झांसी (Jhansi)
झाँसी (Jhansi) उत्तर प्रदेश राज्य का एक प्रमुख नगर है। यह जनपद का मुख्यालय भी है। झाँसी सन 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में ऐतिहासिक भूमिका के कारण प्रसिद्ध है।
झांसी: जहां कण-कण में इतिहास बसा है
राज्य | ऊत्तर प्रदेश |
क्षेत्रफल | 20.7 वर्ग किमी. |
भाषा | हिन्दी, बुन्देली, अंग्रेजी |
पर्यटन स्थल | झांसी का किला, रानी महल, राजकीय संग्रहालय, गणेश मंदिर, सेंट जुडेस चर्च आदि। |
सही समय | अक्टूबर से फरवरी |
झांसी का इतिहास (History of Jhansi in Hindi)
झांसी पर प्रारंभ में चन्देल राजाओं का नियंत्रण था। उस समय इसे बलवंत नगर के नाम से जाना जाता है। झांसी का महत्व सत्रहवीं शताब्दी में ओरछा के राजा बीर सिंह देव के शासनकाल में बढ़ा। इस दौरान राजा बीर सिंह और उनके उत्तराधिकारियों ने झांसी में अनेक ऐतिहासिक इमारतों का निर्माण करवाया। झांसी को उसकी असली पहचान झांसी के रानी के कारण मिली है।
बुन्देलों हरबोलों के मुख हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी।।
सुभद्राकुमारी चौहान की ये पंक्तियों बुन्देलखंड का गढ़ माने वाले झांसी के संघर्षशील इतिहास को सटीक परिभाषित करती हैं। 1857 में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों की अधीनता स्वीकार करने के स्थान पर उनके विरूद्ध संघर्ष करना उचित समझा। वे अंग्रेजों से वीरतापूर्वक लड़ी और अन्त में वीरगति को प्राप्त हुईं। झांसी नगर के घर-घर में रानी लक्ष्मीबाई की वीरता के किस्से सुनाए जाते हैं। और पढ़ें: भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम
झांसी के प्रमुख पर्यटन स्थल (Places to Visit in Jhansi)
Jhansi Tourist Places: झांसी का किला, रानी महल और राजकीय संग्रहालय झांसी के सर्वाधिक लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है। जो रानी लक्ष्मी बाई के बलियाद को आज भी बखूबी याद दिलाने का काम करते हैं। इसके अलावा भी झांसी में पर्यटन के लिए बहुत से आध्यात्मिक स्थल, नदिया, संग्रहालय और पार्क हैं।
1. झांसी का किला (Jhansi Fort)
झांसी का किला उत्तर प्रदेश ही नहीं भारत के सबसे बेहतरीन किलों में एक है। ओरछा के राजा बीर सिंह देव ने यह किला 1613 ई. में बनवाया था। किला बंगरा नामक पहाड़ी पर बना है। किले में प्रवेश के लिए दस दरवाजे हैं।
इन दरवाजों को खन्देरो, दतिया, उन्नाव, झरना, लक्ष्मी, सागर, ओरछा, सैनवर और चांद दरवाजों के नाम से जाना जाता है। किले में रानी झांसी गार्डन, शिव मंदिर और गुलाम गौस खान, मोती बाई व खुदा बक्श की मजार देखी जा सकती है। यह किला प्राचीन वैभव और पराक्रम का जीता जागता दस्तावेज है।
2. रानी महल (Rani Mahal)
रानी लक्ष्मीबाई के इस महल की दीवारों और छतों को अनेक रंगों और चित्रकारियों से सजाया गया है। वर्तमान में किले को संग्रहालय में तब्दील कर दिया गया है। यहां नौवीं से बारहवीं शताब्दी की प्राचीन मूर्तियों का विस्तृत संग्रह देखा जा सकता है। महल की देखरख भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा की जाती है।
3. झांसी संग्रहालय (Jhansi Govt Museum)
झांसी किले के नजदीक स्थित यह संग्रहालय इतिहास में रूचि रखने वाले पर्यटकों का मनपसंद स्थान है। यह संग्रहालय केवल झांसी की ही नहीं अपितु सम्पूर्ण बुन्देलखण्ड के ऐतिहासिक धरोहर की झलक प्रस्तुत करता है।
इस संग्रहालय में टेराकोटा, कांस्य, हथियार, मूर्तियां, पांडुलिपियों, चित्रकारी और सोने, चांदी और कॉपर के सिक्के का एक अच्छा संग्रह है। समय: सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक। संग्रहालय हर महीने के सोमवार और दूसरे शनिवार को बंद रहता है।
4. गंगाधर राव की छतरी (Gangadhar rao ki chhatri)
राजा गंगाधर राव नेवालकर झांसी के राजा और रानी लक्ष्मी बाई के पति थे। लक्ष्मी ताल में महाराजा गंगाधर राव की समाधि स्थित है। 1853 में उनकी मृत्यु के बाद महारानी लक्ष्मीबाई ने यहां उनकी याद में यह स्मारक बनवाया था।
5. महालक्ष्मी मंदिर (Mahalakshmi Temple)
महालक्ष्मी मंदिर झांसी के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है। 18 वीं शताब्दी में बना यह भव्य मंदिर देवी महालक्ष्मी को समर्पित है। ऐसा कहा जाता है कि रानी लक्ष्मी बाई की कुल देवी महालक्ष्मी थी। और वह प्रति शुक्रवार यहां दर्शन करने आती थी।
आपको बताते चले कि भारत में महालक्ष्मी के तीन मुख्य मन्दिर हैं। मुम्बई, कोल्हापुर और झाँसी का यह महालक्ष्मी मन्दिर। वर्तमान में यह मंदिर राज्य पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है।
6. गणेश मंदिर (Ganesh Temple, Jhansi)
भगवान गणेश को समर्पित इस मंदिर में महाराज गंगाधर राव और वीरांगना लक्ष्मीबाई का विवाह हुआ था। रानी लक्ष्मी का विवाहपूर्व नाम “मणिकर्णिका” था, उन्हें औपचारिक रूप से लक्ष्मीबाई का नाम दिया गया।
7. सेंट जुडेस चर्च (Saint Judes Church, Jhansi)
सेंट जुडेस चर्च, झाँसी के सिविल लाइंस में स्थित है जो कैथोलिक ईसाईयों के लिए प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। इस चर्च का निर्माण 1966 में किया गया। ऐसा विश्वास है कि इसकी नींव में सेंट जुड़े की हड्डी दफ़नाई गई है।
कैथोलिक भक्त दूर दूर यहाँ आते हैं और इस महान संत के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं। यहाँ प्रतिवर्ष एक सप्ताह तक चलने वाला त्योहार (सेंट जुडेस उत्सव) मनाया जाता है।
8. बरुआसागर (Barua Sagar)
बरुसागर (Barua sagar) का नाम बरुसागर ताल नामक एक बड़ी झील के नाम पर रखा। यह झील 260 साल पहले बनाई गई थी जब ओरछा के राजा उदित सिंह ने एक तटबंध तथा एक किला उनके द्वारा बनाया गया था।
ग्रेनाइट से बने दो पुराने चंदेला मंदिरों के खंडहर झील के उत्तर-पूर्व में हैं। प्राचीन समय से इसको घुघुआ मठ कहा जाता है। निकटवर्ती गुप्तकालीन मंदिर है जिसे जराई-का-मठ कहा जाता है। यह भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित है।
झांसी में शिक्षा (Education in Jhansi)
झाँसी शहर बुन्देलखन्ड क्षेत्र में अध्ययन का एक प्रमुख केन्द्र है। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, जिसकी स्थापना सन् 1975 में की गयी थी। झॉसी में आयुर्वेदिक अध्ययन संस्थान भी है जो कि प्राचीन भारतीय चिकित्सा विज्ञान “आयुर्वेद” की शिक्षा देता है। झॉसी का पुरुष् साक्षरता अनुपात 80% महिला साक्षरता अनुपात 51% है, तथा कुल् साक्षरता अनुपात 66% है।
झांसी कैसे पहुंचे (How to Reach Jhansi)
वायु मार्ग- झाँसी का नजदीक हवाई अड्डा “ग्वालियर हवाई अड्डा” है, यह झाँसी से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह एयरपोर्ट दिल्ली, मुम्बई, वाराणसी, बैंगलोर आदि प्रमुख शहरों से नियमित फ्लाइटों के माध्यम से जुड़ा हुआ है।
रेल मार्ग- झांसी का रलवे स्टेशन भारत के तमाम प्रमुख शहरों अनेकों रेलगाड़ियों से जुड़ा है।
सड़क मार्ग- झाँसी शहर देश के कई बड़े शहरों को, जैसे, आगरा, दिल्ली, खजुराहो, कानपूर, लखनऊ, आदि सड़क मार्ग से जोड़ता है। उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन निगम की बसें झांसी पहुंचने के लिए अपनी सुविधा भी मुहैया कराती हैं।
झांसी के नजदीकी पर्यटन स्थल (Tourist places near jhansi)
ओरछा: झॉसी शहर से 18 कि॰मी॰ दूर मध्यप्रदेश के निवाड़ी जिले का यह ऐतिहासिक शहर अत्यन्त सुन्दर मन्दिरो, महलों एवं किलो के लिये जाना जाता है।
दतिया : झाँसी शहर से 25 कि॰मी॰ दूर मध्यप्रदेश राज्य के अंतर्गत आने वाला यह शहर यह राजा बीर सिह द्वारा बनवाये गये सात मन्जिला महल एवं श्री पीतम्बरा मन्दिर के लिए प्रसिद्ध है।
सुकमा-डुकमा बाँध: झाँसी शहर से दूरी करीब 45 कि॰मी॰ दूरी पर बेतवा नदी पर बना हुआ अत्यन्त सुन्दर बाँध है।
शिवपुरी : झाँसी से 101 कि॰मी॰ दूर यह शहर ग्वालियर के सिन्धिया राजाओं की ग्रीष्म्कालीन राजधानी हुआ करता था। यह शहर सिन्धिया द्वारा बनवाए गए संगमरमर के स्मारक के लिये भी प्रसिद्ध है।