फिरोज़ गांधी (Feroze Gandhi)
फिरोज़ गांधी (Feroze Gandhi) भारत के एक राजनेता तथा पत्रकार थे। वे लोकसभा के सदस्य भी रहे। सन् 1942 में इनका विवाह इन्दिरा गांधी से हुआ जो बाद में भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री बनीं।
फिरोज़ गांधी जीवनी (Feroze Gandhi Biograohy In Hindi)
पूरा नाम | फिरोज जहांगीर गांधी |
चर्चित नाम | फिरोज़ गाँधी |
जन्म | 12 सितम्बर 1912 मुम्बई, महाराष्ट्र |
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मृत्यु | 8 सितम्बर 1960 (उम्र 47) दिल्ली |
समाधि स्थल | इलाहाबाद |
पिता | जहांगीर |
माता | रतिमाई |
भाई बहन | भाई-दोराब, फरीदुन जहांगीर, बहन- तेहमिना करशश, आलू दस्तुर |
राजनीतिक दल | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
पत्नी | इन्दिरा गांधी |
बच्चे | राजीव गांधी, संजय गांधी |
धर्म | ____ |
फिरोज़ गांधी जन्म और परिवार (Feroze Gandhi Birth & Family Life)
फिरोज़ गांधी (Feroze Gandhi) का जन्म 12 सितम्बर 1912 को मुम्बई हुआ था। इनके पिता का नाम जहांगीर एवं माता का नाम रतिमाई था, और वे बम्बई के खेतवाड़ी मोहल्ले के नौरोजी नाटकवाला भवन में रहते थे।
फ़िरोज़ के पिता जहांगीर किलिक निक्सन में एक इंजीनियर थे, जो बाद में वारंट इंजीनियर के रूप में पदोन्नत हुए। फिरोज पांच भाई बहनों में सबसे छोटे थे। उनके दो भाई दोराब और फरीदुन जहांगीर, और दो बहनें, तेहमिना करशश और आलू दस्तुर थी। फ़िरोज़ का परिवार मूल रूप से दक्षिण गुजरात के भरूच का निवासी था, जहां उनका पैतृक गृह अभी भी कोटपारीवाड़ में उपस्थित है।
शिक्षा और प्रारंभिक जीवन (Early Life and Education)
फिरोज़ के पिता का देहांत उनके बचपन में ही हो गया था। पिता के देहांत के बाद फिरोज़ अपनी मां के साथ इलाहाबाद में उनकी अविवाहित मौसी, शिरिन कमिसारीट के पास रहने चले गए। शिरिन शहर के लेडी डफरीन अस्पताल में सर्जन थी।
फिरोज़ की प्रारंभिक शिक्षा इलाहबाद के विद्या मंदिर हाई स्कूल से हुई। इसके बाद उन्होंने ईविंग क्रिश्चियन कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। इलाहाबाद उन दिनों स्वतंत्रता संग्राम की गतिविधियों का केंद्र था। इसके प्रभाव में आये और नेहरु परिवार से भी उनका सम्पर्क हुआ। 1935 में फीरोज गांधी ने लन्दन के “स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स” से अंतर्राष्ट्रीय कानून में स्नातक की डिग्री ली।
राजनितिक सफ़र
फिरोज़ वर्ष 1930 में कांग्रेस के स्वतंत्रता आन्दोलन से जुड़ गए। इसके बाद एविंग क्रिस्चियन कॉलेज के बाहर महिला प्रदर्शनकारियों को रोकते हुए ही उनकी मुलाकात कमला नेहरु और इंदिरा गाँधी से हुई। प्रदर्शन के दौरान सूरज की गर्मी से कमला बेहोश हो गयी थी और फिरोज ने उस समय उनकी सहायता की थी। अगले ही दिन, 1930 में भारतीय स्वतंत्रता अभियान में शामिल होने के लिए उन्होंने पढाई छोड़ दी।
एक बार कांग्रेस महिला प्रदर्शनकारी एविंग क्रिस्चियन कॉलेज के सामने धरना दे रही थी इस प्रदर्शन के दौरान कमला नेहरु (इंद्रा की माँ) सूरज की गर्मी से बेहोश हो गयी थी। फिरोज़ उन्हें संभालने के लिए दौड़े और उनकी देखभाल करी।
इस प्रकार फिरोज़ गाँधी, कमला नेहरु और इंद्रा के संपर्क में आ गए। कमला नेहरू का हालचाल जानने के लिए फिरोज अक्सर उनके घर जाते रहते थे। फिर फिरोज़ ने पाढाई-लिखाई छोड़कर आजादी की लड़ाई में शामिल होने का फैसला कर लिया।
बीमार कमला नेहरू की सेवा करी
फिरोज़ की नेहरु परिवार से धीरे-धीरे नजदीकी बढती रही, खास तौर से कमला नेहरू से। जब टीवी बीमारी के चलते कमला नेहरु की तबियत अधिक बिगड़ने लगी तो फिराज़ ने यूरोप जाने में उनकी मदद करी और कांफी समय तक उनके साथ भी रहे। उन दिनों जवाहर लाल नेहरु अल्मोड़ा जेल में बंद थे।
28 फ़रवरी 1936 को स्विटज़रलैंड के लोज़ान शहर में कमला नेहरू ने अंतिम साँसें लीं। कमला के बीमार होने पर फिर निधन के बाद जिस तरह फिरोज ने इंदिरा को संभाला, उससे दोनों की नजदीकियां बढ़ी।
नेहरू विवाह के खिलाफ थे
जब फिरोज़ और इंदिरा ने शादी करने का निर्णय लिया तो जवाहर लाल नेहरू शादी के खिलाफ थे। ऐसा माना जाता है कि पिता की मर्जी के विरुद्ध जाकर इंदिरा गांधी और फिरोज गांधी ने गुप्त रूप से पारसी पद्धति द्वारा प्रेम-विवाह कर लिया।
बाद में महात्मा गांधी के हस्तक्षेप बाद पिता नेहरू ने शादी को अपनी स्वीकृति दे दी। जिसके बाद दोनों की शादी पूर्ण हिन्दू रीति रिवाज से 26 मार्च 1942 में इलाहाबाद में हुई।
वैवाहिक संबंध में खटास
विवाह के तत्काल बाद भारत छोड़ो आंदोलन शुरू हुआ जिसमें पति-पत्नी ने जेल भी काटी। लेकिन कुछ ही दिनों में रिश्ते में खटास आने लगी। फिरोज गांधी और इंदिरा गांधी दोनों अपनी निजी जिंदगी में संतुलन नहीं बैठा पाए।
वर्ष 1949 में इंदिरा दोनों बच्चों (राजीव और संजय गांधी) के साथ अपने पिता का घर चली गयी। जबकि फिरोज़ लखनऊ में ही बने रहे। यही से फिरोज़ नेहरू सरकार के खिलाफ लिखने और बोलने लगे।
नेहरू सरकार के घोटाले को किया उजागर
फिरोज गांधी राजनीति के साथ-साथ एक पत्रकार के रूप में भी जाने जाते थे। फिरोज़ नेशलन हेराल्ड व नवजीवन समाचार पत्र के संपादक भी थे। आजादी के पहले आम चुनाव में वो रायबरेली से पहली बार सांसद चुने गए और 1960 तक लोकसभा में वो रायबरेली का प्रतिनिधित्व करते रहे।
फिरोज़ ने अपने ही पार्टी और ससुर (नेहरू) खिलाफ अभियान छेड़ दिया और कई बड़े घोटालों को उजागर किया था। फिरोज गांधी ने 16 दिसम्बर 1957 को लोकसभा में यादगार भाषण में मुंधड़ा-एल.आई.सी घोटाले को जोरदार ढंग से उठाया। फलस्वरूप तत्कालीन केंद्रीय मंत्री टी. टी. कृष्णामाचारी को इस्तीफा देना पड़ा। कृष्णमाचारी प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के खास करीबी माने जाते थे।
फिरोज़ संसद के बाहर भी सरकार पर हमला बोल रहे थे। इससे सरकार और नेहरू परिवार की बहुत किरकिरी हो रही थी। ससुर और दामाद इस मुद्दे पर एक-दूसरे के आमने-सामने आ गए थे। जिससे इंदिरा और फिरोज़ के मध्य दूरी ओर बढ़ गयी।
ह्रदय घात से हुई फिरोज़ की मृत्यु
फिरोज़ गांधी बड़े लोकप्रिय सांसद थे, पर निजी जीवन में अन्तिम वर्षों में बहुत एकाकी हो गए थे। उनके दोनों पुत्र राजीव गाँधी और संजय गाँधी भी अपनी माँ के साथ प्रधानमंत्री निवास में ही रहते थे। इसका असर उनकी सेहत में पढ़ने लगा फिरोज गांधी की तबीयत खराब होने लगी।
फ़ीरोज़ गाँधी को 1960 में दिल का दौरा पड़ा। इंदिरा जी उस समय महिला सम्मेलन में भाग लेने के लिए केरल गई हुई थीं। सूचना मिलते ही वे तुरन्त दिल्ली आई और 8 सितम्बर, 1960 ई. को फ़ीरोज़ गाँधी का देहान्त हो गया।
इस दौरान फिरोज़ की देखभाल के लिए इंदिरा गांधी उनके पास रहने लगी अंततः 8 सितंबर, 1960 को दिल के दौरे के कारण फिरोज चल बसे।
हमारा प्रयास रहता है कि अधिक से अधिक स्वतंत्रता सेनानी के संधर्भ में जानकरी जुटाए और आने वाली पीढ़ी को अवगत करवाए, लेकिन कभी कभी हम खुदको असहाय महसूस करते है। ऐसा ही एक नाम है फिरोज़ गाँधी का है। फिरोज़ गाँधी के सन्दर्भ में अधिक जानकरी उपलब्ध नही है। जो उपलब्ध है, उसमें भी मतभेद है। जो सत्य बता सकता है (फिरोज़ का परिवार) वो कुछ बोलना नही चाहता।