड़ता है।
चंपावत कैंसे पहुंचे (How to Reach Champawat)
हवाई अड्डा: सबसे नजदीकी हवाई अड्डा नैनी सैनी है। जो 80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
रेल मार्ग: सबसे करीबी रेलवे स्टेशन तंकपुर है। जो 75 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
सड़क मार्ग: चम्पावत कई सड़क मार्गो से जुड़ा हुआ है।