गंगाधर नेहरू (Gangadhar Nehru)
गंगाधर नेहरू, 1857 के भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के दौरान दिल्ली के कोतवाल (मुख्य पुलिस अधिकारी) थे। वे स्वतंत्रता सेनानी एवं कांग्रेस नेता मोतीलाल नेहरू के पिता और स्वतंत्रता सेनानी एवं भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री जवाहरलाल नेहरू के दादा थे।
Gangadhar Nehru Quick Info & Facts
नाम | गंगाधर नेहरू |
जन्म | 1827 |
मृत्यु | 4 फरवरी 1861 |
पिता | लक्ष्मीनारायण नेहरू |
माता | अज्ञात |
पत्नी | जियोरानी देवी या इंद्राणी |
संतान | पुत्र; वंशीधर, नन्दलाल, मोतीलाल नेहरू पुत्री; महारानी टकरू और पटरानी जुत्शी। |
व्यवसाय | दिल्ली कोतवाल |
प्रसिद्धि | मोतीलाल नेहरू के पिता, जवाहलाल नेहरू के दादा |
गंगाधर नेहरू जीवनी (Gangadhar Nehru Biography / History in Hindi)
गंगाधर नेहरू का जन्म सन 1827 ई. को दिल्ली में एक कश्मीरी कौल ब्राह्मण के घर हुआ था। इनके पिता का नाम लक्ष्मीनारायण कौल था। लक्ष्मीनारायण कौल दिल्ली के मुग़ल दरबार मे ईस्ट इंडिया कंपनी में वकील थे।
गंगाधर नेहरू का इंद्राणी नामक सुकन्या से विवाह हुआ था। जिनसे उन्हें तीन पुत्र (वंशीधर, नन्दलाल, मोतीलाल) और 2 पुत्री (महारानी, पटरानी) हुई।
नेहरू परिवार का इतिहास (History Of Nehru Family in Hindi)
- नेहरू नाम कैसे पड़ा?
- क्या नेहरू मुसलमान थे?
- गंगाधर नेहरू को दिल्ली से भागना पड़ा?
उन दिनों दिल्ली पर शहंशाह फरूखसियर का शासन था। एक बार शहंशाह फरूखसियर कश्मीर यात्रा पर गया हुआ था, वहां उसकी भेंट अरबी, फारसी, संस्कृत और कश्मीरी भाषा के विद्वान पंडित राज कौल से हुई।
वह पंडित राज कौल की विद्वता और प्रतिभा से इतना प्रभावित हुआ कि उसने उनसे आग्रह किया कि वह उसके साथ दिल्ली आ जाएं और उसके दरबार की शोभा बढ़ाएं। शहंशाह फरूखमियर ने राज कौल को दरबार में सम्मानित पद के साथ-साथ जागीर और एक नहर के किनारे बनी हवेली भी दी।
नहर के किनारे बनी इस हवेली में रहने के कारण दिल्ली निवासी पंडित राज कौल को नेहरू कौल के नाम से पुकारने लगे। कालान्तर में कौल शब्द गायब हो गया और केवल नेहरू ही रह गया।
फरुखसियार की हत्या के बाद भी राज कौल का परिवार दिल्ली में ही रहा और उनके पौत्रों मंशा राम कौल और साहेब राम कौल तक ज़मींदारी अधिकार रहे। मंशा राम कौल के पुत्र लक्ष्मीनारायण कौल दिल्ली के मुग़ल दरबार मे ईस्ट इंडिया कंपनी के पहले वक़ील हुए।
लक्ष्मीनारायण के पुत्र गंगाधर दिल्ली में कोतवाल हुए। लेकिन सन् 1857 की क्रान्ति से कुछ वर्ष पहले ही पंडित गंगाधर नेहरू को दिल्ली के कोतवाल के पद से हटाकर लार्ड मेटकाफ ने अपना मनपसन्द कोतवाल नियुक्त कर दिया।
1857 के विद्रोह के बाद जब अंग्रेज पुलिस ने दिल्ली शहर में अधिकार कर लिया। तो पूरी दिल्ली में लूटपाट और कल्लेआम का बाजार गर्म था। दिल्ली निवासी अपने पुश्तैनी मकानों, जमीन, जायदाद और धन-सम्पत्ति का मोह त्याग कर अपने प्राण बचाने के लिए दिल्ली छोड़कर भागने लगे थे।
उन्हीं लुट-पिटे और आतंकित लोगों के काफिले के साथ पडित गंगाधर नेहरू भी अपनी पत्नी जेवरानी तथा 4 संतानों (पुत्र; बंशीधर और नंदलाल व बेंटिया; पटरानी और महारानी) के साथ आगरे आ गए। आगरा में एक और पुत्र हुआ, जिसका नाम जवारहलाल नेहरू रखा गया।
नेहरू नाम कैसे पड़ा?
जवाहरलाल नेहरू ने अपनी आत्मकथा में इस बात का उल्लेख किया है कि स्वयं फर्रुखसियर ने उनके पुरखों को सन् 1716 के आसपास दिल्ली लाकर बसाया था। दिल्ली के चाँदनी चौक में उन दिनों एक नहर हुआ करती थी। नहर के किनारे बस जाने के कारण उनका परिवार ‘नेहरू’ के नाम से मशहूर हो गया।
गंगाधर नेहरू की मृत्यु कैसे हुई?
गंगाधर भगगर आगरा तो आ गए, लेकिन वह आगरा में अपने परिवार को स्थायी रूप से जमा नहीं पाए। आगरा आने के 4 साल बाद ही सन 1861 में मात्र 34 साल की उम्र में उनकी मृत्यु हो गई।
गंगाधर नेहरू की मृत्यु के तीन महीने बाद 6 मई 1861 को मोतीलाल नेहरू का जन्म हुआ।