Dhar (M.P): History & Tourist Places in Hindi
धार (Dhar) भारत के मध्य प्रदेश राज्य में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है। इस शहर की स्थापना परमार राजा भोज ने की थी।
Dhar: History & Tourist Attraction in Hindi
राज्य | मध्य प्रदेश |
क्षेत्रफल | 8,153 km² |
भाषा | हिंदी और इंग्लिश |
दर्शनीय स्थल | धार किला, भोजशाला मस्जिद, फाडके स्टूडियो, मोहनखेडा, अमझेरा, बाघ गुफाएं आदि। |
संबंधित लेख | मध्य प्रदेश के दर्शनीय स्थल |
कब जाएं | नवंबर से मार्च। |
प्राचीन काल में धार नगरी के नाम से विख्यात मध्य प्रदेश के इस शहर की स्थापना परमार राजा भोज ने की थी। ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से यह मध्य प्रदेश का एक महत्वपूर्ण शहर है। यह मध्यकालीन शहर पश्चिमी मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में स्थित है। बेरन पहाड़ियों से घिर इस शहर को झीलों और हरे-भरे वृक्षों ने आच्छादित कर रखा है।
जिले में आठ राजस्व ब्लॉक (तहसील) हैं- धार, कुक्षी, बदनावर, सरदारपुर, गंधवानी, मनावर, धरमपुरी और डही। इसके 13 विकासखंड हैं- धार, नालछा, तिरला, सरदारपुर, बदनावर, कुक्षी, डही, बाग, निसरपुर, धरमपुरी, मनावर, गंधवानी और उमरबन। जिले में 1625 राजस्व ग्राम और 761 ग्राम पंचायत है।
धार के दर्शनीय स्थल (Places to visit in dhar in Hindi)
Dhar Tourist Places: धार के प्राचीन शहर में अनेक हिन्दू और मुस्लिम स्मारकों के अवशेष देखे जा सकते हैं। एक जमाने में मालवा की राजधानी रहा यह शहर धार किला और भोजशाला मस्जिद की वजह से पर्याप्त संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करने में सफल रहता है। साथ ही इसके आसपास अनेक ऐसे दर्शनीय स्थल हैं जो पर्यटकों को रिझाने में कामयाब होते हैं।
1. धार किला (Dhar Fort)
नगर के उत्तर में स्थित यह किला एक छोटी पहाड़ी पर बना हुआ है। लाल बलुआ पत्थर से बना यह विशाल किला समृद्ध इतिहास के आइने का झरोखा है, जो अनेक उतार-चढ़ावों को देख चुका है। 14वीं शताब्दी के आसपास सुल्तान मुहम्मद बिन तुगलक ने यह किला बनवाया था।
1857 के विद्रोह दौरान इस किले का महत्व बढ़ गया था। क्रांतिकारियों ने विद्रोह के दौरान इस किले पर अधिकार कर लिया था। बाद में ब्रिटिश सेना ने किले पर पुन: अधिकार कर लिया और यहां के लोगों पर अनेक प्रकार के अत्याचार किए। हिन्दु, मुस्लिम और अफगान शैली में बना यह किला पर्यटकों को लुभाने में सफल होता है।
2. भोजशाला मस्जिद (Bhoj shala Masjid)
भोजशाला मस्जिद, संस्कृत अध्ययन का केन्द्र और सरस्वती मंदिर के तौर पर स्थापित था, जिसे राजा भोज ने बनवाया था। लेकिन जब अलाउद्दीन खिलजी दिल्ली का सुल्तान बना तो यह क्षेत्र उसके साम्राज्य में मिल गया। उसने इस मंदिर को मस्जिद में तब्दील करवा दिया। भोजशाला मस्जिद में संस्कृत में अनेक अभिलेख खुदे हुए हैं जो इसके इसके मंदिर होने की पुष्टि करते हैं।
3. फाडके स्टूडियो (Fadke Studio Of Art)
प्रसिद्ध मूर्तिकार रघुनाथ कृष्ण फाडके 1933 में मुम्बई से धार आए थे। धार के महाराजा ने उन्हें मूर्तियां बनाने के लिए बुलवाया था। फाडके ने खांडेराव टेकरी में अपना स्टूडिया स्थापित किया जिसे बाद में फाडके स्टूडियो के नाम से जाना गया। फाडके को उनकी मूर्ति तत्व चिंतन के लिए 1961 में पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा गया।
1971 में उन्हें डॉक्टरट की उपाधि भी प्रदान की गई। उनके द्वारा बनाई गई मूर्तियों को धार, इंदौर, देवस, उज्जैन और मुम्बई में स्थापित किया गया है। फाडके और उनके अनुयायियों द्वारा बनाई गई अनेक मूर्तियों को फाडके स्टूडियो में रखा गया है।
4. मोहनखेडा (Mohan kheda)
मोहनखेडा एक पवित्र जैन तीर्थ स्थल के रूप में विख्यात है जो धार से लगभग 47 किमी. की दूरी पर है। इंदौर-अहमदाबाद हाइवे पर स्थित इस तीर्थस्थल की स्थापना पूज्य गुरूदेव श्री राजेन्द्र सुरीशस्वामी महाराज साहब ने 1940 के आसपास की थी। आचार्य देव श्री विद्याचन्द्र सुरीशश्वरजी महाराज साहब ने इसे नया और कलात्मक रूप प्रदान किया।
यहां के शोध शिखरी जिनालय में भगवान आदिनाथ की 16 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित है। साथ ही यहां बना समाधि मंदिर भी खासा लोकप्रिय है। यह मंदिर राजेन्द्र सुरीशश्वरजी, यतीन्द्र सुरीशश्वरजी और श्री विद्याचन्द्र सुरीशश्वरजी को समर्पित है।
5. अमझेरा (Amjhera)
धार से लगभग 40 किमी. दूर सरदारपुर तहसील में अमझेरा गांव स्थित है। इस गांव में शैव और वैष्णव संप्रदाय के अनेक प्राचीन मंदिर बने हुए हैं। यहां के अधिकांश शैव मंदिर महादेव, चामुंडा, अंबिका को समर्पित हैं। लक्ष्मीनारायण और चतुभरुजंता मंदिर वैष्णव संप्रदाय के लोकप्रिय मंदिर हैं। गांव के निकट ही ब्रह्म कुंड और सूर्य कुंड नामक दो टैंक हैं।
गांव के पास ही राजपूत सरदारों को समर्पित तीन स्मारक बने हुए हैं। जोधपुर के राजा राम सिंह राठौर ने 18-19वीं शताब्दी के बीच यहां एक किला भी बनवाया था। किले में इस काल के तीन शानदार महल भी बने हुए हैं। किले के रंगमहल में बनें भितिचित्रों से दरबारी जीवन की झलक देखने को मिलती है।
6. बाघ गुफाएं (Bagh Caves)
इन गुफाओं का संबंध बौद्ध मत से है। यहां अनेक बौद्ध मठ और मंदिर देखे जा सकते हैं। अजंता और एलोरा गुफाओं की तर्ज पर ही बाघ गुफाएं बनी हुई हैं। इन गुफाओं में बनी प्राचीन चित्रकारी मनुष्य को हैरत में डाल देती है। इन गुफाओं की खोज 1818 में की गई थी।
माना जाता है कि दसवीं शताब्दी में बौद्ध धर्म के पतन के बाद इन गुफाओं को मनुष्य ने भुला दिया था और यहां बाघ निवास करने लगे। इसीलिए इन्हें बाघ गुफाओं के नाम से जाना जाता है। बाघ गुफा के कारण ही यहां बसे गांव को बाघ गांव और यहां से बहने वाली नदी को बाघ नदी के नाम से जाना जाता है।
धार कैंसे पहुंचे (How to Reach Dhar, Madhya Prdesh)
वायु मार्ग- धार का निकटतम एयरपोर्ट इंदौर में है। यह एयरपोर्ट दिल्ली, मुम्बई, भोपाल और ग्वालियर आदि शहरों से नियमित फ्लाइटों के माध्यम से जुड़ा है।
रेल मार्ग- रतलाम और इंदौर यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन है। देश के प्रमुख शहरों से यह रेलवे स्टेशन अनेक रेलगाड़ियों के माध्यम से नियमित रूप से जुड़ा हुआ है।
सड़क मार्ग- धार मध्य प्रदेश के अनेक शहरों से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। इंदौर, मांडू, मऊ, रतलाम, उज्जैन और भोपाल से मध्य प्रदेश परिवहन निगम की नियमित बसें धार के लिए चलती हैं।