Dewas (M.P): History & Tourist Places in Hindi
देवास (Dewas) भारत के मध्य प्रदेश राज्य का का एक शहर है। यह जिले का मुख्यालय भी है। यहां चामुण्डा माता और तुलजा भवानी माता के प्रसिद्ध मन्दिर हैं जिसके दर्शन के लिये लोग दूर-दूर से आते हैं।
Dewas: History, Facts & Tourist Places in Hindi | wiki
राज्य | मध्य प्रदेश |
क्षेत्रफल | 7020 वर्ग किमी |
भाषा | हिंदी और इंग्लिश |
दर्शनीय स्थल | धाराजी, गिद्य खोह, किट्टी, खिओनी वन्यजीव अभ्यारण्य, मटमोर आदि। |
संबंधित लेख | मध्य प्रदेश के प्रमुख दर्शनीय स्थल |
कब जाएं | अक्टूबर से मार्च। |
मालवा के पठार पर स्थित मध्य प्रदेश का देवास जिला 7020 वर्ग किमी. के क्षेत्र में फैला हुआ है। यह जिला अपनी संस्कृति और स्वच्छ पर्यावरण के लिए जाना जाता है। मालवी गीत यहां की प्रमुख सांस्कृतिक गतिविधि है।
विवाह, मेलों, समारोहों में गाए जाने वाले यहां के लोकगीत काफी लोकप्रिय हैं। 18वीं शताब्दी में स्थापित इस नगर का प्रमुख दर्शनीय स्थल नामावर है, जहां जंगली जानवरों की विविध प्रजातियां देखी जा सकती हैं। देवास उज्जौन से करीब 36 किमी. की दूर स्थित है
देवास के प्रमुख दर्शनीय स्थल (Best Places To visit in Dewas)
धाराजी- नर्मदा नदी के तट पर स्थित धाराजी एक धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व वाला स्थान है। इसके निकट ही नर्मदा नदी पर एक खूबसूरत झरना भी देखा जा सकता है। अमावस्या के मौके श्रद्धालु बड़ी संख्या में यहां आते हैं। कहा जाता है कि अमावस्था के मौके पर यहां आने वाले की समस्त दुष्ट शक्तियों का अंत हो जाता है। यहां का शिवलिंग बेहद पवित्र माना जाता है।
गिद्य खोह- देवस का यह खूबसूरत स्थल इंदौर-नेमावर रोड़ पर स्थित है। हरी-भरी घाटी से घिरा यहां का आकर्षक झरना सैलानियों को बहुत पसंद आता है। यह झरना करीब 600 फीट की ऊंचाई से गिरता है। बरसात के मौसम में सैलानी बड़ी संख्या में यहां आते हैं।
किट्टी- यह एक खूबसूरत पिकनिक स्थल है जो बिजवारा गांव से लगभग 8 किमी. दूर है। पवित्र नर्मदा नदी यहां सात हिस्सों में बंट जाती है। किट्टी से 9 किमी. दूर फतेहगढ़ किला है, जिसे शेरशाह सूरी ने बनवाया था। किट्टी में पर्यटकों के ठहरने के लिए गेस्ट हाउस की व्यवस्था है।
खिओनी वन्यजीव अभ्यारण्य- इस अभ्यारण्य की स्थापना 1955 में की गई थी। 123 वर्ग किमी. के क्षेत्र में फैला यह अभ्यारण्य शुष्क वनों से घिरा हुआ है। खासकर टीक और बांस के पेड़ यहां बहुतायत मात्रा में है। इनके अलावा चीतल, सांभर, नीलगाय, चौसिंहा, वाइल्ड बोर, बार्किंग डीयर आदि जंगली जानवरों को यहां देखा जा सकता है। पक्षियों की विविध प्रजातियां भी यहां देखी जा सकती है। अप्रैल से जून का समय यहां आने के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है।
मटमोर- बगली के निकट स्थित यह पवित्र गांव देवस से करीब 50 किमी. दूर है। मटमोर इस जिले का प्रमुख जैन तीर्थस्थल है। श्री मनीभद्र वीर मंदिर इस गांव का प्रमुख दर्शनीय स्थल है। मंदिर में तीर्थयात्रियों के आराम के लिए कमरों की व्यवस्था है। साथ ही एक पुस्तकालय और ओल्ड ऐज केन्द्र भी यहां देखा जा सकता है।
गंधावल- गंधामल पुरातात्विक दृष्टि से जिले का एक लोकप्रिय स्थान है। यहां का प्राचीन गंधर्व सेन मंदिर 11वीं से 12वी शताब्दी तक पुराना माना जाता है। इसके अलावा अनेक प्राचीन मूर्तियां यहां से प्राप्त हुई हैं। गंधामल का सती स्टोन और स्मारक स्तंभ यहां के अन्य दर्शनीय स्थल है। स्तंभ में प्राचीन अभिलेख मुद्रित हैं, जिन्हें अब तक पढ़ा नहीं जा सका है।
नेमावर- यह देवास जिले का महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है। माना जाता है कि परशुराम के पिता जगदाग्नि ने यहां तपस्या की थी। रेणुका जी का मंदिर, सिद्धनाथ का प्राचीन मंदिर और सूर्यकुंड स्थित भगवान विष्णु की प्रतिमा नेमावर का मुख्य आकर्षण हैं।
देवास कैंसे पहुंचे (How To Teacher Dewas)
वायु मार्ग- इंदौर का देवी अहिल्या बाई होल्कर और भोपाल एयरपोर्ट देवस के निकटतम एयरपोर्ट हैं। देश के अनेक बड़े शहरों से यहां के लिए नियमित फ्लाइट्स हैं।
रेल मार्ग- देवास रेलवे स्टेशन मध्य प्रदेश और देश के अनेक शहरों से रेलमार्ग द्वारा जुड़ा है।
सड़क मार्ग- राष्ट्रीय राजमार्ग 3 देवस से होकर जाता है। यह राजमार्ग देवस को अन्य महत्वपूर्ण शहरों से जोड़ता है। राज्य परिवहन निगम की बसें देवस के लिए चलती हैं।
कहां ठहरें- देवास में ठहरने के लिए होटलों का अभाव है। देवस से 36 किमी. दूर उज्जैन में होटलों की उचित व्यवस्था है।