Hair & Nail Rule: किस दिन बाल और नाखून नही काटना चाहिए
Hair & Nail Cutting Rule: परंपराएं, नियम-कायदे और अनुशासन आखिर क्या और क्यों हैं? आज के इस वैज्ञानिक युग में इन बातों का कोई महत्व या औचित्य है भी या नहीं, कहीं ये बातें अंध विश्वास ही तो नहीं हैं? दूसरे पहलू से सोचें तो क्या इन परंपराओं का इंसानी जिंदगी में कोई महत्वपूर्ण योगदान है?
जब गहराई और बारीकी से अध्ययन और विश्लेषण करते हैं तो हम पाते हैं कि, अधिकांस परंपराओं और रीति-रिवाजों के पीछे एक सुनिश्वित वैज्ञानिक कारण होता है। किसी बात को पूरा का पूरा समाज यूं ही नहीं मानने लग जाता। अनुभव, उदाहरण, आंकड़े और परिणामों के आधार पर ही कोई नियम या परंपरा परे समाज में स्थान और मान्यता प्राप्त करते हैं।
प्रात:जल्दी उठना, सूर्य व तुलसी को जल चढ़ाना, माता-पिता व गुरुजनों के चरण स्पर्श करना या तिलक लगाना , शिखा-जनेऊ धारण करना आदि अनेक परंपराओं का बड़ा ही पुख्ता वैज्ञानिक आधार होता है। बेहद महत्वपूर्ण और अनिवार्य परंपराओं व नियमों में बाल और नाखून काटने के विषय में भी स्पष्ट संकेत प्राप्त होते हैं।
किस दिन बाल और नाखून नही काटना चाहिए (Hair & Nail Cutting Rule)
आज भी हम घर के बड़े और बुजुर्गों को यह कहते हुए सुनते हैं कि, शनिवार, मंगलवार और गुरुवार के दिन बाल और नाखून भूल कर भी नहीं काटना चाहिये। पर आखिर ऐसा क्यों?
शनिवार, मंगलवार और गुरुवार को क्यों है निषेध?
जब हम अंतरिक्ष विज्ञान और ज्योतिष की प्राचीन और प्रामाणिक पुस्तकों का अध्ययन करते तो इन प्रश्रों का बड़ा ही स्पष्ट वैज्ञानिक समाधान प्राप्त होता है। वह यह कि शनिवार, मंगलवार और गुरुवार के दिन ग्रह-नक्षत्रों की दशाएं तथा अंनत ब्रह्माण्ड में से आने वाली अनेकानेक सूक्ष्माति सूक्ष्म किरणें मानवीय मस्तिष्क पर अत्यंत संवेदनशील प्रभाव डालती हैं।
यह स्पष्ट है कि इंसानी शरीर में उंगलियों के अग्र भाग तथा सिर अत्यंत संवेदनशील होते हैं। कठोर नाखूनों और बालों से इनकी सुरक्षा होती है। इसीलिये ऐसे प्रतिकूल समय में इनका काटना शास्त्रों में वर्जित, निंदनीय और अधार्मिक कार्य माना गया है।
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