पञ्चाङ्ग : Hindu Calendar PDF Free Download
Panchang: पंचांग एक परंपरागत भारतीय कालदर्शक है जिसमें समय के हिंदू इकाइयों (वार, तिथि, नक्षत्र, करण, योग आदि) का उपयोग होता है। इसमें सारणी या तालिका के रूप में महत्वपूर्ण सूचनाएँ अंकित होतीं हैं जिनकी अपनी गणना पद्धति है। अपने भिन्न-भिन्न रूपों में यह लगभग पूरे भारत और नेपाल में माना जाता है।
पंचांग का शाब्दिक अर्थ क्या है?
पंचांग शब्द का अर्थ है, “पाँच अंगो वाला”। पंचांग में समय गणना के पाँच अंग हैं : वार, तिथि, नक्षत्र, योग, और करण।
पंचांग के प्रकार (Types of Panchang)
विक्रमी पंचांग – यह सर्वाधिक प्रसिद्ध पंचांग है जो भारत के उत्तरी, पश्चिमी और मध्य भाग में प्रचलित है।
- तमिल पंचांग – दक्षिण भारत में प्रचलित है।
- बंगाली पंचांग – बंगाल तथा कुछ अन्य पूर्वी भागों में प्रचलित है।
- मलयालम पंचांग – यह केरल में प्रचलित है और सौर पंचाग है।
- नेपाली पंचांग: यह नेपाल में प्रसिद्ध है।
भारतीय संस्कृति में पंचांग का महत्व प्राचीन काल से रहा है। यह केवल एक कैलेंडर नहीं, बल्कि धार्मिक, ज्योतिषीय, और सांस्कृतिक परंपराओं का संगम है। विक्रमी, तमिल, बंगाली और मलयालम जैसे विभिन्न प्रकार के पंचांगों का उपयोग भारत के विभिन्न हिस्सों में किया जाता है। यदि आप भी त्योहारों, शुभ कार्यों या ज्योतिषीय जानकारी के लिए पंचांग का उपयोग करना चाहते हैं, तो इसे समझकर अपनी दिनचर्या में शामिल करें और भारतीय परंपराओं का पालन करें।
पंचांग का महत्व विशेष रूप से आज के समय में अधिक हो गया है, जब लोग अपने जीवन में संतुलन और शुभता की तलाश में रहते हैं। पंचांग का नियमित उपयोग आपके जीवन को सही दिशा में मार्गदर्शन कर सकता है।
भारत के प्रसिद्ध पंचांग और उनके PDF (2025 – 2026)
भारत में कई प्रसिद्ध पंचांग हैं, जो विभिन्न समुदायों और क्षेत्रों के अनुसार तिथियों और त्योहारों का निर्धारण करते हैं। कुछ प्रमुख पंचांग और उनके बारे में जानकारी और उपलब्ध पंचांग PDF नीचे दिया जा रहा है।
1. हृषिकेश पंचांग (Harishkesh Panchang)
पं शिवमूर्ति उपाध्याय द्वारा सम्पादित ‘हृषीकेश पञ्चाङ्ग’ देश का सर्वमान्य पञ्चाङ्ग है। 2024 में दिवाली की तारीख को लेकर जो विवाद हुआ था, उसे उत्पन्न करने में इस पंचांग की एक महत्वपूर्ण भूमिका थी।
विवाद का मूल कारण यह था कि कई पंचांगों ने दिवाली का मुहूर्त 31 अक्टूबर को बताया, जबकि कुछ अन्य पंचांगों ने इसे 1 नवंबर को बताया। ऋषिकेश पंचांग भी उन पंचांगों में से एक था जिसने 31 अक्टूबर को दिवाली मनाने का सुझाव दिया था। इस मतभेद के कारण देशभर में लोग इस बात को लेकर उलझन में पड़ गए कि आखिर दिवाली कब मनाई जाए।
ऋषिकेश पंचांग के महत्व को देखते हुए, इस विवाद ने लोगों को पंचांगों की सटीकता और विभिन्न पंचांगों के बीच मतभेदों के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया।
2. ठाकुर प्रसाद पञ्चाङ्ग (Thakoor Prasad Panchanga)
ठाकुर प्रसाद, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखण्ड के सर्वाधिक लोकप्रिय पञ्चाङ्गों में से एक है। वाराणसी में दो भिन्न-भिन्न प्रकाशन गृहों से कम से कम ऐसे दो पञ्चाङ्ग प्रकाशित होते हैं, जो ठाकुर प्रसाद पञ्चाङ्ग के नाम से प्रसिद्ध हैं।
3. हिमाल पंचांग (Himal Panchang)
हिमाल पंचांग, नेपाल का सर्वाधिक लोकप्रिय पंचांग है। इसे “हिमाल पात्रों” नाम से कहते है। भारत वर्ष में भी जो नेपाली ब्राह्मण कर्मकांड करते है वह भी इसी पंचांग का इस्तमाल करते है। यह पंचांग ऑनलाइन उपलब्ध नहीं है। इसे आप नेपाल, नेपाल-भारत के बॉर्डर के क्षेत्र और वाराणसी (दुर्गा साहित्य भंडार, वाराणसी) से प्राप्त कर सकते है।
4. चिंताहरण जंतरी (Chintaharan Jantri)
वर्तमान में पं. चिंताहरण जंत्री के संपादक सुशील कुमार त्रिपाठी और उप-संपादक दिव्या त्रिपाठी हैं। इसका प्रकाशन वाराणसी के राजा दरवाजा स्थित ठाकुर प्रसाद एंड संस बुक सेलर के प्रकाशन से होता है।
5. काल निर्णय पंचांग (Kalnirnay Panchang)
कालनिर्णय विशेषकर महाराष्ट्र में प्रसिद्ध एवं प्रतिष्ठित पंचांग है। कालनिर्णय 1973 से प्रकाशित हो रहा है और इसकी स्थापना स्वर्गीय जयंतराव सालगांवकर ने की थी। कलनिर्णय अंग्रेजी, मराठी, हिंदी, गुजराती, तमिल, तेलुगु और कन्नड़ सहित सात भाषाओं में प्रकाशित होता है और इसके अधिकांश पाठक मराठी हैं।
6. काशी विश्वनाथ पंचांग (Kashi Vishwanath Panchang)
श्री काशी विश्वनाथ पंचांग के प्रकाशन की शुरुआत सन 1862 में पं. श्री रामेश्वर दत्त उपाध्याय के द्वारा वाराणसी में की गई थी। इसके बाद इनके पुत्र पं. हृषीकेश उपाध्याय ने पंचांग में नए विषयों का समावेश कर इसे जनसाधारण के लिए अधिक उपयोगी बनाया। इनके नाम से ही इस पंचांग को हृषीकेश पंचांग के नाम से प्रसिद्धि मिली।
श्री काशी विश्वनाथ पंचांग वाराणसी से प्रकाशित कुछ प्रतिष्ठित पंचांगों में से एक है। श्री काशी विश्वनाथ पंचांग 150 वर्ष से भी अधिक पुराना माना जाता है और इसका प्रकाशन कई पीढ़ियों से होता आ रहा है।
7. लाला रामस्वरूप रामनारायण पञ्चाङ्ग (Lala Ramswaroop Panchang)
लाला रामस्वरूप पंचांग की शुरुआत वर्ष 1934 में श्री लाला रामस्वरूप द्वारा किया गया था। इसे एक सरलीकृत पंचांग के रूप में पेश किया गया, जिसे आम आदमी इस्तेमाल कर सकता था। यह अपनी तरह का पहला पंचांग था। आज भी, यह पंचांग/पत्र उसी के अनुसार छपता है। इसके पाठक भी सामान्य हिंदू परिवार से होते है।
Harikesh Panchang | |
Thakur Prasad Panchanga | |
Himal Panchang | |
Drick Panchang | |
Aifas Panchang |
नोट: हम अपने लेखों को समय समय पर अपडेट करते रहते है। अतः समय समय पर चेक करते रहे।