गरुड़ पुराण

गरुड़ पुराण क्या है? (What is Garud puran in hindi)
गरुण पुराण, हिंदुओं के पवित्र 18 पुराणों में से एक पुराण है। पुराणों में इसका स्थान 17 है। यह पुराण वैष्णव संप्रदाय से सम्बन्धित है और सनातन धर्म में मृत्यु के बाद सद्गति प्रदान करने वाला माना गया है। इसलिये सनातन हिन्दू धर्म में मृत्यु के बाद गरुड़ पुराण के श्रवण का प्रावधान है।
Garud puran is one of eighteen Puran genre of Sanskrit texts in Hinduism, and part of the Vaishnavism literature corpus. it primarily centering around Hindu god Vishnu but praises all gods.it deals specific issues of Hindu philosophy connected with death, funeral rites and reincarnation.there are 28 Deadly punishments mentioned in Garud Puran.
गरुण पुराण का उद्गम
एक समय महर्षि कश्यप के पुत्र और भगवान विष्णु के वाहन “पक्षीराज गरुण” ने भगवान विष्णु से मृत्यु के बाद प्राणियों की स्थिति, जीव की यमलोक-यात्रा, विभिन्न कर्मों से प्राप्त होने वाले नरकों, योनियों तथा पापियों की दुर्गति से संबंधित अनेक गूढ़ एवं रहस्ययुक्त प्रश्न पूछे।
उस समय भगवान विष्णु ने गरुड़ की जिज्ञासा शांत करने के लिए ज्ञानमय उपदेश दिया था, उसी उपदेश का इस पुराण में विस्तृत विवेचन किया गया है। इसलिए इस पुराण को ‘गरुड़ पुराण’ कहा गया है।
श्री विष्णु द्वारा प्रतिपादित यह पुराण मुख्यतः वैष्णव पुराण है। इस पुराण को ‘मुख्य गारुड़ी विद्या’ भी कहा गया है। इस पुराण का ज्ञान सर्वप्रथम ब्रह्माजी ने महर्षि वेद व्यास को प्रदान किया था। तत्पश्चात् व्यासजी ने अपने शिष्य सूतजी को तथा सूतजी ने नैमिषारण्य में शौनकादि ऋषि-मुनियों को प्रदान किया था।
गरुड़ पुराण में क्या है? (What is Garuda Purana about?)
गरुड़ पुराण के अधिष्ठातृ देव भगवान विष्णु हैं। इसमें भगवान विष्णु के चौबीस अवतारों का वर्णन, ब्रह्मांड की उत्पत्ति, भौगोलिक विवरण, देवताओं की वंशावली, भक्ति,ज्ञान, वैराग्य, सदाचार, निष्काम कर्म की महिमा, यज्ञ, दान, तप-तीर्थ आदि अनेक लौकिक और पारलौकिक फलों का वर्णन किया गया है।
इस पुराण मृत जीव के अन्तिम समय में किये जाने वाले कृत्यों का विस्तार से निरूपण किया गया है। श्राद्ध-तर्पण, मुक्ति के उपायों तथा मृत्यु के बाद आत्मा की यात्रा का वर्णन भी इसी पुराण में मिलता है।
यह संपूर्ण पुराण पक्षीराज गरुड़ और भगवान विष्णु के बीच अद्भुत संवाद के रूप में है। इस पुराण में गरुड़ की उत्पत्ति और प्रसार के बारे में भी बताया गया है।
संरचना (Structure)
विभिन्न ग्रन्थ अनुसार गरूड़ पुराण’ में उन्नीस हजार श्लोक कहे जाते हैं, किन्तु वर्तमान समय में उपलब्ध पाण्डुलिपियों में लगभग आठ हजार श्लोक ही मिलते हैं। गरुणपुराण के दो भाग हैं-
- पूर्वखण्ड तथा
- उत्तरखण्ड
पूर्वखण्ड में २२९ अध्याय हैं (कुछ पाण्डुलिपियों में २४० से २४३ तक अध्याय मिलते हैं)। उत्तरखण्ड में अलग-अलग पाण्डुलिपियों में अध्यायों की सख्या ३४ से लेकर ४९ तक है। उत्तरखण्ड को ‘प्रेतखण्ड’ या ‘प्रेतकल्प’ कहा जाता है। गरुणपुराण का लगभग ९० प्रतिशत सामग्री पूर्वखण्ड में है और केवल १० प्रतिशत सामग्री उत्तरखण्ड में।
पूर्वखण्ड में विविध प्रकार के विषयों का समावेश है जो जीव और जीवन से सम्बन्धित हैं। प्रेतखण्ड मुख्यतः मृत्यु के पश्चात जीव की गति एवं उससे जुड़े हुए कर्मकाण्डों से सम्बन्धित है।
गरुड़ पुराण को लेकर कुछ भ्रांतिया (Myths about Garud Puran)
गरुड़ पुराण को लोगों के मध्य कुछ गलत अवधारणा फैली है जैसे-
- गरुड़ पुराण को घर में रखना अशुभ होता है।
- मृत्यु अवसर पर ही इसका पाठ करना चाहिए।
परंतु यह बात किसी भी पुराण या प्रामाणिक शास्त्र में नही कही गयी है। गरुड़ पुराण में उपस्थित सामग्री के कारण यह गलत अवधारणा फैल गई है।