Delhi Tourism: दिल्ली के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल
दिल्ली भारत की राजधानी ही नहीं पर्यटन का प्रमुख केंद्र भी है। दिल्ली 1483 वर्ग किलोमीटर में फैला जनसंख्या के तौर पर भारत का दूसरा सबसे बड़ा महानगर है। यहाँ की कुल जनसंख्या लगभग 1 करोड़ 70 लाख है।
दिल्ली के प्रमुख पर्यटन (List of Tourist Attractions in Delhi)
राजधानी होने के कारण भारतीय सरकार के अनेक कार्यालय, राष्ट्रपति भवन, संसद भवन आदि अनेक आधुनिक स्थापत्य के नमूने तो यहाँ देखे ही जा सकते हैं प्राचीन नगर होने के कारण इसका ऐतिहासिक महत्त्व भी है। दिल्ली का महाभारत कालीन नाम इन्द्रप्रस्थ था। इस काल में यहां पांडवों का साम्राज्य था। यह प्राचीन समय में गंगा के मैदान से होकर जाने वाले वाणिज्य पथों के रास्ते में पड़ने वाला मुख्य पड़ाव था।
इसी धरा पर आर्य सभ्यता का चहुंमुखी विकास हुआ, समय तूफानी पंख लगाकर उड़ता चला गया। जिसके प्रचंड वेग में इन्द्रप्रस्थ का अस्तित्व ही मिट गया और दिल्ली शहर का पौधा फूट पड़ा।
18वीं शताब्दी में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने लगभग पूरे भारत को अपने कब्जे में ले लिया। इन लोगों ने पहले कोलकाता को अपनी राजधानी बनाया, लेकिन 1911 में दिल्ली को भारत की राजधानी घोषित कर दिया।
इस प्रकार दिल्ली शहर को भारत वर्ष की राजधानी बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। लेकिन यह सब इतनी आसानी ने नहीं हुआ। इस दौरान काफी सियासती उठा-पटक हुई। आज भी उस उठा पटक के स्मृति चिन्ह वर्तमान दिल्ली में जगह-जगह मौजूद हैं।
#1 चिड़ियाघर (Zoo)
भारत के राजधानी दिल्ली में पुराना किले से लगे 176 एकड़ (71 हेक्टेयर) इलाका में फैला चिड़ियाघर एशिया के सबसे अच्छे चिड़ियाघरों में एक है। 1959 में बने इस चिड़ियाघर का डिजाइन श्रीलंका के मेजर वाइनमेन और पश्चिम जर्मनी के कार्ल हेगलबेक ने बनाया था। इस जैविक उद्यान में जानवरों और पक्षियों की 22000 प्रजातियां और 200 प्रकार के पेड़ हैं।
चिड़ियाघर में एक पुस्तकालय भी है जहां से पेड़, पौधों, पशु-पक्षियों के बारे में जानकारी ली जा सकती है। समय: गर्मियां में सुबह 8-शाम 6 बजे तक, सर्दियों में सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक। शुक्रवार को बंद रहता हैं।
#2 लाल किला (Red Fort, Delhi)
लाल क़िला, पुरानी दिल्ली के इलाके में स्थित, लाल बलुआ पत्थर से निर्मित है। किले को “लाल किला”, इसकी दीवारों के लाल-लाल रंग के कारण कहा जाता है। इस किले का निर्माण कार्य मुगल बादशाह शाहजहां ने 1639 ई. में शुरू करवाया व 1647 ई. में जा कर यह विशाल किला तैयार हुआ था।
सर्व प्रथम 15 अगस्त 1947 को पंडित नेहरू ने इस लाल किले पर भारतीय तिरंगे को लहराया था। तभी से हर साल स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर भारत के प्रधान मंत्री इसी लाल किले पर तिरंगा फहराते है।
यह अभेद्य ऐतिहासिक किला आज आर्मी के हाथों में है। अन्दर उनकी कुछ यूनिट तैनात भी हैं। लाल किला के सौंदर्य, भव्यता और आर्कषण को देखने दुनिया के कोने-कोने से लोग आते हैं। इस ऐतिहासिक किले को वर्ष 2007 में युनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल चयनित किया गया था।
#3 अक्षरधाम मंदिर (Akshardham Temple)
नई दिल्ली में बना स्वामिनारायण अक्षरधाम मन्दिर एक अनोखा सांस्कृतिक तीर्थ है। यह परिसर 100 एकड़ भूमि में फैला हुआ है। मंदिर का निर्माण सन् 2000 में शुरू हुआ, नवंबर 2005 में इसका कार्य पूरा हो गया और 6 नवंबर, 2005 को इसे जनता के लिए खोल दिया गया।
अक्षरधाम में होने रात को होने वाला वाला Light Show विशेष आकर्षण का केंद्र है। दिल्ली आने वाले किसी भी व्यक्ति की यात्रा तब तक पूरी नहीं हो सकती जब तक वह अक्षरधाम न जाए।
#4 जन्तर-मन्तर (Jantar Mantar)
दिल्ली का जन्तर मन्तर एक खगोलीय वेधशाला है। इसका निर्माण महाराजा जयसिंह द्वितीय ने 1724 में करवाया था। यह इमारत प्राचीन भारत की वैज्ञानिक उन्नति की मिसाल है। जय सिंह ने ऐसी वेधशालाओं का निर्माण जयपुर, उज्जैन, मथुरा और वाराणसी में भी किया था।
इससे सूर्य, चन्द्र व अन्य ग्रहों- नक्षत्रों की गतिविधि व समय मापने का काम किया जाता था। जो खगोल यंत्र राजा जयसिंह द्वारा बनवाये गए थे, उनकी सूची इस प्रकार से है:
- सम्राट यन्त्र
- सस्थाम्सा
- दक्सिनोत्तारा भित्ति यंत्र
- जय प्रकासा और कपाला
- नदिवालय
- दिगाम्सा यंत्र
- राम यंत्र
- रसिवालाया
# 5 राष्ट्रपति भवन (Rashtrapati Bhavan)
राष्ट्रपति भवन भारत सरकार के राष्ट्रपति का सरकारी आवास है। ब्रिटिश कालीन यह विशाल इमारत 330 एकड़ भूमि पर निर्मित हैं इसका निर्माण 1929 ई. में हुआ। इसके गुम्बदों पर बौद्ध व हिन्दू स्थापत्य शैली की छाप है। इस भव्य इमारत में कुल 340 कक्ष हैं।
राष्ट्रपति भवन में स्थित मुगल गार्डन अपनी खास विशेषता लिए है। यहां विभिन्न जातियों के फूलों की भरमार है। जनवरी व फरवरी के महीनों में यह उद्यान आम जनता के लिए खोल दिया जाता है।
#6 इण्डिया गेट (India Gate)
यह स्थल संसद भवन, सचिवालय, राष्ट्रपति भवन के मध्य स्थित है। 1931ई. में निर्मित यह इण्डिया गेट 42 मी. की ऊंचाई लिए है। इसकी विशेषता इस पर खुदे उन भारतीय फौजियों के नाम हैं जिन्होंने भारत की स्वतन्त्रता के लिए अपने प्राण न्यौछावर किये थे।
#7 कमल मंदिर (Lotus Temple)
लोटस टेंपल या कमल मंदिर, नेहरू प्लेस (कालकाजी मंदिर) के पास स्थित एक बहाई (ईरानी धर्मसंस्थापक बहाउल्लाह के अनुयायी) उपासना स्थल है।यह अपने आप में एक अनूठा मंदिर है। यहाँ पर न कोई मूर्ति है और न ही किसी प्रकार का कोई धार्मिक कर्म-कांड किया जाता है।
कमल के आकार का सफेद संगमरमर से बना विशालकाय यह मंदिर पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केन्द्र है। यहां प्रतिदिन देश और विदेश के लगभग आठ से दस हजार पर्यटक आते हैं। तथा ‘शांति प्रार्थना व ध्यान में भाग लेते हैं। यह सोमवार को बंद रहता है।
#8 कुतुब मीनार (Qutab Minar)
क़ुतुब मीनार, दक्षिण दिल्ली के महरौली भाग में स्थित एक प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल है। इसका निर्माण कार्य 1200 ई. में कुतुबद्दीन ने प्रारम्भ करवाया। लेकिन इसे पूर्ण करने का श्रेय कुतुबद्दीन के दामाद इल्तुमिश को जाता है। उसने इसका निर्माण कार्य 1236 ई. में पूर्ण करवाया।
कुतुब मीनार की ऊँचाई 72.5 मीटर (237.86 फीट) और व्यास 14.3 मीटर है, जो ऊपर जाकर शिखर पर 2.75 मीटर (9.02 फीट) हो जाता है। इसमें कुल 379 सीढियाँ हैं। मीनार पर संस्कृत के श्लोक उत्कीर्ण किये गये हैं जो आज भी स्पष्ट पढ़े जा सकते हैं, मीनार पर एक गरुड़ मूर्ति भी है। यह परिसर युनेस्को द्वारा विश्व धरोहर के रूप में स्वीकृत किया गया है।
दिल्ली के मनोरंजन पार्क, स्टेडियम और बाज़ार (Amusement Park, Stadium and shopping)
अप्पू घर (Pappu Ghar)
अप्पू घर भारत का पहला एम्यूजमेंट पार्क है। यह 15.5 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। इसका उदघाटन 19 नवम्बर 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्र राजीव गांधी ने किया था।
प्रगति मैदान से सटा हुआ अप्पू घर हर आयू के पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र है। यहां बने विभिन्न प्रकार के झूले आदि सभी का मन मोह लेते हैं।
चांदनी चौक (Chandni Chowk)
चांदनी चौक पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन के नजदीक स्थित है। यह 17 वीं शताब्दी में भारत के मुगल सम्राट शाहजहां द्वारा बनाया गया था, और इसका डिजाइन उनकी बेटी जहांआरा द्वारा तैयार किया गया था।
यह दिल्ली के थोक व्यापार का प्रमुख केंद्र है। पुराने समय में तुर्की, चीन और हॉलैंड के व्यापारी यहां व्यापार करने आते थे। यहां की गलियां संकरी हैं। इसलिए यहां गाड़ी लेकर न आने की सलाह दी जाती है।
कनॉट प्लेस (Connaught Place)
कनॉट प्लेनस दिल्ली का प्रमुख व्यीवसायिक केंद्र है। इसका नाम ब्रिटेन के शाही परिवार के सदस्यप ड्यूक ऑफ कनॉट के नाम पर रखा गया था।
इस मार्केट का डिजाइन डब्यू एच निकोल और टॉर रसेल ने बनाया था। यह मार्केट अपने समय की भारत की सबसे बड़ी मार्केट थी। अपनी स्थापना के लगभग 70 साल बाद भी यह दिल्ली में खरीदारी का प्रमुख केंद्र है।
दिल्ली हाट (Dilli haat)
नई दिल्ली में सफदरजंग अस्पताल व I.N.A कालोनी के पास स्थित एक प्रमुख पर्यटन क्षेत्र हैं। यहां हस्त शिल्प और सांस्कृतिक गतिविधियों का मिला-जुला रूप देखने को मिलता है। विभिन्न प्रांतों के कारीगर यहां प्रदर्शनी लगाते रहते हैं।
दिल्ली हाट में मिलने वाले स्वादिष्ट व्यंजन भी इसे खास बनाता है। 1994 में जब दिल्ली हाट की शुरुआत हुई थी तब देश के सभी पच्चीस राज्यों को यहाँ व्यंजन की दुकानें उपलब्ध करायी गई थीं ताकि यहाँ आने वाले लोग दूसरे प्रांतों के व्यंजनों का भी स्वाद ले सकें।
प्रगति मैदान (Pragati Maidan)
प्रगति मैदान, राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय प्रदर्शनियों का केन्द्र है। पूरा परिसर छोटे छोटे प्रदर्शनी हॉल में विभाजित है। यह परिसर खासकर हर साल लगने वाले विश्व पुस्तक मेला एवं इंटरनेशनल ट्रेड फेयर के लिये मशहूर है। इसके अलावा यहां वर्ष भर अन्य मेले भी समय-समय पर लगते रहते हैं।
फिरोजशाह कोटला (Feroz Shah Kotla)
फ़िरोज़ शाह कोटला या कोटला सुल्तान फ़िरोज़ शाह तुगलक द्वारा बनाया गया एक किला था। जिसे फ़िरोज़ाबाद नामक दिल्ली शहर के अपने संस्करण को रखने के लिए बनाया गया था।
फिरोजशाह कालीन यहां अब कुछ नहीं है। अब यह केवल एक सुविख्यात खेल का मैदान ही है। स्टेडियम का पहले नाम फ़िरोज़ शाह कोटला ग्राउण्ड था किन्तु मोदी सरकार ने इसका नाम पूर्व वित्त मन्त्री श्री अरुण जेटली जी केे नाम पर अरुण जेटली स्टेडियम कर दिया। यहाँ क्रिकेट खेला जाता हैं।
गार्डन ऑफ फाइव सेंसिस (The Garden of Five Senses)
यह एक खूबसूरत और विशाल गार्डन है। इसका निर्माण दिल्ली पर्यटन विकास निगम ने किया था। 20 एकड़ क्षेत्र में फैला यह बाग अलग-अलग हिस्सों में बंटा हुआ है। एक ओर खास बाग है जो मुगल गार्डन की तर्ज पर बनाया गया है। यहां पर फूलों के पौधे और फव्वारे लगे हुए हैं। दूसरी ओर खाने-पीने और खरीदारी का इंतजाम है। यहां समय-समय पर कार्यक्रम आयोजित होते रहते हैं।
तालकटोरा गार्डन (Talkatora Garden)
यह एक ऐतिहासिक जगह है। यहीं पर 1738 में मुगलों ने मराठों को हराया था। पुराने समय में यहां एक कुंड और स्वीमिंगपूल था। इसलिए इस जगह का नाम तालकटोरा रखा गया। यह गार्डन बड़ी संख्या में पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। विशेष रूप से वसंत ऋतु में यहां पर्यटकों की संख्या में वृद्धि हो जाती है। यह सभी दिन खुला रहता है।
दिल्ली के धार्मिक स्थल (Places of worship in Delhi)
दिल्ली में लगभग सभी धर्म ग्रंथो के धार्मिक स्थल है। यदि सभी धार्मिक स्थल को सूचीबद्ध किया जाए तो एक पृथक ग्रंथ लिखा जा सकता है। इसलिए यहां पर सिर्फ प्रसिद्ध और धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण तीर्थो का वर्णन किया जा रहा है-
कालकाजी मंदिर (Kalkaji temple)
कालकाजी मंदिर, एक प्राचीन हिंदू मंदिर है, जो माँ पार्वती के अवतार काली को समर्पित है। इस इलाके का नाम कालकाजी मंदिर के नाम पर ही पड़ा है। यह प्रसिद्ध कमल मंदिर (Lotus Temple) और इस्कॉन मंदिर (Iskcon Temple) के नजदीक है। और पढ़ें: कालका जी मंदिर
काली बाड़ी मंदिर (Kali Bari Temple)
दिल्ली के बिड़ला मंदिर के निकट स्थित एक हिन्दू बंगाली समुदाय का मन्दिर है। यह मंदिर काली मां को समर्पित है। नवरात्रि के दौरान यहां भव्य समारोह आयोजित किया जाता है।
काली बाड़ी मंदिर दिखने में छोटा और साधारण अवश्य है लेकिन इसकी मान्यता बहुत अधिक है। भारत वर्ष के कोने-कोने से बंगाली दर्शनार्थी यहां मां का दर्शन करने आते हैं। शनिवार को यहां विशेष भीड़ रहती है।
लक्ष्मी नारायण मन्दिर (Birla Mandir)
भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को समर्पित यह मंदिर दिल्ली के प्रमुख मंदिरों में से एक है। इसका निर्माण 1938 में राजा बलदेव दास बिड़ला द्वारा करवाया गया था और इसका उद्घाटन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने किया था।
इस मंदिर को बिड़ला मंदिर भी कहा जाता है। इसी नाम से इसकी विशेष पहचान भी है। बिड़ला मंदिर अपने यहाँ मनाई जाने वाली जन्माष्टमी के लिए भी प्रसिद्ध है।
छतरपुर मंदिर (Chhattarpur Temple)
छतरपुर मंदिर, दिल्ली के दक्षिण में एक डाउन टाउन क्षेत्र में स्थित यह मंदिर देवी कात्यायनी को समर्पित है । मंदिर का पूरा परिसर 70 एकड़ के विस्तृत क्षेत्र में फैला हुआ है। यह कुतुब मीनार से सिर्फ 4 किमी (2.5 मील) दूर है। यह मंदिर दक्षिण भारतीय भवन शैली में बना है। वैसे वर्ष भीड़ रहती है लेकिन नवरात्रि तथा त्यौहारों के दिन श्रद्धालुओं को अधिक चहल-पहल रहती है।
श्री बंगला साहिब (Gurdwara Sri Bangla Sahib)
गुरुद्वारा बंगला साहिब दिल्ली के सबसे महत्वपूर्ण गुरुद्वारों में से एक है। यह नई दिल्ली के बाबा खड़गसिंह मार्ग पर गोल मार्किट, नई दिल्ली के निकट स्थित है।
सिक्ख सम्प्रदाय के आठवें गुरु गुरु हर किशन जो राजा जयसिंह के मेहमान रूप में यहां ठहरे थे। यह गुरुद्वारा उसी स्मृति में बनवाया गया। यह अपने स्वर्ण मंडित गुम्बद शिखर से एकदम ही पहचान में आ जाता है।
गुरुद्वारा रकाबगंज (Gurudwara Rakabganj)
गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब नई दिल्ली में स्थित एक ऐतिहासिक गुरुद्वारा है। यह संसद भवन के निकट स्थित है। इसका निर्माण सन 1783 में किया गया था। इस स्थान पर 9 वें सिक्ख गुरु गुरु तेग बहादुर सिंह का दाह संस्कार हुआ था। वर्तमान समय में दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति का कामकाज इसी गुरुद्वारे से होता है।
दिल्ली के स्मारक (Memorials in Delhi)
इन सभी समाधि स्थलों पर आने वाले पर्यटकों के सिर इन राष्ट्र नायकों को सच्ची श्रद्धांजलि देने हेतु स्वतः ही झुक जाते हैं। इन स्थलों पर आने वाले पर्यटक यहां पुष्पांजलि अर्पित कर व परिक्रमा कर इन देश भक्तों के प्रति अपनी सच्ची भावनाओं को व्यक्त करते हैं।
राजघाट, महात्मा गांधी का समाधि स्थल (Raj Ghat Mahatma Gandhi Memorial Delhi)
इस स्थल पर महान नेता राष्ट्रपिता महात्मा गांधीजी की समाधि है। जनवरी, 1948 को उनकी हत्या हो जाने के बाद यही पर में उनका अन्तिम संस्कार किया गया था। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की समाधि पर उनके बलिदान को सच्ची श्रद्धांजली स्वरूप निरन्तर ज्योति जलती रहती है।
इन्दिरा स्मृति स्मारक (Indira Gandhi Memorial Museum)
1984 में सफदरजंग रोड स्थित अपने निवास स्थान पर ही महान भारतीय प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गांधी उन्हीं के सिक्यूरिटी गार्डस द्वारा गोलियों से छलनी कर हत्या कर दी गई। 27 मई, 1985 को उनके महान बलिदान की स्मृति में राष्ट्रीय स्मारक मंदिर की स्थापना की गई जिसके तहत उनके निवास स्थल को ही इन्दिरा स्मृति स्मारक के रूप में परिवर्तित कर दिया गया।
यह म्यूजियम तीन कमरों में विभाजित हैं म्यूजियम में वह वस्त्र भी संभाल कर रखे गये हैं जो शहीद होते समय उनके शरीर पर थे अन्य में कैन्टीन, लाइब्रेरी व अन्य सुविधाएं हैं।
नेहरु म्यूजियम (Nehru Memorial Museum & Library)
नेहरु स्मारक संग्रहालय एवं पुस्तकालय (Nehru Memorial Museum & Library (NMML) नयी दिल्ली स्थित एक संग्रहालय एवं पुस्तकालय है। यह तीन मूर्ति भवन के प्रांगण में स्थित है।
ब्रिटिश शासन काल में यहां ब्रिटिश सेनानायक रहा करता था। 1954 ई. से 1964 ई. तक जवाहर लाल नेहरू इस ब्रिटिश सेनानायक के भवन में रहे थे। नेहरू जी की मृत्यु के पश्चात् इस भवन को उनकी स्मृति में म्यूजियम का रूप दे दिया गया। इसकी स्थापना 1964 में जवाहरलाल नेहरू के देहान्त के उपरान्त किया गया था। यह भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अन्तर्गत एक स्वायत्त संस्था है।
शक्ति स्थल (Shakti Sthal, Raj Ghat)
भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गांधी का शहीदोपरान्त इसी स्थल पर अग्नि के सुपुर्द किया गया था। उस वीर नारी की वीरता व दृढ़ निश्चय के प्रतीक स्वरूप यहां एक विशाल शिलाखण्ड स्थापित किया गया है। जो उस महान नारी की बार-बार याद दिलाता है। और पढ़ें: इंदिरा गाँधी की जीवनी
शांतिवन (Shantivan)
शांतिवन भारत के प्रथम प्रधान मंत्री श्री जवाहर लाल नेहरू की समाधि स्थित है। 27 मई, 1969 को इसी स्थल पर प्रथम भारतीय प्रधानमंत्री व शांति दूत जवाहरलाल नेहरू को अग्नि के सुपुर्द किया गया था। शांति के अग्रदूत नेहरू जी को सच्ची श्रद्धांजलि देने के लिए इस स्थान के निर्माण में श्वेत सामग्री का अधिकाधिक प्रयोग किया गया है।
विजय घाट (Vijay Ghat)
विजय घाट, भारत के दूसरे प्रधानमंत्री श्री लालबहादुर शास्त्री की समाधि स्थल है। दिल्ली के रिंग मार्ग पर पड़ने वाला एक चौराहा है। इसे राजाराम मार्ग काटता है। विजय घाट स्मारक का नाम उस जीत के नाम पर रखा गया था, जिसने सन 1965 में पाकिस्तान के खिलाफ भारत का नेतृत्व किया था।
दिल्ली स्थित संग्रहालय (Museum in Delhi)
दिल्ली में बहुत सारें संग्राहलय स्थित है जिनमे से यहाँ कुछ प्रसिद्ध संग्राहलयों का वर्णन किया जा रहा है। अगर आप दिल्ली घुमने का मन बना रहे है, तो आपको निम्न संग्रहालयों में अवश्य जाना चाहिए-
राष्ट्रीय रेल संग्रहालय (National Rail Museum)
राष्ट्रीय रेल संग्रहालय, नई दिल्ली के चाणक्यपुरी में स्थित एक रेल संग्रहालय है, जो भारत की रेल धरोहर पर ध्यानाकर्षण करता है। यह लगभग 10 एकड़ (40,000 मी2) के क्षेत्र में फैला हुआ है।
यहाँ आप देश-विदेश के विभिन्न माडलों के नए पुराने रेल इंजनों का संग्रह देख सकते हैं। यहां पर रेल इंजनों के अनेक मॉडल और कोच हैं जिसमें भारत की पहली रेल का मॉडल और इंजन भी शामिल हैं। यहां एक छोटी रेलगाड़ी भी चलती है, जो कि संग्रहालय में पूरा चक्कर लगवाती है। इस संग्रहालय में विश्व की प्राचीनतम चालू हालत की रेलगाड़ी भी है, जिसका इंजन सन 1855 में निर्मित हुआ था। सोमवार के अलावा यह संग्रहालय नित्य खुला रहता है।
शिल्प संग्रहालय (National Crafts Museum)
शिल्प संग्रहालय, जिसका औपचारिक नाम राष्ट्रीय हस्तशिल्प एवं हथकरघा संग्रहालय है, नई दिल्ली के प्रगति मैदान परिसर में स्थित है। यह दिल्ली के प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक है। 21 दिसम्बर 1991 को भारत के राष्ट्रपति रामस्वामी वेंकटरमण ने विधिवत इसका उद्घाटन किया था। यह संग्रहालय लगभग 8 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है। विश्व भर के लाखों पर्यटक यहाँ भारत की परम्परागत शिल्प एवं कलाओं का सजीव अवलोकन करने आते हैं।
डॉल्स म्यूजियम (Shankar’s International Dolls Museum)
अंतर्राष्ट्रीय गुड़िया संग्रहालय दिल्ली, भारत में गुड़िया का एक बड़ा संग्रह है। इसकी स्थापना एक राजनीतिक कार्टूनिस्ट के. शंकर पिल्लई ने की थी। बहादुर शाह ज़फ़र मार्ग पर चिल्ड्रन बुक ट्रस्ट भवन में स्थित हैं।
संग्रहालय का फर्श क्षेत्र 5,184.5 वर्ग फुट (481.66 मीटर 2 ) है और यह पहली मंजिल के एक हिस्से पर स्थित है। 6,500 से भी अधिक की संख्या में पुतलों व गुड़ियों के एक जगह एकत्रित देखकर बड़े भी कुछ कम चकित नहीं होते।
राष्ट्रीय संग्रहालय (Rashtriya Sanghralay)
नई दिल्ली में राष्ट्रीय संग्रहालय, जिसे भारत के राष्ट्रीय संग्रहालय के रूप में भी जाना जाता है, भारत के सबसे बड़े संग्रहालयों में से एक है। 1949 में स्थापित, इसमें पूर्व-ऐतिहासिक युग से लेकर कला के आधुनिक कार्यों तक के विभिन्न लेख हैं।
इस म्यूजियम में पर्यटक अतीत की विभिन्न धरोहरों को एक स्थल पर एक साथ देख सकते हैं। संग्रहालय में कला के लगभग 200,000 काम हैं, जिनमें से ज्यादातर भारतीय हैं।
मुस्लिम शासकों के मकबरे और किले (Tombs and Forts of Muslim Rulers)
मकबरा, किसी को दफनाने के बाद उसके ऊपर बनाई गई ईमारत को कहते है। ऐसी प्रथा मुस्लिम एवं ईसाइयों में होती है। भारत में अधिकतर मुस्लिम बादशाहों के स्मारक मकबरे बने हैं।
सफदरजंग का मकबरा (Safdarjung Tomb)
सफदरजंग का मकबरा दिल्ली की प्रसिद्ध एतिहासिक इमारतों में से एक है। यह मकबरा दक्षिण दिल्ली में श्री औरोबिंदो मार्ग पर लोधी मार्ग के पश्चिमी छोर के ठीक सामने स्थित है। इस मकबरे का निर्माण 1745 ई में नवाब मिर्जा मुकीम अबुल मंसूर खान की याद में सफदर के पुत्र शुजाऊदौला द्वारा करवाया गया था।
हुमायूं का मकबरा (Humayun’s Tomb)
हुंमायूं एक मुगल बादशाह था जिसकी मृत्यु शेर मंडल पुस्तकालय की सीढ़ियों से गिर कर हुई थी। हुमायूं का मकबरा उनकी पत्नी हाजी बेगम ने हुमायूं की याद में बनवाया था। 1562-1572 के बीच बना यह मकबरा आज दिल्ली के प्रमुख पर्यटक स्थलों में एक है। यह मकबरा यमुना नदी के किनारे संत निजामुद्दीन औलिया की दरगाह के पास स्थित है। यूनेस्कों ने इसे विश्वश धरोहर का दर्जा दिया है।
तुगलकाबाद किला (Tughlakabad Fort)
तुगलकाबाद का किला दक्षिणी दिल्ली में दिल्ली व हरियाणा बार्डर पर स्थित है। तुग़लक़ाबाद का क़िला, दिल्ली के सात शहरों में से तीसरा शहर है। इसके अवशेष प्रसिद्ध कुतुब मीनार से 8 कि॰मी॰ पूर्व में स्थित हैं। इसके पास ही घियास उद दीन तुगलक का मकबरा भी बना हुआ है, जो लाल बलुआ पत्थर का बना है।
तुगलकाबाद शहर की स्थापना गयासुद्दीन तुगलक ने 1321 ई. में किया था। इस विशाल विस्तृत किले में 13 प्रवेश द्वार थे जो चारों ओर से किले को सुरक्षित रखते थे। अतीत की यह अमूल्य धरोहर जीर्ण शीर्ण अवस्था में अपनी अंतिम सांसे ले रही है। ऐतिहासिक महत्त्व के इस स्थल को पुरातत्व ने अपने सरंक्षण में ले लिया है।
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