घुश्मेश्वर मंदिर | Grishneshwar Temple
घुश्मेश्वर मंदिर (Grishneshwar or Ghushmeshwar Temple) महाराष्ट्र राज्य के औरंगाबाद के दौलताबाद से 11 किलोमीटर दूर वेरुल गांव के निकट स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव के पवित्र द्वादश ज्योतिर्लिंगों (12 Jyotirling) में से अंतिम है। इसे घुसृणेश्वर या घृष्णेश्वर भी कहा जाता है।
विश्व प्रसिद्ध एलोवेरा की गुफा (Ellora Caves) भी यही पर है। वर्तमान मंदिर का निर्माण देवी अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था। शहर से दूर स्थित यह मंदिर सादगी से परिपूर्ण है।
Ghushmeshwar Temple Quick Info
Location | वेरुल गांव, जिला औरंगाबाद (महाराष्ट्र) |
Also Known as | घुश्मेश्वर, घुसृणेश्वर, घृष्णेश्वर |
Type | हिन्दू मंदिर |
Status | अंतिम ज्योतिर्लिंग |
Dedicated to | भगवान शिव |
Timings | प्रातः 5:30 से रात्रि 9.30 तक, सावन में प्रातः 3 बजे से रात्रि 11 बजे तक। |
Entry Fee | कोई शुल्क नही |
Cameras, Mobile Phones | अनुमति नही (Not allowed) |
Distance from Major Transportation Hubs | औरंगाबाद एयरपोर्ट (41 km); औरंगाबाद रेलवे स्टेशन (34 km) |
Origins of the Temple | प्राचिन काल (समय ज्ञात नही) |
Current Structure Constructed in | 18वी शताब्दी |
Current Structure Constructed by | रानी अहिल्याबाई होलकर (इंदौर) |
Architectural Style | दक्षिण भारतीय मंदिर वास्तुकला |
Material Used | लाल पत्थर (Red rocks) |
पौराणिक कथा (Mythological Beliefs)
दक्षिण प्रदेश में सुधर्मा नामक एक ब्राह्मण रहता था। उसकी पत्नी बड़ी सुलक्षणा थी, किन्तु उनके कोई सन्तान नहीं थी। दोनों ने संतान प्राप्ति के लिए काफी जतन किए, मगर सब व्यर्थ रहे। अंत में ज्योतिष गणना से ब्राह्मण ने जाना कि उसकी पत्नी के गर्भ से सन्तानोत्पत्ति हो ही नहीं सकती।
जब उसकी पत्नी सुदेहा को भी इस ज्योतिष गणना का पता चला तो उसने ब्राह्मण को विवश करके उसकी दूसरी शादी अपनी छोटी बहन से करा दी। उसका नाम घुश्मा था और वह भी बड़ी सदाचारिणी थी। यथासमय उसने एक पुत्र को जन्म दिया। अब तो ब्राह्मण का सारा प्यार उस पर बरसने लगा।
यह देखकर सुदेहा को पश्चाताप होने लगा कि अब उसका इस घर में कुछ भी न रहा। पति भी उसकी बहन को ही अधिक मानता था। धीरे-धीरे बालक बड़ा होने लगा। इधर, सुदेहा भी भीतर ही भीतर कुढ़ रही थी।
मगर एक दिन उसके सब्र का प्याला भर गया। उसने घुश्मा के पुत्र की हत्या करके उसका शव सरोवर में फेंक दिया। उसी सरोवर में घुश्मा नित्य पार्थिव शिवलिंग प्रवाहित करती थी। वह भगवान शिव की सच्ची भक्त थी। घर में बच्चे को न पाकर सुधर्मा व अन्य रोने-पीटने लगे।
मगर चश्मा नित्य की भांति शिव की पूजा-अर्चना में लीन रही उसे पुत्र की लेशमात्र भी चिंता नहीं थी पूजा समाप्त करके उसने सरोवर की मिट्टी से ही बने पार्थिव शिवलिंग को सरोवर में छोड़ दिया और पलटकर घर की ओर चल दी, तभी सरोवर से उसका पुत्र निकलता दिखाई दिया, मानों खेलता हुआ कहीं से लौट आया हो।
तभी भगवान शिव वहां प्रकट हुए और घुश्मा से वर मांगने को कहा। भगवान शिव बेहद क्रोध में थे। वे त्रिशूल से सुदेहा का गला काटने को उद्यत हुए। मगर घुश्मा ने उनसे विनती की कि उसकी बहन को क्षमा कर दें, क्योंकि उसी की करनी से घुश्मा को उसके इष्ट के दर्शन हुए थे।
तब भगवान से उसने यही वर मांगा कि लिंग रूप में भगवान शिव सदा के लिए वहीं निवास करें प्रभु ने उसकी प्रार्थना स्वीकार कर ली तथा लिंग रूप में वहीं स्थापित हो गए। शिवभक्ता घुश्मा के कारण ही उस स्थान का नाम घुश्मेश्वर पड़ा।
मंदिर परिसर एवं वास्तु (Temple complex & Architecture)
यह भारत का सबसे छोटा ज्योतिर्लिंग है, जो 240 फीट लम्बा और 185 फीट चौड़ा है। मंदिर का गर्भगृह 24 स्तंभों पर बनाया गया है। इन स्तंभों पर सुंदर नक्काशियों द्वारा सुन्दर चित्र बने हुए है।
मंदिर का गर्भगृह उत्तर दिशा में 4 फ़ीट नीचे है। गर्भगृह 17 फीट लम्बा और 17 फीट चौड़ा है, जिसमें भगवान पूर्वमुखी विराजमान है। गर्भगृह के बाहर नन्दी विराजित है।
घुश्मेश्वर दर्शन फल और समय
इस पवित्र लिंग का दर्शन लोक-परलोक दोनों के लिए अमोघ फलदायी है। शिव पुराण के अनुसार- “घुश्मेश्वर महादेव के दर्शन करने से सारे पाप दूर हो जाते है। साथ ही सुखों की वृद्धि उस प्राकर होती है, जिस प्रकार शुक्ल पक्ष के चन्द्रमा की होती है।”
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग दर्शन समय
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर सुबह 5:30 बजे दर्शन के लिए खुलता हैं और रात को 9.30 बजे बंद हो जाता हैं। श्रावण के महीने में मंदिर सुबह 3 बजे से रात के 11 बजे तक खुला रहता हैं। सुबह आरती 6 बजे तथा रात 8 बजे होती है
घुश्मेश्वर मंदिर कैसे पहुंचे? (How To Reach)
मध्य रेलवे की काचीगुड़ा (हैदराबाद) मनमाड लाइन पर, मनमाड से लगभग 135 किलोमीटर दूर औरंगाबाद स्टेशन है औरंगाबाद से घुश्मेश्वर लगभग 25 किलोमीटर दूर, वेरुल गांव के पास शिवालय नामक स्थान पर है स्टेशन के पास ही घुश्मेश्वर जाने के लिए बस मिलती है। एलोरा घुश्मेश्वर के पास है, परंतु अजंता जाने के लिए औरंगाबाद से जाया जाता है।
मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय (Best Time To Visit)
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर दर्शन करने के लिए आप पूरे साल में किसी भी समय जा सकते हैं। लेकिन फिर भी घृष्णेश्वर मंदिर धूमने के लिए अक्टूबर से मार्च तक का समय सबसे अच्छा है।
यात्री निवास और होटल (Where to stay)
घुश्मेश्वर का भव्य मंदिर वेल गांव के पास है। मंदिर के घेरे में ही यात्रियों के ठहरने की व्यवस्था है। घृष्णेश्वर मंदिर ट्रस्ट द्वारा निर्मित भक्त निवास, मौनगिरि आश्रम और जैन धर्मशाला बनी हुई है। जिनमे यात्री को बहुत ही कम मूल्य पर किराये पर कमरे मिल जाते है।
इसके अलावा मंदिर के आसपास कई होटल भी है, जिसमे साधारण और AC दोनो ही प्रकार के कमरे उपलब्ध है।
घृष्णेश्वर मंदिर के निकट अन्य प्रमुख पर्यटन स्थल (Attractions near Grishneshwar Temple)
अजंता-एलोरा की गुफा (Ajanta-Ellora Caves)
घुश्मेश्वर मंदिर से केवल एक किलोमीटर की दूरी पर एलोरा गुफाएं हैं। एलोरा की 34 गुफाओं में जाने का मार्ग आसान व सुविधाजनक है। गुफाएं अलग-अलग संप्रदाय के लिए बंटी हुई हैं। एक से तेरह नंबर तक की गुफाएं बौद्धों की हैं, चीदह से उन्तीस हिन्दुओं की तथा तीस से चौतीस संख्या तक की गुफाएं जैन मूर्तियों के लिए हैं।
कैलाश मंदिर में प्राचीन इंजीनियरों ने एक पतली धारा को ऐसे घुमाया है कि उसका जल बूंद-बूंद करके शिवलिंग पर निरंतर टपकता रहता है। पिछली बारह सदियों से यह जल इसी प्रकार टपक रहा है।
दौलताबाद का किला (Daulatabad Fort)
दौलताबाद से घुश्मेश्वर जाते समय सार्ग में यह किल्ला पड़ता है। यह घुश्मेश्वर सेदक्षिण में पांच मील की दूरी पर एक पहाड़ की चोटी पर है। यहां धारेश्वर शिवलिंग और श्री एकनाथजी के गुरु श्री जनार्दन महाराज की समाधि है।
कैलाश गुफा का शिव मंदिर (Ellora Caves Kelash Temple)
एलोरा की प्रसिद्ध गुफाएं दर्शनीय है। एलोरा में ही कैलाश गुफा है। यात्री इसे देखकर ही मुग्ध हो जाते हैं। कुछ लोग एलोरा के कैलाश मंदिर को ही घुश्मेश्वर का असली स्थान मानते हैं।
श्री घृष्णेश्वर शिव और देवगिरी दुर्ग के बीच सहस्रलिंग पातालेश्वर, सूर्येश्वर हैं तथा सूर्यकुंड और शिवकुंड नामक सरोवर हैं। यह बहुत प्राचीन स्थान है।
औरंगाबाद का किला और कब्र (Aurangabad Fort & Tomb)
यहां 12 सदी पुराना एक पत्थर का किला है। इसके पास ही क्रूर, कट्टर और लाखों हिंदुओ का हत्यारा ‘मुगल सम्राट औरंगजेब’ की कब्र है।
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