Govardhan Puja: गोवर्धन पूजा मुहूर्त और विधि
Govardhan Pujan: गोवर्धन पूजा दिवाली के एक दिन बाद मनाई जाती है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार यह कार्तिक महीने में शुक्ल पक्ष (चंद्रमा के उज्ज्वल पखवाड़े) के प्रतिपदा (पहले चंद्र दिवस) पर पड़ता है।
गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja)
अन्य नाम | अन्नकूट पर्व |
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अनुयायी | हिंदू |
उद्देश्य | धार्मिक निष्ठा, उत्सव |
उत्सव | गोवर्धन पूजा, श्रीकृष्ण पूजा, गौ पूजा, अन्नकूट का छप्पन भोग |
तिथि | कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि |
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Govardhan Puja Significance: दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। लोग इसे अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं। गोवर्धन पूजा में गोधन अर्थात गायों की पूजा की जाती है। गोवर्धन पूजा को देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है। कुछ जगहों पर इसे ‘बलि प्रतिपदा’, ‘अन्नकूट पूजा’, ‘पड़वा’ या ‘गुजराती नव वर्ष’ के नाम से भी जाना जाता है। महाराष्ट्र में इसे ‘पड़वा’ के रूप में मनाया जाता है और पुरुषों द्वारा पत्नियों को उपहार देने की परंपरा है।
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विश्वकर्मा पूजन: भारत के कुछ हिस्सों में, दिवाली के अगले दिन को ‘विश्वकर्मा दिवस’ के रूप में भी मनाया जाता है। यह दिन औजारों की पूजा के लिए समर्पित है और इसे आधिकारिक तौर पर छुट्टी के रूप में चिह्नित किया जाता है। इस दिन दस्तकार और कल-कारखानों में कार्य करने वाले कारीगर भगवान विश्वकर्मा की पूजा भी करते हैं। भगवान विश्वकर्मा और मशीनों एवं उपकरणों का दोपहर के समय पूजन किया जाता है। (और पढ़ें: दिवाली से जुड़े रोचक तथ्य
गोवर्धन पूजा मुहूर्त 2024 (Govardhan Puja Muhurt)
गोवर्धन पूजा, दिवाली के 5 दिवसीय भव्य त्यौहार का चौथा दिन है। कभी-कभी दिवाली समारोह और गोवर्धन पूजा के बीच एक दिन का अंतर हो सकता है। गोवर्धन पूजा 2024 में 02 नवंबर शनिवार को है।
- प्रातःकाल मुहूर्त : 02 नवंबर, सुबह 6:36 बजे – 02 नवंबर, सुबह 8:50 बजे
- सायंकाल मुहूर्त : 02 नवंबर, दोपहर 3:30 बजे – 02 नवंबर, शाम 5:44 बजे
सूर्योदय | 02 नवंबर, 6:36 पूर्वाह्न |
सूर्यास्त | 02 नवंबर, 5:44 अपराह्न |
प्रतिपदा तिथि का समय | 01 नवंबर, 06:17 अपराह्न – 02 नवंबर, 08:22 अपराह्न |
गोवर्धन पूजा प्रातःकाल मुहूर्त | 02 नवंबर, 06:36 पूर्वाह्न – 08:50 पूर्वाह्न |
गोवर्धन पूजा सायंकाल मुहूर्त | 02 नवंबर, 03:30 अपराह्न – 05:44 अपराह्न |
गोवर्धन पूजा कथा (Govardhan Puja Story in Hindi)
गोवर्धन पूजा के विषय में एक कथा प्रसिद्ध है। जब भगवान श्री कृष्ण जब अपने दोस्तों और गोपियों के साथ गाय चराते थे, तो एक दिन वे गोवर्धन पर्वत पर जा पहुंचे। वहाँ उन्होंने देखा कि सब लोग 56 तरह के खाने बनाकर इन्द्र देव की पूजा कर रहे थे ताकि इन्द्रदेव खुश होकर बारिश करें और फसल अच्छी हो। यह देखकर श्री कृष्ण ने सबको समझाया कि इन्द्र देव की पूजा करने से अच्छा तो गोवर्धन पर्वत की पूजा करना है, क्योंकि वही हमारी गायों को खाना और आश्रय देता है।
ब्रज के लोगों ने श्री कृष्ण की सलाह मानी और इन्द्र देव की पूजा छोड़कर गोवर्धन पर्वत की पूजा शुरू कर दी। यह देखकर इन्द्र देव को बुरा लगा और वे क्रोधित हो गए। गुस्से में उन्होंने बादलों को हुक्म दिया कि गोकुल में जमकर बारिश करें ताकि वहां का जीवन तहस-नहस हो जाए। इन्द्रदेव के आदेश पर बादल गोकुल में मूसलाधार बारिश करने लगे। इतनी तेज बारिश से लोग डर गए और मदद के लिए दौड़ते हुए श्री कृष्ण के पास पहुंचे।
श्री कृष्ण ने सबको गोवर्धन पर्वत के पास चलने को कहा और फिर अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया। सभी लोग पर्वत के नीचे जाकर सुरक्षित हो गए और बारिश से बच गए। श्री कृष्ण का यह चमत्कार देखकर इन्द्र देव को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने श्री कृष्ण से माफी मांगी। श्री कृष्ण ने ब्रजवासियों से कहा कि वे हर साल गोवर्धन पूजा और अन्नकूट पर्व मनाया करें। तभी से इस दिन यह पर्व मनाया जाता है।
गोवर्पूधन पूजा सरल विधि (How to celebrate Govardhana Fastival)
गोवर्धन पूजा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर शरीर पर तेल लगाने के बाद स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
अब अपने ईष्ट देवता का ध्यान करें और फिर घर के मुख्य दरवाजे के सामने गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाएं। इसे लेटे हुये पुरुष की आकृति में बनाया जाता है। गोवर्धन की आकृति बनाकर उनके मध्य में भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति रखी जाती है। नाभि के स्थान पर एक कटोरी या मिट्टी का दीपक रख दिया जाता है। फिर इसमें दूध, दही, गंगाजल, शहद, बताशे आदि पूजा करते समय डाल दिए जाते हैं और बाद में इसे प्रसाद के रूप में बांट देते हैं।
- अब इस पर्वत को पौधों, पेड़ की शाखाओं और लफूलों से सजाएं।
- गोवर्धन में अपामार्ग अनिवार्य रूप से रखा जाता है। इसलिए गोवर्धन पर अपामार्ग की टहनियां जरूर लगाएं।
- अब पर्वत पर रोली, कुमकुम, अक्षत और फूल अर्पित करें।
- अनेक स्थानों पर इसके मनुष्याकार बनाकर पुष्पों, लताओं आदि से सजाया जाता है। शाम को गोवर्धन की पूजा की जाती है। पूजा में धूप, दीप, नैवेद्य, जल, फल, फूल, खील, बताशे आदि का प्रयोग किया जाता है।
- पूजा के बाद गोवर्धनजी के सात परिक्रमाएं उनकी जय बोलते हुए लगाई जाती हैं।
- परिक्रमा के समय एक व्यक्ति हाथ में जल का लोटा व अन्य खील (जौ) लेकर चलते हैं। जल के लोटे वाला व्यक्ति पानी की धारा गिराता हुआ तथा अन्य जौ बोते हुए परिक्रमा पूरी करते हैं।
- अगर आपके घर में गायें हैं तो उन्हें स्नान कराकर उनका श्रृंगार करें। फिर उन्हें रोली, कुमकुम, अक्षत और फूल अर्पित करें। आप चाहें तो अपने आसपास की गायों की भी पूजा कर सकते हैं। अगर गाय नहीं है तो फिर उनका चित्र बनाकर भी पूजा की जा सकती है।
- अब गायों को नैवेद्य अर्पित करें।
- इसके बाद गोवर्धन पर्वत और गायों को भोग लगाकर आरती उतारें।
- जिन गायों की आपने पूजा की है शाम के समय उनसे गोबर के गोवर्धन पर्वत का मर्दन कराएं यानी कि अपने द्वारा बनाए गए पर्वत पर पूजित गायों को चलवाएं। फिर उस गोबर से घर-आंगन लीपें।
- इस दिन इंद्रदेव, वरुण, अग्नि और भगवान विष्णु की पूजा और हवन भी किया जाता है।
गोवर्धन पूजा उत्सव 2024 से 2030
वर्ष | तारीख |
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2024 | शनिवार, 2 नवम्बर |
2025 | बुधवार, 22 अक्टूबर |
2026 | मंगलवार, 10 नवम्बर |
2027 | शनिवार, 30 अक्टूबर |
2028 | बुधवार, 18 अक्टूबर |
2029 | मंगलवार, 6 नवम्बर |
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