
Contents
- 1 हृदय रेखा (Heart Line Palmistry Hindi)
- 2 हृदय रेखा उदय स्थान और अर्थ (Location And Meaning)
- 3 गुरु पर्वत के नीचे समाप्त (Ending at the Mount of Jupiter)
- 4 तर्जनी के मूल में समाप्त (Ending at the Base of Index Finger)
- 5 गुरु और शनि के मध्य से समाप्त (Ending Between the Mount of Jupiter and Saturn)
- 6 शनि क्षेत्र में समाप्त (Ending at The Mount of Seturn)
- 7 हथेली को पार कर जाने वाली हृदय रेखा
- 8 हृदय रेखा से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण जानकरी
हृदय रेखा (Heart Line Palmistry Hindi)
हाथ के अध्ययन में हृदय रेखा (Heart Line) को एक महत्वपूर्ण और आदर्शपूर्ण स्थान प्राप्त है। जीवन के नाटक में पुरुष का स्त्री के प्रति और स्त्री का पुरुष के प्रति आकर्षण स्वभाविक हैं। स्त्री- पुरुष के आपसी प्रेम की भावनाओं का परिचय हाथ से ही प्राप्त होता है। और यह भूमिका निभाती है हृदय रेखा।
हृदय रेखा उदय स्थान और अर्थ (Location And Meaning)
हृदय रेखा, बुध क्षेत्र से आरम्भ होकर सूर्य, शनि क्षेत्रों के मूल स्थान को पार करती हुई गुरु स्थान तक पहुंच जाती है। कई बार यह रेखा हथेली को पार भी कर देती है।
हृदयरेखा गहरी, सुस्पष्ट और दोष रहित होने पर उत्तम होती है। उसके अंत होने के स्थान सभी हाथों में एक नहीं होते। परंतु इसका मार्ग सदैव बुध और गुरु पर्वत के नीचे ही रहता है।
गुरु पर्वत के नीचे समाप्त (Ending at the Mount of Jupiter)
यदि यह रेखा बुध पर्वत से प्रारम्भ होकर बृहस्पति क्षेत्र के मध्य भाग में जाकर समाप्त हो तो ऐसे व्यक्ति आदर्श प्रेमी होता है और जिसे प्रेम करता है उसकी अराधना करता है। प्रेम में दृढ़ और विश्वसनीय होता है।
वह चाहता है कि वह जिस स्त्री को प्रेम करे या करता हो, वह महान कुलीन और प्रतिष्ठित हो। वह अपने स्तर से निम्न स्तर की स्त्री के साथ कभी विवाह नहीं करता।
तर्जनी के मूल में समाप्त (Ending at the Base of Index Finger)
कभी-कभी हृदय रेखा तर्जनी उंगली के नीचे समाप्त होती है इससे गुणों में अधिकता हो जाती हैं। व्यक्ति प्रेम में अन्धा हो जाता है। उसे अपने प्रेम पात्र में कोई कमी दिखाई नहीं देती। इस प्रकार के लोग प्रेम में धोखा खा जाते हैं और दुखी रहते हैं। जब प्रेम पात्र वैसा नहीं होता जैसा वह चाहते हैं तो उनकी आत्माभिमान को ऐसी चोट लगती है कि उसके प्रभाव से वे कभी उभर नहीं पाते।
गुरु और शनि के मध्य से समाप्त (Ending Between the Mount of Jupiter and Saturn)
यदि हृदय रेखा तर्जनी और मध्यमा के मध्य से आरम्भ हो के व्यक्ति सच्चे मन से प्रेम करता है लेकिन शान्त रहता है। बेचैन नहीं होता। बृहस्पति क्षेत्र के आदर्श और आत्माभिमान, शनि क्षेत्र से प्राप्त उत्तेजना और गरिमा दोनों के बीच के गुण ग्रहण कर लेता है।
शनि क्षेत्र में समाप्त (Ending at The Mount of Seturn)
यदि हृदय रेखा शनि क्षेत्र में समाप्त हो तो उस व्यक्ति के प्रेम में वासना अधिक होती है। इसलिए प्रेम के सम्बन्ध में वह स्वार्थी होता है लेकिन प्रेम का उतना प्रदर्शन नहीं करता जितना बृहस्पति क्षेत्र से आरम्भ होने वाली रेखा वाले करते हैं।
यदि हृदय रेखा मध्यमा के मूल स्थान से आरम्भ हो तो वासना और रतिक्रिया की ओर प्रवृत्ति अत्याधिक हो जाती है। मान्यता है कि वासना के वशीभूतु व्यक्ति बहुत स्वार्थी होता है यह दुर्गुण उन लोगों में बढ़ जाता है।
हथेली को पार कर जाने वाली हृदय रेखा
यदि हृदय रेखा अपनी स्वभाविक लम्बाई से अधिक लम्बी हो और हाथ के एक छोर से दूसरे छोर तक चली जाए तो प्रेम की भावनाओं में बाढ़ आ जाती है। वह ईष्ष्यालु हो जाता है। वह प्रवृत्ति और अधिक तब बढ़ जाती है जब हृदय रेखा आरम्भ से चलकर तर्जन के मूल स्थान में पहुंच जाए।
हृदय रेखा से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण जानकरी
- जब कई सूक्ष्म रेखाएं नीचे से चलकर हृदय रेखा पर धावा बोल दें. तो वह व्यक्ति प्रेम का जाल में इधर उधर मारता फिरता है। वह टिककर किसी से प्रेम नहीं कर पाता।
- शनि क्षेत्र से आरम्भ होने वाली हृदय रेखा यदि चौड़ी और श्रृंखलादार हो तो वह स्त्री या पुरुष विपरीत लिंग के प्रति आकर्षित नहीं होते। एक दूसरे को घृणा की दृष्टि से देखते हैं।
- यदि हृदय रेखा का रंग चमकीला लाल हो तो वासना हिंसात्मक हो जाती है। वासनापूर्ति के लिए वह हिंसा (बलात्कार) भी कर सकता है। हृदय रेखा नीचे हो और शीर्ष रेखा के निकट हो तो हृदय मन की कार्यशीलता (विचारों) में हस्तक्षेप करता है।
- हृदय रेखा का रंग फीका हो तो व्यक्ति निराश स्वभाव का होता है। प्रेम आदि में उसकी विशेष दिलचस्पी नहीं होती। यदि हृदय रेखा ऊंची हो और शीर्ष रेखा उठकर हृदय रेखा के निकट पहुंच जाए तो फल विपरीत होता है। मन हृदय की भावनाओं के नियन्त्रण करने में समर्थ होता है। इसलिए व्यक्ति हृदयहीन ईर्ष्यालु और अनुदार होता है।
- यदि हृदय रेखा छिन्न-भिन्न हो तो प्रेम में निराशा मिलती है। यदि रेखा शनि के नीचे टूटी हो तो न चाहते हुए भी प्रेम सम्बन्ध टूट जाता है। यदि रेखा सूर्य क्षेत्र के नीचे टूटी हो तो प्रेम में कटुता या विच्छेद व्यक्ति की मूर्खता, लालच और विचारों की संकीर्णता के कारण ऐसा होता है।
- यदि हृदय रेखा बृहस्पति क्षेत्र पर दो छोटी शाखाओं के साथ आरम्भ हो तो व्यक्ति निसन्देह है सच्चे दिल का ईमानदार और प्रेम के क्षेत्र में उत्साही होता है। यदि हृदय रेखा नीची हो और शीर्ष रेखा की ओर डली हो तो व्यक्ति को प्रेम में प्रसन्ना प्राप्त नहीं होती।
- यदि हृदय रेखा आरम्भ में दो शाखाओं में बंट जाए और उसकी एक शाखा बृहस्पति पर्वत और दूसरी तर्जनी तथा मध्यमा के मध्य चली गई हो तो व्यक्ति प्रेम में सन्तुलित,सन्नचित्त, सुखी और सौभाग्यशाली होगा! यदि एक शाखा बृहस्पति क्षेत्र में और दूसरी शनि क्षेत्र में चली जाए तो व्यक्ति का स्वभाव अनिश्चित रहेगा। विवाहित जीवन को अपने ही कारण दुखी बना लेगा।
- यदि हृदय रेखा शाखाहीन और पतली हो तो व्यक्ति रुखे स्वभाव का होता है। उसके निम में गरिमा नहीं होती।
- हृदय रेखा की समाप्ति पर कुछ क्षेत्र के नीचे हाथ पर शाखाएं न हों तो उस व्यक्ति में सन्तान पैदा करने की क्षमता नहीं होती। यदि शीर्ष रेखा से निकलकर सूक्ष्म रेखाएं हृदय रेखा को स्पर्श करें तो वे उन प्रभावों का प्रतिनिधित्व नहीं करतीं जिनका प्रभाव हृदय सम्बन्धी विषयों पर पड़ता है। यदि रेखाएं हृदय रेखा को काट दें तो प्रेम सम्बन्धों पर दुष्प्रभाव डालकर हानि पहुंचाती हैं।
- “यदि हृदय रेखा, शीर्ष रेखा और जीवन रेखा जुड़ी हुई हो तो बहुत ही अशुभ होता है। ऐसा व्यक्ति प्रेम सम्बन्धी अभिलाषा पूरी करने के लिए सब कुछ करने लगता है।
- यदि हाथ में हृदय रेखा न हो या नाममात्र को हो तो उस व्यक्ति में घनिष्ट प्रेम सम्बन्ध स्थापित करने की क्षमता नहीं होती। यदि हाथ मुलायम हो तो व्यक्ति अत्याधिक वासना प्रिय होता है। यदि हाथ कठोर हो तो वासना नहीं होती। प्रेम के मामले में वह व्यक्ति नीरस होता है।
- किसी के हाथ में अच्छी हृदय रेखा है लेकिन बाद में फीकी पड़ जाए तो प्रेम में भीषण निराशाओं का सामना करना पड़ेगा। जिसके कारण वह हृदयहीन और प्रेम विमुख हो गया है।
सअभार:- ज्योतिषाचार्य भृगुराज