इंदिरा एकादशी : व्रत कथा, मुहूर्त एवं पूजा विधि
आश्विन कृष्ण एकादशी को ‘इंदिरा एकादशी’ के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत-पूजन करने से अधूरी मनोकामनाएं विष्णु भगवान अवश्य पूरी करते है। इस वर्ष इंदिरा एकादशी 2 अक्टूबर को है।
इन्दिरा एकादशी व्रत

आधिकारिक नाम | इंदिरा एकादशी |
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तिथि | आश्विन कृष्ण एकादशी |
अनुयायी | हिन्दू |
प्रकार | व्रत |
उद्देश्य | सर्वकामना पूर्ति |
सम्बंधित लेख | एकादशी व्रत |
इंदिरा एकादशी व्रत कथा
युधिष्ठिर ने पूछा: हे मधुसूदन! कृपा करके मुझे यह बताइये कि आश्विन कृष्णपक्ष में कौन सी एकादशी होती है ?
भगवान श्रीकृष्ण बोले : राजन् ! आश्वित (गुजरात महाराष्ट्र के अनुसार भाद्रपद) के कृष्णपक्ष में ‘इन्दिरा’ नाम की एकादशी होती है। उसके व्रत के प्रभाव से बड़े बड़े पापों का नाश हो जाता है। नीच योनि में पड़े हुए पितरों को भी यह एकादशी सदगति देने वाली है।
राजन् पूर्वकाल की बात है। सत्ययुग में इन्द्रसेन नाम से विख्यात एक राजकुमार थे, जो माहिष्मतीपुरी के राजा होकर धर्मपूर्वक प्रजा का पालन करते थे। उनका यश सब ओर फैल चुका था।
राजा इन्द्रसेन भगवान विष्णु की भक्ति में तत्पर हो गोविन्द के मोक्षदायक नामों का जप करते हुए समय व्यतीत करते थे और विधि पूर्वक अध्यात्म तत्व के चिन्तन में संलग्न रहते थे। एक दिन राजा राजसभा में सुख पूर्वक बैठे हुए थे। इतने में ही देवर्षि नारद आकाश से उतरकर वहाँ आ पहुँचे।
उन्हें आया हुआ देख राजा हाथ जोड़कर खड़े हो गये और विधिपूर्वक पूजन करके उन्हें आसन पर बिठाया। इसके बाद वे इस प्रकार बोले ‘मुनिश्रेष्ठ’ आपकी कृपा से मेरी सर्वथा कुशल है। आज आपके दर्शन से मेरी सम्पूर्ण यज्ञ क्रियाएँ सफल हो गयाँ। देवर्षे ! अपने आगमन का कारण बताकर मुझ पर कृपा करे।
नारदजी ने कहा नृपश्रेष्ठ! सुनो, मेरी बात तुम्हें आश्चर्य में डालने वाली है। मैं ब्रह्मलोक से यमलोक में गया था। वहाँ एक श्रेष्ठ आसन पर बैठा और यमराज ने भक्ति पूर्वक मेरी पूजा की। उस समय यमराज की सभा में मैंने तुम्हारे पिता को भी देखा था। ये व्रतभंग के दोष से वहाँ आये थे। राजन्! उन्होंने तुमसे कहने के लिए एक सन्देश दिया है, उसे सुनो।
उन्होंने कहा है: ‘बेटा मुझे इन्दिरा एकादशी के व्रत का पुण्य देकर स्वर्ग में भेजो।’ उनका यह सन्देश लेकर मैं तुम्हारे पास आया हूँ। राजन् अपने पिता को स्वर्गलोक की प्राप्ति कराने के लिए इन्दिरा एकादशी का व्रत करो।
राजा ने पूछा : भगवन् ! कृपा करके इन्दिरा एकादशी का व्रत बताइये किस पक्ष में किस तिथि को और किस विधि से यह व्रत करना चाहिए।
नारदजी ने कहा : राजेन्द्र सुनो। मैं तुम्हें इस व्रत की शुभकारक विधि बतलाता हूँ। आधिन मास के कृष्णपक्ष में दशमी के उत्तम दिन को श्रद्धायुक्त चित से प्रतःकाल स्नान करो। फिर मध्याह्नकाल में स्नान करके एकाग्रचित हो एक समय भोजन करो तथा रात्रि में भूमि पर सोओ। रात्रि के अन्त में निर्मल प्रभात होने पर एकादशी के दिन दातुन करके मुँह धोओ इसके बाद भक्तिभाव से निम्नांकित मंत्र पढ़ते हुए उपवास का नियम ग्रहण करो :
अघ स्थित्वा निराहारः सर्वभोगविवर्जितः
श्रो भोक्ष्ये पुण्डरीकाक्ष शरणं मे भवाच्युत ॥
‘कमल नयन भगवान नारायण आज मैं सब भोगों से अलग हो निराहार रहकर कल भोजन करूँगा। अच्युत आप मुझे शरण दें।’
इस प्रकार नियम करके मध्याह्न काल में पितरों की प्रसन्नता के लिए शालग्राम शिला के सम्मुख विधि पूर्वक श्राद्ध करो तथा दक्षिणा से ब्राह्मणों का सत्कार करके उन्हें भोजन कराओ पितरों को दिये हुए अन्नमय पिण्ड को सुँघकर गाय को खिला दो।
फिर धूप और गन्ध आदि से भगवान हृषिकेश का पूजन करके रात्रि में उनके समीप जागरण करो। तत्पश्चात् सवेरा होने पर द्वादशी के दिन पुनः भक्तिपूर्वक श्रीहरि की पूजा करो । उसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराकर भाई बन्धु, नाती और पुत्र आदि के साथ स्वयं मौन होकर भोजन करो ।
राजन् इस विधि से आलस्य रहित होकर यह व्रत करो। इससे तुम्हारे पितर भगवान विष्णु के वैकुण्ठधाम में चले जायेंगे भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं राजन् ! राजा इन्द्रसेन से ऐसा कहकर देवर्षि नारद अन्तर्धान हो गये।
राजा ने उनकी बतायी हुई विधि से अन्तः पुर की रानियों, पुत्रों और भृत्योसहित उस उत्तम व्रत का अनुष्ठान किया। कुन्ती नन्दन व्रत पूर्ण होने पर आकाश से फूलों की वर्षा होने लगी। इन्द्रसेन के पिता गरुड़ पर आरुढ़ होकर श्रीविष्णुधाम को चले गये और राजर्षि इन्द्रसेन भी निष्कण्टक राज्य का उपभोग करके अपने पुत्र को राजसिंहासन पर बैठाकर स्वयं स्वर्गलोक को चले गये।
इस प्रकार मैंने तुम्हारे सामने इन्दिरा एकादशी व्रत के माहात्म्य का वर्णन किया है। इसको पढ़ने और सुनने से मनुष्य सब पापों से मुक्त हो जाता है।
2021 में इंदिरा एकादशी व्रत कब है? (Indira ekadashi Vrat Date and Muhurat)
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, इंदिरा एकादशी आश्विन कृष्ण एकादशी के दौरान ग्यारहवें दिन (एकादशी) को आती है। इंग्लिश कलेंडर के अनुसार, यह सितंबर-अक्टूबर में पड़ता है। इस वर्ष इंदिरा एकादशी 2 अक्टूबर को है।
Important Timings On Indira Ekadashi
सूर्योदय (Sunrise) | October 02, 2021 6:22 AM |
सूर्यास्त (Sunset) | October 02, 2021 6:09 PM |
एकादशी प्रारम्भ (Tithi Begins) | October 01, 2021 11:04 PM |
एकादशी समाप्त (Tithi Ends) | October 02, 2021 11:11 PM |
हरि वासरा समाप्त (Hari Vasara End) | October 03, 2021 5:00 AM |
द्वादशी समाप्त (Dwadashi End) | October 03, 2021 10:30 PM |
पारण समय (Parana Time) | October 03, 6:23 AM – October 03, 8:44 AM |
Indira Ekadashi festival dates Between 2021 to 2025
Year | Date |
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2021 | Saturday, 2nd of October |
2022 | Wednesday, 21st of September |
2023 | Tuesday, 10th of October |
2024 | Saturday, 28th of September |
2025 | Wednesday, 17th of September |
2026 | Tuesday, 6th of October |
2027 | Sunday, 26th of September |
2028 | Friday, 15th of September |
2021 एकादशी व्रत दिनांक सूची (ekadashi Vrat date list in 2021)
त्यौहार दिनांक | व्रत |
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जनवरी 10, 2025, शुक्रवार | पौष पुत्रदा एकादशी |
जनवरी 25, 2025, शनिवार | षटतिला एकादशी |
फरवरी 8, 2025, शनिवार | जया एकादशी |
फरवरी 24, 2025, सोमवार | विजया एकादशी |
मार्च 10, 2025, सोमवार | आमलकी एकादशी |
मार्च 25, 2025, मंगलवार | पापमोचिनी एकादशी |
मार्च 26, 2025, बुधवार | वैष्णव पापमोचिनी एकादशी |
अप्रैल 8, 2025, मंगलवार | कामदा एकादशी |
अप्रैल 24, 2025, बृहस्पतिवार | वरुथिनी एकादशी |
मई 8, 2025, बृहस्पतिवार | मोहिनी एकादशी |
मई 23, 2025, शुक्रवार | अपरा एकादशी |
जून 6, 2025, शुक्रवार | निर्जला एकादशी |
जून 21, 2025, शनिवार | योगिनी एकादशी |
जुलाई 6, 2025, रविवार | देवशयनी एकादशी |
जुलाई 21, 2025, सोमवार | कामिका एकादशी |
अगस्त 5, 2025, मंगलवार | श्रावण पुत्रदा एकादशी |
अगस्त 19, 2025, मंगलवार | अजा एकादशी |
सितम्बर 3, 2025, बुधवार | परिवर्तिनी एकादशी |
सितम्बर 17, 2025, बुधवार | इन्दिरा एकादशी |
अक्टूबर 3, 2025, शुक्रवार | पापांकुशा एकादशी |
अक्टूबर 17, 2025, शुक्रवार | रमा एकादशी |
नवम्बर 1, 2025, शनिवार | देवोत्थान / प्रबोधिनी एकादशी |
नवम्बर 15, 2025, शनिवार | उत्पन्ना एकादशी |
दिसम्बर 1, 2025, सोमवार | मोक्षदा एकादशी |
दिसम्बर 15, 2025, सोमवार | सफला एकादशी |
दिसम्बर 30, 2025, मंगलवार | पौष पुत्रदा एकादशी |