गोरखपुर (Gorakhpur)
गोरखपुर (Gorakhpur), भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के पूर्वी भाग में, नेपाल की सीमा के पास स्थित एक प्रसिद्ध नगर है। यह जिले का मुख्यालय भी हैं। गोरखपुर की भूमि अनेक ऐतिहासिक एवं मध्यकालीन धरोहरों, स्मारकों और मंदिरों के साथ आकर्षण का केंद्र है।
गोरखपुर: भगवान श्री राम का कौशल राज्य
प्रदेश | उत्तर प्रदेश |
क्षेत्रफल | 3,483.8 वर्ग किलोमीटर |
भाषा | हिंदी और एंग्लिश |
आकर्षण | गोरखनाथ मंदिर, कपिलवस्तु कुशीनगर, लुम्बनी, मगहर, रामगढ़, विष्णु मंदिर, तरकुलहा देवी, अयोग्य मंदिर आदि। |
यात्रा समय | अक्टूबर और मार्च। |
धार्मिक व सांस्कृतिक केन्द्र के रूप में प्रसिद्ध गोरखपुर महाराजगंज जिले के उत्तर, कुशीनगर और डोरिया जिले के पूर्व, अम्बेडकर नगर व आजमगढ़ जिले के दक्षिण और संत कबीर नगर जिले के पश्चिम से घिरा हुआ है।
गोरखपुर का इतिहास (History of Gorakhpur in Hindi)
वैदिक काल के दौरान गोरखपुर भगवान राम के कौशल राज्य के एक हिस्से के रूप में प्रसिद्ध था। पुराने समय में, इस जगह पर शिशुनागर, नंदा, मयूरा और सुंगा वंश ने काफी लम्बे समय तक शासन किया था।
बारहवीं शताब्दी में प्रसिद्ध तांत्रिक और तपस्वी बाबा गोरखनाथ इस जगह पर आए थे। योगेश्वर गोरखनाथ के पुण्य स्थल के कारण ही इस स्थान का नाम ‘गोरखपुर’ पड़ा हैं।
गोरखपुर के प्रमुख पर्यटन स्थल (Best Places to visit in Gorakhpur)
Godkhour Tourist Places: फैमिली के साथ छुट्टियां बिताने के लिए यहां अनेक प्रसिद्ध टूरिज्म स्पॉट हैं। जिसमे गोरखनाथ मंदिर, विष्णु मंदिर, गीता वटिका, गीता प्रेस, चौरीचौरा शहीद स्मारक प्रमुख है। अन्य देखने योग्य स्थानों में आरोग्य मंदिर, इमामबाड़ा, रामगढ़ ताल, बौद्ध संग्रहालय, नक्षत्रशाला आदि भी पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
1. गोरखनाथ मंदिर (Gorakhnath Temple)
गोरखपुर रेलवे स्टेशन से चार किलोमीटर की दूरी पर स्थित गोरखनाथ मंदिर “गोरखनाथ” को समर्पित है। कहा जाता है कि गोरक्षनाथ जी ने यहां आकर भगवती राप्ती के तटवर्ती क्षेत्र में तपस्या की थी और उसी स्थान पर अपनी दिव्य समाधि लगाई थी। इसलिए यह मंदिर नाथ सम्प्रदायी के लिए विशेष स्थान रखता है।
योगेश्वर गोरखनाथ के पुण्य स्थल के कारण इस स्थान का नाम ‘गोरखपुर’ पड़ा हैं। यहां प्रत्येक वर्ष 14 जनवरी के दिन यहां मकर सक्रांति मेले का आयोजन किया जाता है। जो ‘खिचड़ी मेला’ के नाम से प्रसिद्ध है। इस दिन लाखों की संख्या में भक्त और पर्यटक इसमे सम्मिलित होते हैं।
2. तरकुलहा देवी (Devi Tarkulha)
स्थानीय देवी तरकुलहा देवी (Tarkulha Devi) का सम्बन्ध महान स्वतंत्रता सैनानी “बाबू बंधु सिंह” से हैं। गुरिल्ला लड़ाई में माहिर डुमरी रियासत के बाबू बंधू सिंह जंगल में नदी के तट पर ताड़ के पेड़ के नीचे पिंडियां स्थापित करके देवी की उपासना किया करते थे। जब भी कोई अंग्रेज उस जंगल से गुजरता, बंधू सिंह उसको मार कर उसका सर काटकर देवी मां को समर्पित कर देते थे।
अंग्रेजों ने बंधु सिंह को गिरफ्तार कर उन्हें फांसी की सजा सुनाई गयी। कहते है कि बंधु सिंह को 12 अगस्त 1857 में अली नगर चौराहा पर सार्वजनिक रूप से फांसी पर 7 बार चढ़ाने की कोशिश की लेकिन वे सफल नहीं हुए। इसके बाद बंधू सिंह ने स्वयं देवी माँ से विनती करी कि माँ उन्हें जाने दें। बंधू सींह की प्रार्थना देवी ने सुन ली और सातवीं बार में अंग्रेज उन्हें फांसी पर चढ़ाने में सफल हो गए।
बंधू सिंह ने अंग्रेजो के सिर चढ़ा के जो बली कि परम्परा शुरू करी थी वो आज भी यहाँ जारी हैं। अब यहाँ पर बकरे कि बलि चढ़ाई जाती है उसके बाद बकरे के मांस को मिट्टी के बर्तन में पका कर प्रसाद के रूप में बाटा जाता हैं। संभवतः यह देश का इकलौता मंदिर है जहाँ प्रसाद के रूप में मटन दिया जाता हैं। अमर शहीद बंधू सिंह का यहां एक स्मारक भी बनाया गया हैं। चैत्र राम नवमी के अवसर पर एक महीने के मेले का भी आयोजन किया जाता है।
3. कपिलवस्तु (Kapilavastu)
कपिलवस्तु (Kapilavastu) गोरखपुर से 97 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। वर्तमान समय में इस जगह को अंतर्राष्ट्रीय बौद्व धार्मिक केन्द्र के रूप में जाना जाता है। इस जगह पर भगवान बुद्ध ने अपने जीवन के 29 वर्ष बिताए है।
यहां एक विशाल स्तूप है। यह स्तूप खुदाई के दौरान मिला था जिस पर भगवान बुद्ध का स्मृतिचिन्ह बना हुआ है। अनेक मठों के साथ-साथ यहां कई ऐतिहासिक स्थल जैसे शिवलिंग, नराही, कुबेरनाथ और पल्टा देवी मंदिर विशेष रूप से प्रसिद्ध है। नराही मंदिर भगवान सूर्य को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण कोर्णाक शैली में किया गया है।
4. कुशीनगर (Kushinagar)
कुशीनगर (Kushinagar) गोरखपुर के पूर्व में स्थित राष्ट्रीय राजमार्ग नं. 1 से 28 किलोमीटर की दूरी पर है। यह जगह भगवान बुद्ध के चार पवित्र स्थलों में से हैं। भगवान बुद्ध ने अपना अंतिम प्रवचन इसी जगह पर दिया था।
कुशीनगर में भगवान बुद्ध का एक विशाल मंदिर स्थित है। इस मंदिर मे भगवान बुद्ध की 6.10 मीटर लम्बी मूर्ति स्थित है। यह मूर्ति पांचवीं शताब्दी की एकाश्मक लाल रेत के पत्थर की बनी हुई है। भगवान बुद्ध की मृत्यु के बाद यह जगह धार्मिक स्थल के रूप में जानी जाने लगी।
कुशीनगर में बोध मंदिर के अतिरिक्त जापानी मंदिर, चाइनीज मंदिर, थाई मंदिर, कोरिन, श्रीलंका, तिब्बत मंदिर, पंद्रह एकड़ में फैला मेडिटेशन पार्क और अनेक संग्रहालय प्रमुख पर्यटन स्थलों में से है।
5. मगहर (Maghar)
यह जगह गोरखपुर के पश्चिम पर संत कबीर नगर जिले से 27 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसी स्थान पर महान संत और सामाजिक सुधारक संत कबीर दास की मृत्यु हुई थी। मगहर स्थित कबीर दास की मजार और समाधि स्थल साम्प्रदायिक सामंजस्य के प्रतीक के रूप में भी जानी जाती है। प्रत्येक वर्ष मकर सक्रांति के अवसर पर पांच दिन के मेले का आयोजन किया जाता है।
6. लुम्बिनी (Lumbini)
लुम्बिनी (Lumbini) गोरखपुर के उत्तर-पश्चिम से 124 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह भगवान बुद्ध की जन्मस्थली है। यहीं पर प्रसिद्ध अशोक स्तम्भ स्थित है। इसके अलावा यहां भगवान बुद्ध की माता महामाया का मंदिर भी स्थित है। जो यहां के प्रमुख पर्यटन स्थलों में जाना जाता है।
7. विष्णु मंदिर (Vishnu Temple)
विष्णु मंदिर (Vishnu Temple) का सम्बन्ध 12वीं शताब्दी के पाल वंश से है। इस मंदिर में भगवान विष्णु की विशाल मूर्ति स्थापित है। यह मूर्ति काले पत्थर की बनी हुई है। प्रत्येक वर्ष दशहर के अवसर पर यहां राम-लीला का आयोजन किया जाता है।
8. आरोग्य मंदिर (Arogya temple)
आरोग्य मंदिर, गोरखपुर रेलवे स्टेशन से पाँच किलोमीटर दूर आम बाजार एवं राप्तीनगर के निकट अवस्थित एक प्राकृतिक चिकित्सालय है। इसकी स्थापना 1940 ई. में स्वर्गीय बिठ्ठल दास मोदी ने की थी। यहां पर प्राकृतिक विधियों के द्वारा रोगियों का इलाज किया जाता है।
9. रामगढ़ ताल (Ramgarh Taal)
रामगढ़ ताल (Ramgarh Taal) एक विशाल और प्राकृतिक झील है। यह झील लगभग 1700 एकड़ के क्षेत्र में फैली हुई है। इस झील की सुंदरता काफी संख्या में पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती है। इसके अलावा, यहां बुद्धा संग्रहालय, टूरिस्ट बंग्लो, चम्पा और विहार पार्क भी विशेष रूप से प्रसिद्ध है।
10. गीता प्रेस (Geeta Press)
रेती चौक से चार किलोमीटर की दूरी पर गीता प्रेस स्थित है। इस जगह पर श्री महाभागवत गीता के अठारह भाग संगमरमर की दीवारों पर लिखे हुए देखे जा सकते हैं। इसके अतिरिक्त, अन्य दीवारों पर भगवान राम और कृष्ण के जीवन से जुड़ी घटनाओं को चित्रकारी के रूप में देखा जा सकता है। इस जगह से हिन्दू धार्मिक पुस्तकों के सभी भाग उचित मूल्य पर आसानी से खरीदे जा सकते हैं।
गोरखपुर के प्रमुख पार्क (Park in Gorakhapur)
गोरखपुर में अनेक सुंदर और मनोहारी पार्क हैं जहां पर पर्यटक खासकर बच्चे जाना पसंद करते हैं जैसे वाटर पार्क नीर निकुंज, इंदिरा बाल विहार, कुसुम्ही विनोद वन, प्रेमचंद पार्क, नेहरू मनोरंजन पार्क, पं. दीन दयाल उपाध्याय पार्क आदि।
गोरखपुर कैसे पहुंचे (How to Reach Gorakhpur by Train, flight and Road)
वायु मार्ग: गोरखपुर शहर का अपना हवाई अड्डा है। गोरखपुर के लिए देश के प्रमुख हवाई अड्डो से नियमित फ्लाइट उपलब्ध है।
रेल मार्ग: “गोरखपुर जंक्शन” देश के लगभग सभी मुख्य स्टेशन से अच्छी प्रकार से जुड़ा हुआ है।
सड़क मार्ग: गोरखपुर सड़क मार्ग द्वारा भारत के कई प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। गोरखपुर के लिए मेरठ, गाज़ियाबाद, लखनऊ, कानपुर, दिल्ली आदि से बस सेवा उपलब्ध है।
गोरखपुर से विभिन्न शहरों की दूरी- आगरा 546 किलोमीटर, अहमदाबाद 1738 किलोमीटर, हावड़ा: 870 किलोमीटर, लखनऊ: 270 किलोमीटर, पटना: 260 किलोमीटर, वाराणसी: 232 किलोमीटर।