Chitrakoot Tourism: चित्रकूट के दर्शनीय स्थल और मंदिर
चित्रकूट, भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के चित्रकूट ज़िले में स्थित एक नगर है। यह उस जिले का मुख्यालय भी है। चित्रकूट वह स्थान है जहां वनवास के समय श्री रामजी ने निवास किया था। चित्रकूट सदा से ही तपोभूमि रही है। महर्षि अत्रि का आश्रम यहीं था।

चित्रकूट में मुनियों का एक प्रकार से एक बड़ा समाज था और उसके संचालक थे महर्षि अत्रि। यहां की पूरी भूमि उन देयोत्तर पुरुषों की पद-रज से पवित्र है। चित्रकूट भगवान श्री राम की नित्य-क्रीड़ा भूमि है। वे न कभी चित्रकूट छोड़ते हैं और न ही अयोध्या। वहां वे नित्य निवास करते हैं। और पढ़ें: रामायण के प्रमुख पात्र
चित्रकूट माहात्म्य (chitrakoot mythological Importance in Hindi)
रामायण में गोस्वामी तुलसीदास ने लिखा है- ‘कलियुग ने समस्त संसार पर अपना जाल बिछा दिया, परंतु प्रभु की कृपा से चित्रकूट उससे मुक्त है। उनके इस कथन से महर्षि वाल्मीकि के ये वचन भी प्रमाण है- मनुष्य जब तक चित्रकूट के शिखरों का अवलोकन करता रहता है, तब तक वह कल्याण मार्ग पर चलता रहता है तथा उनका मन मोह-अविवेक में नहीं फंसता।” और पढ़ें: भगवान विष्णु के दशावतार
दो मील दूर भीमकुंड है। कहा जाता है कि परीक्षित को राज्य देकर पांडव इसी मार्ग से हिमालय गए थे। यहां बैजू नाम के एक भक्त हो गए हैं। पहले बैजू की पूजा करके तब पांडवेश्वर की पूजा होती है। यहां शिवरात्रि पर मेला लगता है। और पढ़ें: महाभारत के प्रमुख पात्र
चित्रकूट धाम कैसे पहुंचें (How to Reach Chitrakoot in Hindi)
हवा मार्ग: चित्रकूट का नजदीकी विमानस्थल प्रयागराज है। खजुराहो चित्रकूट से 185 किलोमीटर दूर है। चित्रकूट में भी हवाई पट्टी बनकर तैयार है लेकिन यहाँ से उड़ानें अभी शुरू नहीं हुई हैं। लखनऊ और प्रयागराज हवाई अड्डों से भी चित्रकूट पहुँचा जा सकता है। प्रयागराज और लखनऊ से बस और ट्रेनें लगातार उपलब्ध हैं।
रेल मार्ग: चित्रकूट से 8 किलोमीटर की दूर कर्वी निकटतम रेलवे स्टेशन है। प्रयागराज, जबलपुर, दिल्ली, झांसी, हावड़ा, आगरा, मथुरा, लखनऊ, कानपुर, ग्वालियर, रायपुर वाराणसी आदि शहरों से यहाँ के लिए रेलगाड़ियाँ चलती हैं। इसके अलावा शिवरामपुर रेलवे स्टेशन पर उतकर भी बसें और टू व्हीलर लिए जा सकते हैं। शिवरामपुर रेलवे स्टेशन की चित्रकूट से दूरी 4 किलोमीटर है।
सड़क मार्ग: चित्रकूट के लिए दिल्ली, प्रयागराज, बांदा, झांसी, महोबा, कानपुर, छतरपुर,सतना, अयोध्या, लखनऊ, आदि शहरों से नियमित बस सेवाएँ हैं।
चित्रकूट में ठहरने के लिए होटल और धर्मशाला (Where to stay in chitrakoot)
चित्रकूट में ठहरने के लिए कई अच्छी-अच्छी धर्मशालाएं उपलब्ध हैं। यात्री मठों तथा मंदिरों में भी ठहर सकते हैं। कुछ धर्मशालाओं का विवरण इस प्रकार है
चित्रकूट के पर्यटन स्थल (Tourist Place in Chitrakoot)
चित्रकूट मंदाकिनी नदी के किनारे पर बसा भारत के सबसे प्राचीन तीर्थस्थलों में से एक है। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में 38.2 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला शांत और सुन्दर चित्रकूट, प्रकृति और ईश्वर की अनुपम देन है। चारों ओर से विंध्याचल पर्वत श्रृंखलाओं से घिरे चित्रकूट के प्रमुख दर्शनीय स्थल निम्न है-
#1 कामदगिरि की परिक्रमा
चित्रकूट में कामदगिरि की परिक्रमा तथा देवदर्शन ही मुख्य हैं। यहां के संपूर्ण तीर्थों के दर्शन 5 दिनों में सुगमता से हो जाते हैं। क्रम इस प्रकार है
पहले दिन: सीतापुर में राघव प्रयाग में स्नान, कामदगिरि की परिक्रमा तथा वहां के और सीतापुर के मंदिरों के दर्शन मार्ग लगभग 11 किलोमीटर।
दूसरे दिन: राघव प्रयाग में स्नान करके कोटितीर्थ, सीतारसोई, हनुमानधारा होकर सीतापुर लौट आएं। मार्ग लगभग 20 किलोमीटर।
तीसरे दिन: राघव प्रयाग में स्नान करके केशवगढ़, प्रमोदवन, जानकीकुंड, सिरसावन, स्फटिकशिला तथा अनसूया होते हुए बाबूपुर में रहें। मार्ग लगभग 16 किलोमीटर।
चौथे दिन: बाबूपुर से गुप्तगोदावरी जाकर स्नान करें और कैलाश पर्वत चौबेपुर में रहें। मार्ग लगभग 16 किलोमीटर।
पांचवें दिन: चौबेपुर से भरतकूप जाकर स्नान करें और राम शैया होकर सीतापुर लौटें। मार्ग लगभग 16 किलोमीटर।
#2 सीतापुर
यह छोटा-सा कस्बा है। यह पयोष्णी के किनारे है। पहले इसका नाम जैसिंहपुर था। यही चित्रकूट की मुख्य बस्ती है। यहां पयस्विनी पर चौबीस पक्के घाट हैं, जिनमें चार मुख्य हैं- 1. राघवप्रयाग, 2. कैलाश घाट 3. राम घाट 4. घृतकुत्या घाट।
#3 गोस्वामी तुलसीदास का निवास स्थान
गोस्वामी तुलसीदास के निवास के दो स्थान चित्रकूद में हैं। पहला स्थान रामघाट के पास गली में और दूसरा कामतानाथ (कामदगिरी) की परिक्रमा में चरण पादुका के पास। रामघाट के ऊपर यज्ञ वेदी है। कहते हैं, यहां ब्रह्माजी ने यज्ञ किया था। इसी मंदिर के जगमोहन में उत्तर ओर पर्णकुटी का स्थान है, जहां श्री राम वनवास के समय निवास करते थे। और पढ़ें: वाराणसी के तुलसी मानस मंदिर
#4 कामतानाथ (कामदगिरि)
सीतापुर से डेढ़ मील दूर कामतानाथ या कामदगिरि नाम की एक पहाड़ी है। यह अत्यंत पवित्र मानी जाती है। इस पर ऊपर नहीं चढ़ा जाता। इसी की परिक्रमा की जाती है। परिक्रमा तीन मील की है। पूरा परिक्रमा मार्ग पक्का है। परिक्रमा में पहला स्थान मुखारविंद है, जो अत्यंत पवित्र माना जाता है। इसके बाद छोटे-बड़े कई मंदिर मिलते हैं।
#5 चरणचिन्ह
चित्रकूट में कई स्थानों पर चरण चिन्ह मिलते हैं, जिनमें तीन मुख्य हैं- 1. चरण पादुका, 2. जानकीकुंड, 3. स्फटिकशिला।
#6 लक्ष्मण पहाड़ी
चरण पादुका के पास ही लक्ष्मण पहाड़ी है। इस पर लक्ष्मणजी का मंदिर है। ऊपर जाने के लिए लगभग 150 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है। कहा जाता है कि यह स्थान लक्ष्मणजी को प्रिय था। वे रात में यहीं बैठकर पहरा दिया करते थे।
#7 सीता रसोई / हनुमान धारा
चित्रकूट से पूर्व संकर्षण पर्वत है। इसी पर कोटि तीर्थ है। कोटि तीर्थ के समीप जाकर ऊपर चढ़ने पर चढ़ाई कम पड़ती है। कुछ उतरने पर हनुमान धारा है। यहां से एक पतली धारा हनुमानजी के आगे कुंड में गिरती है। हनुमान धारा से सौ सीढ़ी ऊपर सीता-रसोई है।
#8 जानकी कुंड
पयस्विनी नदी के किनारे बाएं तट से जाने पर पहले प्रमोद वन मिलता है। इसके चारों और पक्की दीवार तथा कोठरिया बनी हुई हैं। बीच में दो मंदिर हैं। प्रमोद वन से आगे पयस्विनी तट पर जानकी कुंड है। नदी तट पर श्वेत पत्थरों पर यहां बहुत से चरण चिन्ह हैं। कहते हैं कि यहां श्री जानकीजी प्रायः स्नान किया करती थीं।
#9 स्फटिक शिला
जानकीकुंड से डेढ़ मील पर स्फटिक शिला स्थान है। यहीं इंद्र के पुत्र जयंत ने कौए का रूप धारण करके श्री सीताजी को चोंच मारी थी। अब यहां दो शिलाएं हैं, जो पयस्विनी के तट पर हैं। इनमें बड़ी शिला पर श्री रामजी का चरण चिन्ह है।
#10 अनसूया (अत्रि आश्रम)
स्फटिक शिला से लगभग 5 मील और सीतापुर से 8 मील दूर दक्षिण की ओर पहाड़ी पर अनसूयाजी तथा महर्षि अत्रि का आश्रम है। यहां अत्रि-अनसूया, दत्तात्रेय, दुर्वासा और चंद्रमा की मूर्ति है। पास ही दूसरी पहाड़ी पर बहुत ऊपर हनुमानजी की मूर्तियां हैं। यात्री यहां दर्शन करके या तो सीतापुर लौट आते हैं। और पढ़ें: ऋषि अत्रि का रहस्य
#11 गुप्त गोदावरी
अनसूयाजी से 6 मील पर गुप्त गोदावरी है। यहां एक अंधेरी गुफा में 15-16 गज भीतर सीताकुंड है। इसमें झरने का जल सदा गिरता रहता है। यह कुंड कम गहरा है। गुफा के भीतर अंधेरा होने के कारण दीपक लेकर जाना पड़ता है।
#12 भरतकूप
यह चित्रकूट से चार मील दूर है। श्री राम राज्याभिषेक के लिए समस्त तीथों का जल भरतजी यहीं से ले गए थे। भरतकूप से थोड़ी दूरी पर भरतजी का मंदिर है।
#13 राम शैया
भरतकूप से सीतापुर लौटते समय यह स्थान मिलता है। एक शिला पर दो लेटने के चिन्ह है। मध्य में धनुष का चिन्ह है। कहते हैं सीता-रामजी ने यहां एक रात्रि विश्राम किया था।
#14 वाल्मीकि आश्रम
भगवान श्री राम जब प्रयाग से चित्रकूट की ओर चले थे, तब मार्ग में महर्षि वाल्मीकि के आश्रम पर पहुंचे थे। महर्षि ने ही श्री राम को चित्रकूट में निवास करने को कहा था।
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