Chhindwara (M.P): History & Tourist Places in Hindi
छिंदवाडा़ (Chhindwara) भारत के मध्य प्रदेश राज्य में स्थित एक प्रमुख शहर है। यह जिले का मुख्यालय भी हैं। इस क्षेत्र में छिन्द (ताड़) के पेड़ बहुतायत में हैँ, इसीलिये इसका नाम छिंदवाड़ा पड़ गया।
Chhindwara: History, Facts & Tourist Places in Hindi | wiki
राज्य | मध्य प्रदेश |
क्षेत्रफल | 11,815 वर्ग किलोमीटर |
भाषा | हिंदी और इंग्लिश |
दर्शनीय स्थल | पातालकोट, देवघर किला, जनजातीय संग्रहालय, कुक्डी खापा और लिलाही झरना आदि। |
कब जाएं | नवम्बर से फरवरी। |
छिंदवाड़ा मध्य प्रदेश का एक ऐतिहासिक जिला है। छिंदवाडा जिला 1 नवम्बर 1956 ई. को बना था। यह जिला दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र के सतपुड़ा पर्वत पर स्थित है। छिंदवाड़ा जिला नागपुर जिले के दक्षिण, होशंगाबाद एवं नरसिंहपुर जिले के उत्तर, बेतुल जिले के पश्चिम और सिओनी जिले के उत्तर में स्थित है।
छिंदवाड़ा में कई पर्यटन स्थल हैं जैसे पटलकोट, देवघर किला, जनजातीय संग्रहालय और अनहोनी आदि। ऐसा माना जाता है कि किसी समय यह जगह छिंद वृक्षों से घिरी हुई थी, इसलिए इस जगह का नाम छिंदवाड़ा रखा गया।
पातालकोट (Patalkot)
पातालकोट छिंदवाड़ा जिले के तमिला ब्लॉक में स्थित है। यह जगह भौगोलिक एवं दर्शनीय दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। पातालकोट एक खूबसूरत लैंड स्कैप है। यह जगह घाटी से 1200-1500 फीट की गहराई में स्थित है।
संस्कृत में पटल का अर्थ होता है अधिक गहरा। इस जगह को ऊपर से देखने पर यह स्थान घोड़े की नाल के समान दिखलाई पड़ता है। ऐसा माना जाता है कि मेघनाथ ने इसी जगह पर भगवान शिव की उपासना की थी।
देवघर किला (Devaghar Kila)
यह काफी प्रसिद्ध किला है। ऐतिहासिक दृष्टि से भी यह किला काफी महत्वपूर्ण है। यह किला एक ऊंचे पर्वत पर बना हुआ है। इस किले के आस-पास की प्राकृतिक सुंदरता भी देखने योग्य है। 18वीं शताब्दी में यह जगह गोंड वंश की राजधानी थी। विभिन्न पुरातात्विक संरचनाएं जैसे महल, किला और अन्य इमारतें अपनी खूबसूरती के कारण अधिक संख्या में पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर खींचती है।
ऐसा माना जाता है कि यहां एक गुप्त भूतल है जिसका रास्ता देवघर से नागपुर तक जुड़ा हुआ है। इस रास्ते का प्रयोग राजा आपातकालीन स्थिति में किया करते थे। ऐसा माना जाता है देवघर को गोंड वंश के राजा जटावा ने निर्मित करवाया था। इस किले की बनावट काफी हद तक मुगल वास्तुकला से सम्बन्धित है।
जनजातीय संग्रहालय (Madhya Pradesh Tribal Museum)
छिंदवाड़ा स्थित जनजातीय संग्रहालय की शुरूआत 20 अप्रैल 1954 ई. में हुई थी। 1975 ई. में इस संग्रहालय को राज्य संग्रहालय का नाम दिया गया। लेकिन 8 सितम्बर 1997 ई. को इसका नाम बदल कर श्री बादल भोई जनजातीय संग्रहालय रख दिया गया। श्री बादल भोई इस जिले के क्रांतिकारी जनजातीय नेता थे।
उन्हीं के नाम पर इस संग्रहालय का नाम रखा गया। इस जनजातीय संग्रहालय को 15 अगस्त 2003 में सभी पर्यटकों के लिए खोल दिया गया। यह संग्रहालय पर्यटकों के लिए प्रतिदिन खुला रहता है। इस संग्रहालय में इस जिले में रहने वाले जनजातीय लोगों से जुड़े संरक्षित घरों के भण्डार और अनोखी वस्तुएं देखी जा सकती है।
यहां आप घर, कपड़े ,आभूषण, शस्त्र, कृषि उपकरण, कला, संगीत, नृत्य, धार्मिक गतिविधियां आदि चीजें देख सकते हैं। इस संग्रहालय में जनजातीय समुदायों की परम्परा और पुरानी संस्कृति की झलकियां भी देखने को मिलती है। इस जिले में गोंड और बेगा प्रमुख जनजातियां है।
गोटमार मेला (Formar Mela)
यह जगह छिंदवाड़ा से 65 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस मेले को काफी भिन्न तरीके से मनाया जाता है। जिस कारण इस मेले को गोटमार मेले के नाम से जाना जाता है। यह मेला प्रत्येक वर्ष नव चंदमा के दूसर दिन भद्रपद में मनाया जाता है। यह मेला जाम नदी के किनारे मनाया जाता है। इस नदी के केन्द्र में एक बड़ा सा वृक्ष है। इस वृक्ष के सबसे ऊपरी भाग में एक झंडा लगा हुआ है।
सावरगांव और पंदुराना गांव के स्थानीय निवासी इस नदी के किनारे एकत्र होते हैं और नदी के मध्य पहुंचने की कोशिश करते हैं। इस दौरान दोनों गांव के लोग एक-दूसरे पर पत्थर फेंकते हैं। इस प्रक्रिया में झंडे को पुन: वृक्ष के तने पर लगाना होता है। जो भी गांव झंडा लगाने में सफल होता है वहीं विजयी होता है। यह पूरी गतिविधि मां दुर्गाजी का गीत गाकर पूरी की जाती है।
कुक्डी खापा और लिलाही झरना (Kukadi Khapa WaterFall, Chhindwara)
कुक्डी खापा जलप्रपात सिल्लवनी पर्वत पर स्थित है। इस झरने की ऊंचाई लगभग 60 फीट है। इसके अलावा लिलाही जलप्रपात इस जिले की दूसरी बड़ी नदी है। यह झरना पर्वत एवं पहाड़ों से चारो ओर से घिरा हुआ है।
नीलकंठी मंदिर (Nilkanthi Mandir)
नीलकंठी मंदिर छिंदवाड़ा शहर के दक्षिण-पूर्व में 14 मील की दूरी पर स्थित है। मंदिर का प्रवेश द्वार 7वीं और 10वीं शताब्दी के बारे में बयां करता है। इस मंदिर का दरवाजा ब्रह्माणी शैली में बना हुआ है।
अनहोनी गांव (Anhoni village)
अनहोनी गांव झीरपा गांव से दो मील की दूरी पर स्थित है। इस गांव में पास में एक झील है जिसमें उबालता हुआ पानी बहता हे। ऐसा माना जाता है कि इस झील में स्नान करने से त्वचा संबंधी रोग ठीक हो जाता है।
छिंदवाड़ा कैसे पहुंचे (How To Reach Chhindwara)
वायु मार्ग: सबसे नजदीकी एयरपोर्ट नागपुर है। नागपुर से छिंदवाड़ा की दूरी 130 किलोमीटर है।
रेल मार्ग: सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन छिंदवाड़ा में स्थित है। इसके अलावा नागपुर में भी रेलवे स्टेशन है। नागपुर स्टेशन से छिंदवाड़ा बस या टैक्सी द्वारा भी जाया जा सकता है।
सड़क मार्ग: छिंदवाड़ा भारत के कई प्रमुख शहरों जैसे नागपुर, भोपाल और जबलपुर आदि से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है।
विभिन्न शहरों से दूरी: भोपाल- 256 किलोमीटर, नागपुर- 130 किलोमीटर, जबलपुर- 215 किलोमीटर।