Hingoli (Maharashtra): History & Tourist Places in Hindi
हिंगोली ज़िला भारत के महाराष्ट्र राज्य का एक ज़िला है। ज़िले का मुख्यालय हिंगोली है।
Hingoli: History &Tourist Places in Hindi
राज्य | महाराष्ट्र |
क्षेत्रफल | 4526 |
भाषा | हिन्दी, मराठी, उर्दू |
तापमान | अधिकतम 43 डिग्री से., न्यूनतम 13 डिग्री से |
दर्शनीय स्थल | औंधा नागनाथ, नरसी नामदेव और बाराशिव हनुमान मंदिर आदि। |
यात्रा समय | नवम्बर से फरवरी। |
मराठवाडा के उत्तर में स्थित हिंगोली महाराष्ट्र के नवीनतम जिलों में एक है, इसका गठन 1 मई 1999 को हुआ था। मराठवाडा महाराष्ट्र के 6 प्रशासनिक डिवीजनों में एक है। इस स्थान को बालाघाट और सतपुड़ा की पहाड़ियों के पाथर प्रदेश के नाम से भी जाना जाता है।
हिंगोली के प्रमुख दर्शनीय स्थल (Places to visit in Hingoli)
4526 वर्ग किमी. में फैला यह जिला हिंगोली और बासमत सब डिवीजन और हिंगोली, बासमत, कलमनुरी, औंधा नागनाथ और सेनगांव ताल्लुकों में विभक्त है। यहां के औंधा नागनाथ, नरसी नामदेव और बाराशिव हनुमान प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं।
औंधा नागनाथ (Aundha Nagnath)
भारत के 12 ज्योतिर्लिग हिन्दू तीर्थस्थल के प्रमुख केन्द्र हैं। इन 12 ज्योतिर्लिगों में 5 तो महाराष्ट्र में ही हैं। औंधा नागनाथ महाराष्ट्र के इन पांच ज्योतिर्लिगों में एक है। यहां भगवान शिव कई सौ सालों से पूजा जा रहा हैं। धार्मिक दृष्टि से यह तीर्थस्थल काफी महत्वपूर्ण है।
माना जाता है कि धर्मराज युधिष्ठिर ने यह मंदिर अपने 14 वर्ष के वनवास के दौरान बनवाया था। हेमदपंथी शैली में बने इस मंदिर में खूबसूरत नक्कासी की गई है। शिवरात्रि और विजयदशमी के मौके पर यहां बड़ी तादाद में श्रद्धालुओं का आगमन होता है।
मल्लीनाथ दिगंबर जैन (Mallinath Digamber Jain Temple)
औंधा नागनाथ ताल्लुक के शिरद शाहपुर गांव में यह ऐतिहासिक जैन मंदिर स्थित हैं। यहां स्थापित भगवान मल्लीनाथ की मूर्ति लगभग 300 साल पुरानी मानी जाती है। माना जाता है कि मूर्ति पहले अर्धपुर में स्थापित थी। भट्टारक श्री प्रेमानंद निजाम की अनुमति से यह प्रतिमा करंजा ले जाना चाहते थे।
निजाम की अनुमति मिलने के बाद वह मूर्ति लेकर करंजा की ओर चल पड़े, लेकिन अपनी यात्रा के दौरान वह शिरद शाहपुर गांव में ठहर गए। इस गांव में उन्हें एक स्वप्न आया जिसमें मूर्ति को यहीं स्थापित करने का संदेश मिला। अत: यह मूर्ति यहीं स्थापित कर दी गई और यह जैनियों का प्रमुख तीर्थस्थल बन गया।
तुलजा देवी संस्थान (Shri Tulja Bhavani Temple)
लगभग 125 साल पहले स्वामी केशवराज ने देवी तुलजा भवानी की यहां पूजा की थी। बाद में यहां होने वाली खुदाई में देवी की प्रतिमा मिली। इसी स्थान पर एक मंदिर बनवा दिया गया। 1967 में इस मंदिर का संचालित करने के लिए एक ट्रस्ट बना। वर्तमान में यह ट्रस्ट विद्यार्थियों का छात्रवृत्ति, तीर्थयात्रियों के लिए आवास और स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने में अहम भूमिका निभा रहा है।
संत नामदेव संस्थान (Sant Namdev Maharaj Mandir)
हिंगोली जिले के नरसी गांव को संत श्री नामदेव का जन्मस्थान माना जाता है। संत नामदेव का जन्म यहां 1270 ई. में हुआ था और उनका पूरा नाम नामदेव दामाजी रलेकर था। संत नामदेव की याद में यहां हर वर्ष एक मेला लगता है। राज्य सरकार ने नरसी को एक पवित्र स्थान घोषित कर रखा है।
हिंगोली कैंसे पहुंचे (How to Reach Hingoli)
वायु मार्ग- औरंगाबाद हिंगोली का निकटतम एयरपोर्ट है जो लगभग 230 किमी. की दूरी पर है। देश के अनेक शहरों से यहां के लिए नियमित फ्लाइट्स हैं।
रेल मार्ग- परभानी यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन है जो हिंगोली से करीब 80 किमी. दूर है। यह रेलवे स्टेशन दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद आदि शहरों से अनेक ट्रेनों के माध्यम से जुड़ा हुआ है।
सड़क मार्ग- हिंगोली महाराष्ट्र और पड़ोसी राज्यों के अनेक शहरों से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। राज्य परिवहन और अनेक निजी वाहन इसे अन्य शहरों से जोड़ते हैं।
कहां ठहरें (Where to stay)
हिंगोली में तुलजा देवी संस्थान में आप अपनी यात्रा के दौरान ठहर सकते है। इसके अलावा हिंगोली के पड़ोसी जिले अकोला में भी ठहरने के लिए होटलों की व्यवस्था है।