कमला नेहरू (Kamala Nehru)
कमला नेहरू (Kamala Nehru) स्वतंत्रता सेनानी और भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की धर्मपत्नी थी। कमला नेहरू को आज भी सौम्यता और विनम्रता की प्रतिमूर्ति के रूप में याद किया जाता है
कमला नेहरू जीवनी (Kamala Nehru Biography In Hindi)
पूरा नाम | कमला कौल नेहरू |
जन्म | 1 अगस्त, 1899 दिल्ली |
मृत्यु | 28 फ़रवरी, 1936 स्विट्ज़रलैण्ड |
पिता | जवाहरमल कौल |
माता | राजपति कौल |
धर्म | हिन्दू |
पति | जवाहर लाल नेहरू |
संतान | इंदिरा गांधी |
नागरिकता | भारतीय |
आंदोलन | असहयोग आंदोलन (1921) |
अन्य जानकारी | कमला नेहरू ने महात्मा गांधी की ऐतिहासिक दांडी यात्रा में भाग लिया। 1921 के असहयोग आंदोलन में उन्होंने विदेशी वस्त्र तथा शराब की बिक्री करने वाली दुकानों का घेराव किया। |
जन्म और परिवार (Kamala Nehru Birth & Family)
कमला नेहरू का जन्म 1 अगस्त 1899 को दिल्ली में हुआ था। कमला के पिता का नाम जवाहरमल और माता का नाम राजपति कौल था। कमला के पिता दिल्ली के प्रमुख व्यवसाय थे।
कश्मीरी ब्राह्मण कुल से सबंध रखने वाली कमला के दो छोटे भाई ‘चंदबहादुर कौल, कैलाशनाथ कौल’ और एक छोटी बहन ‘स्वरूप’ थी। कैलाशनाथ कौल (Kailas Nath Kaul) आगे चलकर भारत के प्रख्यात वनस्पतिशास्त्री, कृषिवैज्ञानिक हुए। इन्हें वर्ष 1977 में भारत सरकार द्वारा साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।
विवाह और संतान (Kamla Nehru Marriage Life & Children)
कमला कौल का विवाह मात्र 17 साल की उम्र में ही 8 फ़रवरी 1916 को जवाहरलाल नेहरू से हो गया था। पुरानी दिल्ली के एक पारंपरिक कश्मीरी ब्राह्मण परिवार में पली-बढी कमला पाश्चात्य सभ्यता से प्रभावित नेहरू कुल में असहज महसूस करती थी, लेकिन बाद में परिवार में उसी प्रकार घुल मिल गयी जैसे दूध में शक्कर। वह के आदर्श महिला, बहु, पत्नी, और माँ थी।
19 नवम्बर 1917 को कमला को पुत्री की प्राप्ति हुई, जिसका नाम रखा गया ‘इंदिरा’। जो आगे चलकर अपने पिता की तरह देश की प्रधानमंत्री और काँग्रेस पार्टी की अध्यक्षा बनी। नवम्बर 1924 में कमला ने एक पुत्र को भी जन्म दिया, किन्तु जन्म के दो दिन पश्चात् ही उसकी मृत्यु हो गयी।
स्वतंत्रता संग्राम में योगदान
जवाहरलाल नेहरू के राष्ट्रीय आंदोलन में कूदने पर कमला नेहरू को भी अपनी क्षमता दिखाने का अवसर मिला। कमला नेहरू ने स्वतंत्रता संग्राम में अपने पति जवाहरलाल नेहरू का कंधे से कंधा मिलाकर साथ दिया। इन्होने महात्मा गांधी की ऐतिहासिक दांडी यात्रा में भी भाग लिया था। कमला नेहरू को ब्रिटिश सरकार द्वारा 2 बार गिरफ्तार भी किया गया।
सन 1924 से कमला नेहरु की तबियत खराब रहने लगी, उनकी बीमारी ने उग्र रूप ले लिया था, उन्हें इलाज के लिए सपुत्री इंदिरा गाँधी के साथ स्विटजरलैंड ले जाया गया कुछ दिन बाद नेहरु भी वहां पहुँच गए। कई महीनो के इलाज के बाद उन्हें स्वास्थ्य लाभ हुआ औऱ वह पुनः भारत आ गयी। डॉ ने उन्हें आराम करने की सलाह दी थी लेकिन फिर भी वह जवाहर लाल नेहरु के साथ देश-विदेश में भ्रमण करती रही।
सन 1930 में सत्याग्रह आन्दोलन प्रारंभ हुआ। जिसमें ब्रिटिश सरकार द्वारा मोतीलाल, जवाहरलाल समेत कई शीर्ष कांग्रेस नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया वैसे तो कमला नेहरु इस आन्दोलन में पहले से भाग ले रही थी, लेकिन शीर्ष कांग्रेसी की गिरफ़्तारी के बाद वह पूरी तरह से आन्दोलन में कूद गयी।
कमला नेहरु ने न सिर्फ नमक बनाकर ब्रिटिश कानून तोडा बल्कि लोगो को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित किया। कमला नेहरू ने कई सार्वजनिक सभा करके ब्रिटिश सरकार की कड़ी निंदा भी करी। कुछ समय बाद सरकार और कांग्रेस के मध्य समझोता हो गया और सभी कांग्रेस के नेताओ और कार्यकर्ताओं को रिहा कर दिया गया।
गांधी जी गोलमेज सम्मलेन में भाग लेने के लिए लन्दन गए, मगर समझोता नही हो सका। जब वह लंदन से भारत लौटे तो उन्हें जहाज़ से उतरते ही गिरफ्तार कर लिया गया। जिससे देश भर में आन्दोलन तेज़ हो गया। इस आंदोलन के दौरान मोतीलाल नेहरु और जवाहरलाल नेहरू को भी गिरफ्तार कर लिया गया।
मोतीलाल नेहरु को 6 महीने और जवाहर लाल नेहरु को 2 साल की सजा हुई। कमला नेहरु भी विशाल सभाओ द्वारा सरकार के खिलाफ बोलने रही थीं। फलस्वरूप कमला गांधी को भी गिरफ्तार करके 3 महीने के लिए लखनऊ जेल भेज दिया गया।
जेल में मोतीलाल नेहरू की तबियत बिगड़ने लगी। बड़े बड़े डॉक्टरों से इलाज करवाया पर उनकी हालत बिगड़ती ही जा रही थी। जिस कारण जवाहरलाल नेहरू औऱ कमला नेहरू को भी रिहा कर दिया गया। परन्तु मोतीलाल को नही बचाया जा सका।
पंडित मोतीलाल नेहरू की मृत्यु के पश्चात जवाहरलाल नेहरू जेल चले गए। कमला नेहरू ने पंडित मोहन मालवीय के साथ मिलकर ब्रिटिश सरकार के खिलाफ बम्बई में विशाल रैली का आयोजन किया।
जब कमला गाँधी की तबियत बिगड़ने लगी
वर्ष 1934 में बम्बई से आने के बाद कमला बीमार रहने लगी। तब उनकी देख रेख के लिए इलाहाबाद के स्वराज भवन में एक डिस्पेंसरी बनवायी गयी। इसमें ही स्वतंत्रता आन्दोलन के घायलों का उपचार भी होने लगा।
जवाहरलाल नेहरू पुनः कांग्रेस के काम मे लग गए। नेहरू ने कोलकाता (वर्तमान कलकत्ता) के अल्बर्ट हॉल में सभाएं की, जिसकी वजह से उन्हें इलाहाबाद से गिरफ्तार कर राजद्रोह के केस में 12 फरवरी, 1934 से 3 सितंबर, 1935 तक कारावास की सजा सुनाई गई।
उधर कमला नेहरू की तबियत बिगड़ने लगी तो उन्हें नैनीताल के भोवाली सैनिटोरियम भेज दिया गया। उन्हें क्षय रोग (टीवी) रोग ने घेर लिया था। उस वक्त टीवी असाध्य बीमारी मानी जाती थी।
नेहरू अपनी आत्मकथा में लिखते है कि-
1934 के अगस्त महीने में उन्हे ग्यारह दिनों के लिए पेरोल पर देहरादून जेल से छोड़ा गया ताकि वो बीमार पत्नी को देखने के लिए जा सकें। 11 दिन बाद उन्हें नैनी जेल में डाल दिया गया। उसके बाद नेहरू को अल्मोडा जेल में शिफ्ट कर दिया गया ताकि वो भुवाली में इलाज करा रही अपनी पत्नी से मुलाकात करते रह सकें। नेहरू साढ़े तीन महीनों में वो 5 बार वह कमला नेहरू से मिलने गए।
जब नैनीताल के हॉस्पिटल में भी कोई लाभ नही हुआ तो, उन्हें जर्मनी के बेडनवीलर लेे जाया गया।ऐसा कहाँ जाता है कि उन्हें सुभाष चंद्र बोस की सलाह पर बैडेनवीलर (दक्षिणी जर्मनी) ले जाया गया। (नेहरु अपनी आत्मकथा में 25 अक्टूबर 1935 को लिखते है कि पिछले महीने कमला को भुवाली से यूरोप इलाज के लिए ले जाया गया है।)
नेहरू को 4 सितंबर 1935 को पत्नी की तबियत नाजुक होने के चलते साढ़े पांच महीने पहले ही रिहा कर दिया गया। उन दिनों नेहरू आर्थिक तंगी से भी गुजर रहे थे। नेहरू ने इलाज के लिए बड़ी मुश्किल से रुपए का इंतज़ाम किया और फौरन हवाई जहाज से यूरोप को रवाना हो गए।
जब जर्मनी में भी सुधार नही हुआ तो स्विट्ज़रलैंड के लोज़ान शहर ले जाया गया। उन दिनों सुभाष चन्द्र बोस वहां निर्वासित जीवन बिता रहे थे। इसलिए वह नेहरू परिवार की हर संभव मदद के लिए तैयार रहते थे।
कमला नेहरू का अंतिम समय
श्रीमती कमला नेहरू को बचाने के अथक प्रयास किए गए, परंतु उनकी प्राण-रक्षा नहीं हो सकी। 28 फ़रवरी 1936 को स्विटज़रलैंड के लोज़ान शहर में कमला नेहरू ने अंतिम साँसें लीं।
जवाहरलाल नेहरू आत्मकथा के अनुसार- “मृत्यु के समय जवाहरलाल नेहरु, इंदिरा, नेहरु की माता स्वरुपरानी और डॉ अटल वहां मौजूद थे।”
स्वतंत्रता सेनानी जिन्हें हम भूल गए श्रंखला के इस लेख में हमने श्रीमती कमला नेहरू के जीवन पर प्रकाश डाला गया है। कमला नेहरू के बीमारी के दिनों के घटना क्रम पर काफी विवाद रहा है। इस विवाद का ठोस उत्तर देने के लिए हमे काफी रिसर्च करनी पड़ी अंततः उत्तर आपके समक्ष है।
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