फेंग शुई प्रश्नोत्तरी | Feng Shui FAQ
विश्व भर में ‘फेंग शुई’ (Feng Shui) यानी चीनी वास्तुशात्र का चलन बढ़ता जा रहा है। ऐसे मे जिज्ञासुओं के मन मे ढेरों प्रश्न आते है, जिसके बारे में नीचे बताया जा रहा है।

फेंग शुई अर्थ, उद्गम और विकास
प्रश्न- फेंग शुई क्या है?
उत्तर- फेंग शुई चीनी वास्तुशात्र है।
प्रश्न- फेंग शुई का शाब्दिक अर्थ क्या है?
उत्तर- फेंग शुई, ‘फेंग और शुई’ दो शब्दों से मिलकर बना है। फेंग का मतलब वायु (हवा) और शुई अर्थात जल (पानी) है।
प्रश्न- फेंग शुई का इतिहास कितना पुराना है?
उत्तर- फेंग शुई का इतिहास लगभग तीन हजार वर्ष पुराना और उद्गम स्थान चीन हैं। वास्तव में फेंग शुई भारतीय वास्तु शास्त्र का बिगड़ा हुआ स्वरूप है, जो तिब्बत से होता हुआ चीन पहुंचा।
फेंग सुई के मूलभूत सिद्धान्त
प्रश्न- क्या फेंग शुई एक विज्ञान है?
उत्तर- जी हां, अन्य विज्ञानों की भांति यह भी एक प्राचीन विज्ञान है।
प्रश्न-फेंग शुई का मुख्य सिद्धांत क्या है ?
उत्तर- फेंग शुई का मुख्य सिद्धांत वायु और जल से ग्रहण की गई पृथ्वी की प्राकृतिक शक्ति पर आधारित है। ये शक्तियाँ स्वास्थ्य, भाग्य और समृद्धि के लिए उत्तरदायी होती हैं।
प्रश्न:- ‘यन औऱ यांग’ (Yin- Yang) क्या हैं?
उत्तर:- व्यक्ति के जीवन में ‘यन’ और ‘यांग’ (Yin and Yang) का संतुलन आवश्यक माना गया है। ब्रह्मांड की समस्त वस्तुएँ यन व यांग ऊर्जाओं से मिलकर बनती हैं तथा ये ‘चि’ का निर्माण करती हैं।
प्रश्न:- ‘चि’ क्या है?
उत्तर:- “चि” एक ऐसी जीवन शक्ति है जो कि इस भौतिक जगत में हर मनुष्य के अंदर प्रवाहित होती है। यह शक्ति हमें आंतरिक प्रसन्नता प्रदान करती है। सकारात्मक चि हमे सुख, समृद्धि प्रदान करती है और नकारात्मक चि होने से जीवन से जीवन मे अशांति रहती है।
चिन्ह का आधा काला भाग शक्ति का ‘यीन’ भाग दर्शाता है इसके बीच में यांग का एक भाग है जो एक छोटे सफेद बिंदु द्वारा दर्शाया गया है। चिन्ह का सफेद भाग शक्ति का ‘यांग’ भाग दर्शाता है इस भाग में यन का भी एक छोटा भाग है जो काले बिंदु द्वारा दर्शाया गया है।
प्रश्न:- फेंगशुई का क्या उद्देश्य है?
उत्तर:- फेंगशुई का उद्देश्य यन व यांग में संतुलन बना कर व्यक्ति के जीवन को ज्यादा सफल व संतुष्ट बनाना है। यन व यांग ब्रह्माण्ड की विपरीत ऊर्जा हैं और एक दूसरे की विरोधी हैं। ये दोनों एक दूसरे के बिना अस्तित्वहीन भी हैं ब्रह्माण्ड एक वृत के रूप में है
प्रश्न- फेंग शुई में आस-पास के वातावरण की क्या भूमिका होती है?
उत्तर- फेंग शुई के अनुसार, एक वातावरण से दूसरे में जाने पर हमारे जीवन में बदलाव हो सकता है।
प्रश्न- फेंग शुई उपचार है या फिर विकल्प?
उत्तर- फेंग शुई किसी समस्या का शत-प्रतिशत उपचार अथवा समाधान प्रस्तुत नहीं करता अपितु उसके समाधान हेतु विकल्प प्रस्तुत करने में सहायता प्रदान करता है।
प्रश्न- फेंग शुई के पाँच तत्त्व कौन-कौन से हैं?
उत्तर- इसके पाँच तत्त्व हैं- लकड़ी, पृथ्वी, अग्नि, जल और धातु। ‘ची’ के उचित प्रवाह के लिए ये तत्त्व आवश्यक होते हैं।
प्रश्न- इन पाँच तत्त्वों का अभिप्राय क्या है?
उत्तर- लकड़ी करुणा का प्रतीक है, धातु ईमानदारी दरशाता है, अग्नि बुद्धिमत्ता और पृथ्वी विश्वसनीयता का प्रतीक है। जल परिवर्तन दरशाता है।
प्रश्न- फेंग शुई के प्रसिद्ध वस्तुएं कौन कौन सी हैं?
उत्तर- कम्पास (दिशा सूचक यंत्र), पवन घंटी (विंड चाइम), अष्टकोणीय शीशा (पाकुआ), क्रिस्टल बॉल, मछली घरफीनिक्स (असाधारण पक्षी), प्रेमी-परिंदों के चित्र (लव बर्ड्स), बुद्ध की मूर्ति, तीन टांगों वाला मेडक, स्फटिक का गोला, ड्रैगन, कछुआ, लो-शु, सम्पत्ति, परिवार चित्र, सोने के सिक्कों वाला जहाज..
हरियाली वाले चित्र, संगीत घड़ी, चीनी सिक्के, ग्लोब, सफेद फूलों का गुलदस्ता, पारिवारिक चित्र, चीनी मिट्टी की वस्तुएं, नमक से भरा कटोरा,बांस व बांस से बनी वस्तुएं, लुक-फुक और साऊ (चीनी मूर्तियां), झूमर, फेंग शुई लैंप, सुनहरी मछली, क्रिस्टल की वस्तुएं, समृद्धिवर्द्धक यंत्र, रत्नों का पेड़, मांगलिक प्रतीक चिह आदि।
फेंग सुई बनाम वास्तुशात्र (Shri Vs Vastu Shastra)
प्रश्न- फेंग शुई और वास्तु में क्या समानता है?
उत्तर- भारतीय संस्कृति से प्रभावित होने के कारण चीन में विकसित फेंग शुई वास्तविकता में भारतीय वास्तु विज्ञान का ही एक विकल्प रूप है। इसके सभी सिद्धांत किसी न किसी रूप में भारतीय वास्तु शास्त्र से प्रभावित और मिलते-जुलते हैं।
दोनों में उपचार का माध्यम प्रकृति प्रदत्त ऊर्जाएं ही हैं, साथ ही दोनों का मूल आधार भी अपनी-अपनी धार्मिक संस्कृति है।
प्रश्न- फेंग शुई और वास्तु शास्त्र में कौन सा बेहतर है?
उत्तर- वास्तु शास्त्र हीरा है तो फेंग शुई मोती। सरल, प्रचार और नवीन विषय होने के कारण इसका चलन बड़ रहा है।
प्रश्न-क्या फेग शुई के सिद्धांत सभी देशों में समान रूप से लागू किए जा सकते हैं?
उत्तर- कदापि नहीं, क्योंकि इसकी मान्यताएं और सिद्धांत चीन की भौगोलिक स्थितियों के अनुरूप हैं एवं उसी के अनुसार इनका निर्धारण किया गया है, जबकि प्रत्येक देश की भौगोलिक स्थिति भिन्न होती है।
उदाहरण के तौर पर वास्तु में दक्षिण दिशा को आशुभ माना गया है, जबकि फेंग शुई में शुभ। इसलिए फेंग शुई का प्रयोग सावधानी पूर्वक करना चाहिए।