Gurdaspur (Punjab): History & Places to visit in Hindi
गुरदासपुर (Gurdaspur) भारतीय राज्य पंजाब का एक शहर है , जो ब्यास और रावी नदियों के बीच है। यह जिले का मुख्यालय भी है।
Gurdaspur Histour & Tourist Places in Hindi | Wiki
राज्य | पंजाब (Punjab) |
क्षेत्रफल | 3569 वर्ग किलोमीटर |
भाषा | हिंदी और पंजाबी |
दर्शनीय स्थल | झूलना महल, महाकालेश्वर मन्दिर, बारठ साहिब, डेरा नानक, अचलेश्वर महादेब मंदिर आदि। |
प्रसिद्धि | गुरुद्वारों व मंदिरों के लिए प्रसिद्ध। |
कब जाएं | कब जाएं। |
रावी और व्यास नदियों के बीच बसा गरदासपुर गुरुद्वारों व मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। पंजाब का यह जिला पाकिस्तान, जम्मू व कश्मीर, अमृतसर व होशियारपुर और हिमाचल प्रदेश की सीमा से लगा हुआ है।
गुरदासपुर की स्थापना 17वीं शताब्दी के आरंभ में साहिब दीप चंद ने की थी। उन्होंने इस शहर का नाम अपने दादा गुरिया के नाम पर गुरदासपुर रखा। गुरदासपुर के लिए गुरिया जी ने सांगी जोत्र के जाटों से जमीन मांगी थी।
1. झूलना महल गुरूद्वारा (Gurudwara Shri Jhulna Sahib)
झूलना महल गुरूद्वारा गुरदासपुर स्थित प्रमुख गुरूद्वारों में से हैं। यह गुरूद्वारा 19वीं शताब्दी का है। इस गुरूद्वार की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि गुरूद्वारे में कोई भी प्रवेश करता है तो इसके भीतर कम्पन उत्पन्न होता है। इसका अनुभव लेने के लिए हजारों की संख्या में भक्त यहां आते हैं।
2. महाकालेश्वर मंदिर (Mahakaleshwar Temple)
महाकालेश्वर मंदिर कलनौर में स्थित है। इस मंदिर में स्थित शिवलिंग चौकोर है। पूरे भारत में यह अकेला शिवलिंग है जिसका आकार चौकोर है। प्रत्येक वर्ष शिवरात्रि के अवसर पर यहां बहुत बड़े मेले का आयोजन किया जाता है। काफी संख्या में भक्तगण इस मेले में आते हैं।
3.बारठ साहिब (Gurudwara shri Barth Sahib)
बैराठ साहिब (Gurudwara Shri Barth Sahib) पठानकोट शहर से 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बैराठ साहिब गुरूद्वारे को संयुक्त रूप से बाबा श्री चंद और गुरू नानक देव जी के बड़े बेटे ने मिलकर बनवाया था।
4. डेरा बाबा नानक (Dera Baba Nanak)
डेरा बाबा नानक ( Dera baba Nanak) गुरदासपुर से 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस जगह का संबंध गुरू नानक देव जी के साथ जोड़ा जाता है। डेरा बाबा नानक में दो प्रमुख गुरूद्वारे श्री दरबार साहिब और श्री चोला साहिब स्थित है।
5. अचलेश्वर मंदिर (Achleshwar Mandir)
गुरुदारा के विपरीत दिशा में अचलेश्वर मंदिर स्थित है। इस मंदिर का संबंध सतयुग से जोड़ा जाता है। मंदिर के आगे लगे बोर्ड के अनुसार इस मंदिर का निर्माण शिव और पार्वती के पुत्र कार्तिकेय ने करवाया था।
6. गुरदास नांगल (Gurdas Nangal)
गुरदास नांगल (Girudas Nangal) गुरदासपुर शहर से सात किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां स्थित भाई धुनी चंद की हवेली वर्तमान समय में बंदे वाली देह के नाम से जानी जाती है। बंदे सिह बहादुर के जीवन का इतिहास एक विशाल बोर्ड पर लिखा हुआ है जिसे गुरूद्वारे के आरम्भ में टांगा गया है। गुरूद्वारे को पहले भाई धुनी चंद की हवेली के नाम से जाना जाता था।
7. श्री हरगोविन्दपुर (Shri Hargobindpur)
श्री हरगोविन्दपुर (Shri Hargobindpur) गुरदासपुर शहर से 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस जगह को रोहिला के नाम से भी जाना जाता है। सिखों के पांचवें गुरू, गुरू अर्जुन देव ने 1595 ई. में श्री हरगोविन्दपुर की स्थापना की थी। गुरू अर्जुन देव ने इस जगह की स्थापना अपने बेटे हरगोविन्द के जन्म पर की थी। हरगोविन्द गुरू अर्जुनदेव के एकलौते पुत्र थे जो उनके विवाह के काफी वर्षों के बाद पैदा हुए थे।
8. मुक्तेश्वर मंदिर (Mukteshwar Temple)
मुक्तेश्वर मंदिर (Mukreshwar Temple) रावी नदी के किनारे स्थित है। यह मंदिर शाहपुर खांडी से आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह काफी पुराना मंदिर है। इस मंदिर को पांडवों के समय का माना जाता है।
कहा जाता है कि अर्जुन और द्रौपदी यहां घूमने के लिए आए थे। मंदिर के समीप ही एक ऊंची चट्टान है जिस पर से एक छोटी सी नदी प्रवाहित होती है। इस नदी को अर्जुन चोल के नाम से जाना जाता है।कहां ठहरे
गुरुदासपुर कैंसे पहुंचे (How to Reach Gurdaspur)
वायु मार्ग: सबसे नजदीकी एयरपोर्ट अमृतसर है। अमृतसर से गुरदासपुर 72 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
रेल मार्ग: नई दिल्ली, अमृतसर और अहमदाबाद आदि से गुरदासपुर के लिए नियमित रूप से ट्रेनें चलती है।
सड़क मार्ग: गुरदासपुर सड़क मार्ग द्वारा भारत के कई शहरों से जुड़ा हुआ है।