Kalawa significance: कलावे का वैज्ञानिक और धार्मिक महत्व
kalawa significance: हिंदू धर्म में कलावे का विशेष महत्व है। धार्मिक अनुष्ठान हो या पूजा-पाठ, कोई मांगलिक कार्य हो या देवों की आराधना, सभी शुभ कार्यों में हाथ की कलाई पर लाल धागा यानि मौली बांधने की परंपरा है।
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर मौली यानि कलावा क्यों बांधते हैं? कलावा यानी रक्षा सूत्र बांधने के वैज्ञानिक और धार्मिक दोनों महत्व है.
Why do we tie Kalava? Know mythological and scientific reasons behind it
कलावा क्या होता है? (What is Kalawa or Mouli)
सनातन संस्कृति में किए जाने वाले कर्मकांड तार्किक और विज्ञान पर आधारित है। फिर चाहे तिलक लगाना हो, बड़ो के पैर छूना हो, सूर्य को जल चढ़ाना हो या फिर यज्ञ-हवन करना हो। इन सबके पीछे वैज्ञानिक कारण छिपा है। इसी प्रकार एक विशेष वैदिक परंपरा है, पूजा के दौरान हाथों में लाल या पीले रंग का धागा बांधना। जिसे कलावा या मौली कहते है।
Rules of tie Kalawa: कलावा तीन धागों से मिलकर बना हुआ होता है। आमतौर पर यह सूत का बना हुआ होता है। इसमे लाल, पीले और हरे या सफेद रंग के धागे होते हैं। यह तीन धागे त्रिशक्तियों (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) के प्रतीक माने जाते हैं।
हिन्दू धर्म में इसको रक्षा के लिए हथेली में धारण किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जो कोई भी विधि विधान से रक्षा सूत्र या कलावा धारण करता है उसकी हर प्रकार के अनिष्टों से रक्षा होती है।
रक्षा सूत्र बांधने की शुरुआत कैसे हुई
मान्यता है कि एक बार जब इंद्र वृत्रासुर से युद्ध करने के लिए जा रहे थे, उस समय इंद्राणी ने इंद्र की दाईं भुजा पर रक्षा सूत्र बांधा था। जिसके बाद इंद्र की जीत हुई थी और वह सकुशल वापस लौट आए थे। तभी से रक्षा सूत्र बांधने की परंपरा शुरू हुई. कहा जाता है।
अन्य मान्यता अनुसार मौली बांधने की प्रथा तब से चली आ रही है जब दानवीर राजा बलि के लिए वामन भगवान ने उनकी कलाई पर रक्षा सूत्र बांधा था।
कलावा से जुड़ी 10 महत्वपूर्ण जानकारी (10 important Facts About Kalawa)
1. कलावे को मौली भी कहते है.- मौली’ का शाब्दिक अर्थ है ‘सबसे ऊपर’- मौली का तात्पर्य सिर से भी है।
2. मौली को कलाई में बांधने के कारण इसे कलावा भी कहते हैं।
3. शंकर भगवान के सिर पर चन्द्रमा विराजमान हैं, इसीलिए इसे चंद्र मौली भी कहा जाता है
4. यह कलावा अथवा मौली कच्चे धागे से बनाई जाती है।
5. इसमें मूलत: 3 रंग के धागे होते हैं; लाल, पीला और हरा। लेकिन कभी कभी ये 5 धागों की भी बनती है, जिसमें नीला और सफेद भी होता है
6. कलावे के 3 रंग त्रिदेव और 5 रंग पंच देव का सूचक है।
7. कलावा बांधने से त्रिदेव, ब्रह्मा, विष्णु व महेश तथा तीनों देवियों लक्ष्मी, पार्वती व सरस्वती की कृपा प्राप्त होती है।
7. ब्रह्मा की कृपा से कीर्ति विष्णु की अनुकंपा से रक्षा बल मिलता है। शिव दुर्गुणों का विनाश करते हैं।
9. मान्यता अनुसार रक्षा सूत्र बांधने से कई बीमारिययो से रक्षा होती है। यह त्रिदोष (कफ, पित्त, वात) को नियंत्रित करने में मदद करता है।
10. शरीर की संरचना का प्रमुख नियंत्रण हाथ की कलाई में होता है अतः यहां रक्षा सूत्र बांधने से व्यक्ति स्वस्थ रहता है।
विज्ञान क्या कहता है? (What science says)
विज्ञान अनुसार शरीर के अधिकांश अंगों तक पहुंचने वाली नसें कलाई से होकर गुजरती हैं। कलाई पर मौली या कलावा बांधने से इन नसों की क्रिया नियंत्रित रहती है। ऐसा माना जाता है कि कलावा बांधने से रक्तचाप, हृदय संबंधी रोग, मधुमेह और लकवा जैसी स्थितियों से काफी बचाव होता है।