Chitra Nakshatra: चित्रा नक्षत्र की सम्पूर्ण जानकारी
Chitra Nakshatra: चित्रा नक्षत्र 27 नक्षत्र में से 14 वा नक्षत्र है। यह राशिपथ में 173.20 से 186.40 अंशों के बीच स्थित है। इस नक्षत्र के प्रथम दो चरण कन्या राशि एवं शेष दो चरण तुला राशि में आते हैं। इसका एक तारा है।
यह नक्षत्रो में सबसे चमकीला है। यह समृद्धि, खुशहाली, वैभव का नक्षत्र है। इसके देवता त्वष्टा एवं स्वामी ग्रह मंगल है। इसके चरणाक्षर पे, पो रा, री है।
चित्रा नक्षत्र के विभिन्न चरणों के स्वामी इस प्रकार हैं-
- प्रथम चरण: सूर्य
- द्वितीय चरणः बुध
- तृतीय चरणः शुक्र
- चतुर्थ चरणः मंगल
चित्रा नक्षत्र (पौराणिक मान्यता)
चित्रा नक्षत्र के देवता विश्वकर्मा है। विश्वकर्मा, ब्रह्मा के पुत्र है और विश्वकर्मा वास्तुकला के देवता के रूप मे पूजे जाते है। हिन्दू पौराणिक मान्यता के अनुसार दुनिया का निर्माण कार्य विश्वकर्मा ने ब्रह्मा के आदेश पर ही किया था। इनके चार हाथ है। एक हाथ मे पुस्तक, दूसरे मे पात्र, तीसरे मे फंदा, चौथे में कारीगरों के उपकरण है।
विशेषताएँ
यह अत्यधिक आध्यात्यमिक नक्षत्र है। जातक लगन से कार्यकारी, रोम रहित, चमकीले आकर्षक नेत्र वाला, विपरीत लिंग परप्रभावी होता है। स्त्री को सुखद वैवाहिक जीवन हेतु जन्म पत्रिका मिलान कर विवाह करना चाहिये।
ये बेहद बुद्धिमान, शांतिप्रिय तथा अंतर्ज्ञान शक्ति से संपन्न होते हैं। अक्सर उन्हें स्वप्न में भावी का ज्ञान हो जाता है।
- महात्मागांधी (राष्ट्रपिता, भारत)
- चार्ली चैपलिन (ब्रिटिस हास्य अभिनेता 20 वीसदी)
- बिल गेटस (संस्थापक माइक्रोसॉफ्ट)
- हिलेरी क्लिंटन (अमेरिकन राजनीतिज्ञ)
क्या करे क्या न करें?
अनुकूल कार्य: यह नक्षत्र आरोग्य, कला, आध्यात्मिकता, जडी-बूटी संचय, सजावट, अलंकरण आदि गतिविधियो के लिए अनुकूल है।
प्रतिकूल कार्य: यह नक्षत्र विरोध, आमना-सामना, जाच पडताल, विवाह के लिए प्रतिकूल हैं।
प्रस्तुत फल जन्म नक्षत्र के आधार पर है। कुंडली में ग्रह स्थिति अनुसार फल में अंतर संभव है। अतः किसी भी ठोस निर्णय में पहुंचने के लिए सम्पूर्ण कुंडली अध्यन आवश्यक है।