Ekambareswar Temple: श्री एकाम्बेरेश्वर मंदिर, कांचीपुरम
एकाम्बेरेश्वर मंदिर (Ekambareswar Temple) या एकाम्बरनाथ मंदिर भारत के तमिलनाडु राज्य के कांचीपुरम नगर में स्थित भगवान शिव को समर्पित एक हिंदू मंदिर है।

श्री एकाम्बेरेश्वर मंदिर, कांचीपुरम (Ekambaranathar Temple, Tamil Nadu)
एकाम्बेरेश्वर मंदिर दक्षिण भारत के सबसे ऊँचे मंदिरों में से एक है।यह मंदिर 40 एकड़ के क्षेत्र मैं फैला है। इसका प्रवेश द्वार 172 फीट ऊंचा है।
एकाम्बरेस्वरार मंदिर का निर्माण पल्लव राजाओं ने किया था और उसके बाद चोल वंश तथा विजयनगर राजाओं ने इसे बाद में फिर तैयार किया। इस मंदिर परिसर में अनेक धार्मिक स्थल हैं। इस मंदिर की ऐतिहासिक महत्ता भी है क्योंकि इसने अनेक युद्धों में एक किले के रूप में सेवा की है। और पढें: शिव द्वादश ज्योतिर्लिंग का रहस्य
एकम्बरनाथर मंदिर में पंच मुख्य शिव मंदिर सभी प्राकृतिक तत्वों का प्रतिनिधित्व करते है। शिव मंदिर में एक विष्णु तीर्थ है और विष्णु का नाम नीलातिंगल टुंडट्टन है। मंदिर में चाँदी और सोने की परत चढ़े हुए हैं। मंदिर में स्थित 1000 स्तम्भों का मंडप विशेष आकर्षण का केंद्र है।
एकाम्बेरेश्वर का उत्सव: फाल्गुनी महोत्सव एकमबेश्वर का सबसे महत्वपूर्ण मंदिर त्योहार है। यह 13 दिनों की अवधि के लिए मनाया जाता है और इस त्योहार के दौरान शिव और पार्वती की शादी होती है।
पैराणिक मान्यता (Mythological Believe)
ऐसा माना जाता है कि यहां अनेक वर्षों से एक आम का पेड़ है जो लगभग 3500 से 4000 वर्ष पुराना है और इस पेड़ की हर शाखा पर अलग-अलग रंग के आम लगते हैं और इनके स्वाद भी अलग-अलग हैं। इसी पेड़ के नीचे मां पार्वती ने भगवान शिव की पूजा भी की थी। और माता पार्वती शिव जी को प्रपात करने के लिए उसी आम के पेड़ के नीचे मिटटी या बालू से ही एक शिवलिंग बना कर घोर तेपस्य करनी शरू कर दी। और पढ़ें: शिवलिंग का रहस्य
जब शिव ने ध्यान पर पार्वती जी को तेपस्य करते हए देखा तो महादेव ने माता पार्वती की परीक्षा लेने के उद्देश्य से अपनी जटा से गंगा जल से सब जगह पानी पानी कर दिया। जल के तेज गति से पूजा मे बाधा पड़ने लगी तो माता पार्वती ने उस शिवलिंग जिसकी वह पूजा कर रही थी उसे गले लगा लिया जिसे से शिव लिंग को कोई नुकसान न हो। और पढें: कैसे करें, शिव को प्रसन्न
भगवान शंकर जी यह सब देख कर बहुत खुश हए और माता पार्वती को दर्शन दिये। शिव जी ने माता पार्वती से वरदान मांगने को कहा तो माता पार्वती ने विवाह की इच्छा व्यक्त की। महादेव ने माता पार्वती से विवाह कर लिया। आज भी मंदिर के अंदर वह आम का पेड़ हरा भरा देखा जा सकता है। माता पार्वती और शिव जी को समर्पित यह मंदिर एकबारनाथ मंदिर है। और पढ़ें: शिव पूजन में ध्यान रखने