Diwali Facts: दिवाली से जुड़ी रोचक जानकारी
Diwali Interesting Facts: दिवाली, हिन्दू समुदाय का प्रमुख त्योहार है। यह पूरे भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। आज हम आपको दिवाली से जुड़े कुछ रोचक तथ्य बताने वाले है जिनके बारे में आपको पता होना चाहिए।
श्री राम वनवास से अयोध्या वापस लौटे थे
रामायण के अनुसार ये कार्तिक मास की अमावस्या के नए दिन की शुरुआत थी जब श्री राम रावण का वध करके माता सीता और लक्ष्मण जी के साथ अयोध्या वापिस लौटे थे। अयोध्या के नागरिकों ने पुरे राज्य को इस प्रकार दीपमाला से प्रकाशित कर दिया।
“रामायण” कथा के अनुसार उनके पिता राजा दशरथ के एक वचन (व्रत) के परिणामस्वरूप हुआ था। राजा दशरथ ने अपनी पत्नी कैकेयी को दो वर दिया था। कैकेयी ने इस वर का उपयोग करके अपने पुत्र भरत को राजा बनाने की मांग की, और राम को 14 वर्ष के वनवास में जाने के लिए कहा। राम, पिता के वचन का पालन करने के लिए पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष के वनवास में चले गए। जहां उन्होंने अनेक असुरों का नाश किया और अनेक भक्तों से मिले। इसके बाद, कार्तिक मास की अमावस्या तिथि (दिवाली के दिन) को अपना वनवास काल को पूरा करके अयोध्या लौटे। श्री राम के अयोध्या लौटने की खुशी में ही दिवाली का त्योहार बनाया जाता है। Read Also: रामायण के प्रमुख पात्र
देवी लक्ष्मी का प्राकट्य
कार्तिक मॉस की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को ही देवी लक्ष्मी जी का प्राकट्य: होना हुआ था। देवी लक्ष्मी जी समुन्दर मंथन में से अवतार लेकर प्रकट हुई थी।
कथा के अनुसार, देवासुर समुद्र मंथन के समय अमृत प्राप्ति के लिए देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र का मंथन किया। मंथन के परिणामस्वरूप, कई देवताएं और अमृत निकले, और देवी लक्ष्मी भी उनमें से एक थीं।
इस प्राकट्य के बाद, देवी लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को पति के रूप में चुना। तब से माता लक्ष्मी को विष्णु की सहायिका और धन, समृद्धि, और ऐश्वर्य की प्रतीक मानी जाती हैं।
कृष्ण ने नरकासुर से 16000 गोपियों को मुक्त करवाया था
इस दिन भगवन कृष्ण ने राक्षसों के राजा नरकासुर का वध कर उसके चंगुल से 16000 औरतों को मुक्त करवाया था।कथा इस प्रकार है..
पौराणिक कथा अनुसार, एक बार नरकासुर नामक दैत्यराज ने द्वारका पर हमला किया। उसकी बड़ी सेना थी और वह बहुत ही अत्यंत राक्षसी और दुर्जन था। उसने अपनी बलात्कारी प्रवृत्तियों के कारण 16000 गोपियों को अपने कब्जे में कर लिया था।
श्रीकृष्ण ने इस पर प्रतिक्रिया की और नरकासुर के साथ महायुद्ध का आयोजन किया। इस युद्ध में भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर को मार गिराया और उसकी सेना को पराजित किया।इसके बाद, भगवान श्रीकृष्ण ने उन 16000 गोपियों को उनके घर वापस भेजा और उनकी स्वतंत्रता को पुनः स्थापित किया।
इसी दिन पांडवो ने वनवास से घर वापस आए थे
कार्तिक अमावस्या अर्थात दीपावली के ही दिन पांडव अपना 12 साल का वनवास और 1 साल का अज्ञातवास काट कर वापिस हस्तिनापुर लौटे थे। जो की उन्हें चौसर (जुआ) में कौरवो द्वारा हराये जाने के परिणाम स्वरूप मिला था।
महाभारत अनुसार, जुए में बाजी हारने के बाद कौरवों ने पांडवों के लिए 12 वर्ष का वनवास और 1 साल का अज्ञातवास मांगा। Read Also: महाभारत के प्रमुख पात्र
शकुनी मामा के नेतृत्व में कौरवों की इस चाल के पीछे द्वापरयुग का एक प्रशासनिक नियम था। इस नियम के मुताबिक, यदि कोई राजवंशी 13 साल के लिए अपना राजकाज छोड़ देता है तो वह शासन का अधिकार खो देगा।
इसलिए कौरवों ने पांडवों को 12 वर्ष के वनवास और 1 वर्ष के अज्ञातवास पर भेजा। यदि अज्ञातवास में पांडव को पहचान लिया जाता तो भी उन्हे दुबारा 12 वर्ष का वनवास और 1 वर्ष अज्ञातवास में जाना पड़ता।
राजा विक्रमादित्य का राजतिलक हुआ था
विक्रमादित्य” (57 ईसा पूर्व – 19 ईस्वी), जिन्हें विक्रमसेन के नाम से भी जाना जाता है। आज ही के दिन राज्याभिषेक हुआ था। इनका साम्राज्य पश्चिम में वर्तमान सिंध से लेकर पूर्व में वर्तमान बंगाल तक फैला हुआ था, जिसकी राजधानी उज्जैन थी। इसी कारण दीपावली अपने आप में एक ऐतिहासिक घटना भी है।
राजा विक्रमादित्य नाम, ‘विक्रम’ और ‘आदित्य’ के समास से बना है जिसका अर्थ सूर्य के समान पराक्रमी’ है। विक्रमादित्य के पराक्रम को देखकर ही उन्हें महान सम्राट कहा गया और उनके नाम की उपाधि कुल 14 भारतीय राजाओं को दी गई। Read Also: उज्जैन के पर्यटन स्थल
विक्रमादित्य की सर्वाधिक लोकप्रिय दो कथा-श्रृंखलाएं वेताल पंचविंशति (बेताल पच्चीसी) और सिंहासन-द्वात्रिंशिका (सिहांसन बत्तीसी) के नाम से भी विख्यात हैं)।
आर्य समाज के संस्थापक दयानंद सरस्वती की पुण्य तिथि
आर्य समाज के संस्थापक दयानंद सरस्वती जी की मृत्यु 30 अक्टूबर 1873 को दीपावली के दिन सन्ध्या के समय हुई थी।
दयानन्द सरस्वती ने 10 अप्रैल सन् 1875 ई. (चैत्र शुक्ला 5 शनिवार सम्वत् 1932 विक्रमी) को मुम्बई में आर्यसमाज की स्थापना की थी। स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने हिंदुत्व का अस्तित्व बनाये रखने के लिए आर्य समाज की स्थापना की थी। ‘वेदों की ओर लौटो’ यह उनका ही प्रमुख नारा था।
हरिमंदिर साहिब का शिलान्यास और गुरु हरगोबिन्द की जेल से मुक्ति
तीसरे सिख गुरु गुरु अमरदास जी ने लाल पत्र दिवस के रूप में मनाया था जिसमे सभी श्रद्धालु गुरु जी से आशीर्वाद लेने पहुंचे थे और 1577 में अमृतसर में हरिमंदिर साहिब का शिलान्यास किया गया था।
1619 में सिख गुरु हरगोबिन्द जी को ग्वालियर के किले में 52 राजाओ के साथ मुक्त किया गया था जिन्हें मुगल बादशाह जहांगीर ने नजरबन्द किया हुआ था। इसे सिख समाज बंदी छोड़ दिवस के रूप में भी जानते है।
महावीर स्वामी का निर्वाण दिवस
जैन धर्म के 24वे तीर्थकर महावीर स्वामी जी ने कार्तिक मास की अमावस्या अर्थात दीवाली के दिन ही मोक्ष प्राप्त किया था। इसलिए इसके अगले दिन जैन धर्म के अनुयायी नया साल मनाते हैं। इसे वीर निर्वाण संवत के नाम से भी जाना जाता है।