जलगांव (Jalgaon)
जळगाव (Jalgaon) भारत के महाराष्ट्र राज्य का एक नगर हैं। यह ज़िले का मुख्यालय भी है। यह केला, कपास तथा गन्ने के लिए प्रसिद्ध है। जगप्रसिद्ध अजंता की गुफाएँ यहाँ से करीब 60 किमी दक्षिण में है।
Jalgaon, Maharashtra | Facts & Tourist places in Hindi
राज्य | महाराष्ट्र |
क्षेत्रफल | 11700 वर्ग किमी. |
औसत वर्षा | 690.2 |
तापमान | अधिकतम 48 डिग्री से., न्यूनतम 10.3 डिग्री से. |
भाषा | मराठी, हिन्दी, अंग्रेजी |
दर्शनीय स्थल | श्री पदमालय, पाल, परोला किला, फरकंडे की झूलती मीनारें, पटनादेवी, उपनदेव, कपिलेश्वर मंदिर आदि। |
प्रसिद्धि | विश्व प्रसिद्ध अजंता और एलोरा की विश्व प्रसिद्ध गुफाएं इस जिले के अन्तर्गत |
यात्रा समय | अक्टुबर से मार्च। |
उत्तरी महाराष्ट्र में स्थित जलगांव पर्यटन के लिए एक आदर्श जगह है। विश्व प्रसिद्ध अजंता और एलोरा की विश्व प्रसिद्ध गुफाएं इस जिले के अन्तर्गत ही आती हैं। यह भारत की वर्तमान राष्ट्रपति श्रीमति प्रतिभा पाटिल का गृह जिला है।
लोकप्रिय कवयित्री बहिनाबाई चौधरी का संबंध भी इसी जिले से है। जलगांव और उसके आसपास ऐसे बहुत से दर्शनीय स्थल हैं जिन्हें देखने के लिए सैलानियों का नियमित आना जाना लगा रहता है।
श्री पदमालय (Shree Kshetra Padmalaya)
एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित पदमायल एक धार्मिक स्थल है, जो जलगांव के इरनदोल ताल्लुक से 10 किमी. की दूरी पर है। मुख्य मंदिर के चारों तरफ छोटे-छोटे अनेक मंदिर बने हुए हैं। मंदिर के सम्मुख ही श्री गोविन्द महाराज का पादुका हैं। पादुका के साथ ही एक विशाल घंटी लगी हुई है।
मंदिर के गर्भगृह में गणेश की दो प्रतिमाएं स्थापित हैं, जिन्हें व्यासपीठ कहा जाता है। इरनदोल तालुक में स्थित पदमायल को प्रभाक्षेत्र के नाम से भी जाना जाता है। इरनदोल भगवान गणपति और हनुमान के मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है।
पाल (Pal)
यावल ताल्लुक में स्थित पाल अपनी शीतल जलवायु और शांत वातावरण के लिए बहुत प्रसिद्ध है। यह स्थान चारों ओर से घने जंगलों से घिरा हुआ है। यहां से बहने वाली एक छोटी नदी इस स्थान को पिकनिक के लिए एक आदर्श जगह बनाती है। रात्रि में ठहरने के लिए यहां एक गेस्टहाउस भी बना हुआ है।
परोला किला (Prola Fort)
इस किले का निर्माण 1727 ई. में हरी सदाशिव दामोदर ने करवाया था। यह किला 160 से 130 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। माना जाता है कि इस किले का संबंध झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के पिता से था। किले के निकट ही जनार्दन मंदिर, श्रीराम मंदिर, संतोषी माता मंदिर और श्री द्वारकाधीश मंदिर बने हुए हैं।
फरकंडे की झूलती मीनारें (Swinging Towers, Farkande)
यह झूलती मीनारें इरनदोल से 16 किमी. दूर उतावड़ी नदी के तट पर स्थित हैं। इन मीनारों को प्राचीन निर्माण कला का बेहतरीन उदाहरण माना जाता है। दोनों मीनारें 15 मीटर ऊंची हैं और जब एक मीनार हिलना शुरू करती है तो दूसरी मीनार भी अपने आप हिलने लगती है। माना जाता है कि इन मीनारों का निर्माण 250 साल पहले हुआ था।
पटनादेवी (Patna devi)
पटनादेवी एक धार्मिक स्थल है। इस स्थान को महान वैज्ञानिक भास्कराचार्य की जन्मस्थान माना जाता है।
उपनदेव (Unapdev)
उपनदेव अपने गर्म पानी के झरने के लिए प्रसिद्ध है, जो चोपड़ा तहसील में स्थित है। उपनदेव के समान सुपनदेव व निझारदेव गर्म पानी के अन्य झरने हैं। इन तीनों झरनों का उल्लेख रामायण ग्रंथ में मिलता है। कहा जाता है भगवान राम ने अपने बनवास के दौरान इन झरनों को स्पर्श किया था।
संत मुक्ताबाई मंदिर (Sant Muktabai Temple)
देवी मुक्ताबाई का यह प्राचीन मंदिर इस क्षेत्र का प्रमुख मंदिर है। इस क्षेत्र में संत मुक्ताबाई की स्थानीय देवी के रूप में पूजी जाती हैं।
चंगदेव मंदिर (Changdeva Temple)
जलगांव के इदलाबाद ताल्लुक में स्थित यह मंदिर लगभग 3000 साल पुराना माना जाता है। महान संत चंगदेव को समर्पित यह मंदिर पारंपरिक वास्तुकारी और नक्कासीदार पत्थरों की मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध है। स्थानीय मान्यता है कि संत चंगदेव 1400 साल तक जीवित रहे थे। माघ के महीने में यहां चंगदेव पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
कपिलेश्वर मंदिर (Kapileshwar Temple)
यह मंदिर तापी और पंजारा नदी के संगम पर स्थित है। मंदिर जलगांव और धूले जिले की सीमा पर बना हुआ है। भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर में उन्हें सप्तसंगम नाम से जाना जाता है। कहा जाता है प्राचीन काल में जब संत व महात्मा यहां ध्यान लगाने के लिए एकत्रित होते थे, तो कपिला नाम की गाय भी इस प्रक्रिया में शामिल होती थी।
एक बार भगवान शिव की तपस्या से लिए यहां आए और यह स्थान कपिलेश्वर नाम से जाना गया। मंदिर में खुदे अभिलेखों से ज्ञात होता है कि 16वीं शताब्दी में अहिल्याबाई होल्कर ने मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था।
यवल वन्यजीव अभ्यारण्य (Yawal Wildlife Sanctuary)
जलगांव के यवल ताल्लुक में सतपुड़ा की पश्चिमी पहाड़ियों में यह अभ्यारण्य स्थित है। 177 वर्ग किमी. में फैले इस अभ्यारण्य में टाइगर, तेंदुए, हैना, भेड़िया, लोमड़ी, सांभर हिरन, चिंकारा, नीलगाय, जंगली बिल्ली, उड़ने वाली गिलहरी आदि जानवरों को देखा जा सकता है।
अभ्यारण्य में सूकी नामक एक झील भी है। इस झील में बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षियों को देखा जा सकता है। फरवरी से मार्च तक की अवधि यहां आने के लिए उपयुक्त मानी जाती है।
जैन मंदिर (Jain Temple)
जलगांव से 55 किमी. दूर स्थित अमनेर को श्रीअमलनेर तीर्थ स्थल के रूप में जाना जाता है। यहां के मंदिर में 27 सेमी. ऊंची भगवान पार्श्वनाथ की काले रंग की प्रतिमा स्थापित है। पदमासन मुद्रा में स्थापित यह प्रतिमा लगभग 500 साल पुरानी मानी जाती है। हजारों की तादाद में श्रद्धालुओं का यहां आना होता है।
जलगांव कैंसे पहुंचे (How to Reach Jalgaon)
वायु मार्ग– औरंगाबाद जलगांव का निकटतम एयरपोर्ट है जो लगभग 150 किमी. दूर है। देश के अनेक शहरों से औरंगाबाद एयरपोर्ट जुड़ा हुआ है। औरंगाबाद से बस या टैक्सी के माध्यम से जलगांव पहुंचा जा सकता है।
रेल मार्ग– जलगांव मे मध्य रेल का प्रमुख जंक्शन है। देश और राज्य के अनेक शहरों से यहां के लिए नियमित ट्रेनें हैं।
सड़क मार्ग– जलगांव पड़ोसी राज्यों के अनेक शहरों से राष्ट्रीय राजमार्ग 6 के द्वारा जुड़ा हुआ है। राज्य परिवहन निगम की बसें नियमित रुप से जलगांव के लिए चलती रहती हैं।