डॉ. राधाकृष्ण श्रीमाली
डॉ राधाकृष्ण श्रीमाली (Dr. RadhaKrishma Shrimali) ज्योतिष, हस्तरेखा और वास्तु के क्षेत्र में एक प्रसिद्ध नाम थे। इन्होंने ज्योतिष, वास्तु, मंत्र-तंत्र आदि विभिन्न विषयों पर 100 से अधिक पुस्तकें लिखी हैं।
Quick Info:-
- नाम:- डॉ. राधाकृष्ण श्रीमाली पुत्र स्व. श्री मुलतान चंद्र श्रीमाली
- जन्म:- 15 अक्टूबर, 1939
- कार्य:- ज्योतिष, 100 से अधिक पुस्तक के रचियता
डॉ राधाकृष्ण श्रीमाली
डॉ राधा कृष्ण श्रीमाली का जन्म 15 अक्टूबर 1939 को शारदीय नवरात्री की तृतिया तिथि रविवार के दिन गोधुली वेला में मरूभूमि फलोदी ननिहाल में महाकर्मकाण्डी, वैदज्ञ, तन्त्र अध्येता पं. मुलतान चंद्र दवे के घर में रूपा देवी के गर्भ से द्वितीय पुत्र के रूप जन्म हुआ था।
श्रीमाली जी की माता धार्मिक, सरल हृदया, सौम्य स्वभाव युक्त परिश्रमी महिला थीं, वहीं मामा कर्मकाण्डी, वेद-वेदांगो के प्रणेता, आध्यात्मवाद थे, उन्हीं की देखरेख में, छत्र-छाया में प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा हुई। जहां प्रातः उठते ही वेद ध्वनि होती थी। श्रीमाली जी ने 8 वर्ष की आयु में ही रूद्राभिषेक कंठस्थ कर लिया था।
डॉ. श्रीमालीजी ने एम ए, बी. एड तक शिक्षा अच्छे अंको से प्राप्त की। ज्योतिष, कर्मकाण्ड आदि का शौक प्रारंभ से ही था। 1973 में कुसुम प्रकाशन, इलाहाबाद से पहली पुस्तक प्रकाशित हुई।
श्रीमाली जी की लेखनी बहुआयामी थी। उन्होंने ज्योतिष गणित, फलित, उपासना, रत्न, तन्त्र, मन्त्र, यन्त्र, रमल, अंक विज्ञान, योग, दशाफल, लॉटरी, हस्त रेखा, स्त्रोत, स्वप्न, शकुन, शरीर लक्षण, चाणक्य नीति, भृर्तहरि शतक, भृगु संहिता. वंद वेदांग, नक्षत्र-विज्ञान, प्रश्न विज्ञान, प्रश्न ज्योतिष, गोचर पद्धति, शाबर मन्त्र आदि विषयों पर 100 से अधिक पुस्तकों लिखी।
डा. श्रीमालीजी कई वर्षों तक ज्योतिष एवं वेद-त्रेदांग की लोकप्रिय पत्रिका ‘विश्व तन्त्र ज्योतिष’ का निरन्तर प्रकाशन कर ज्योतिष मन्त्र-तन्त्र-यन्त्र के गूढ़ रहस्यों को उजागर इतनी सरल भाषा मे किया कि सामान्य पाठक भी इसका लाभ उठा सिद्धि प्राप्त कर सकें।
श्रीमाली जी को पचास से अधिक स्वर्ण, रजत पदक और मालदीप द्वारा ‘डाक्टर ऑफ ऐस्ट्रालोजी’ से सम्मानित किया गया था।
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