Khargone (M.P): History & Tourist Places in Hindi
खरगौन (Khargone) भारत के मध्य प्रदेश राज्य के खरगोन ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है। यहाँ पर प्रत्येक वर्ष जनवरी फरवरी माह में नवग्रह मेला लगता है। जिसे देखने दूर दूर से लोग आते है।
Khargone: History, Facts & Tourist Places in Hindi | wiki
राज्य | मध्य प्रदेश |
क्षेत्रफल | 6477.89 वर्ग की.मी. |
भाषा | हिंदी और एंग्लिश |
दर्शनीय स्थल | महेश्वर, ऊन, मंडलेश्वर, बकावां और रावेरखेड़ी, नवदतोली आदि। |
संबंधित लेख | मध्य प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थल |
कब जाएं | अक्टूबर से मार्च। |
कुंदा नदी के मुहाने पर बसा मध्य प्रदेश का खरगौन जिला अपने भव्य मंदिरों के लिए पूरे राज्य में प्रसिद्ध है। प्रारंभ में पश्चिमी निमाड़ नाम से लोकप्रिय यह जिला राज्य के दक्षिण-पश्चिमी सीमा पर स्थित है। यहां का प्राचीन नवग्रह मंदिर लोगों की गहरी आस्था से जुड़ा हुआ है।
विन्ध्य और सतपुडा पहाडियों से घिरा खरगौन 8010 वर्ग किमी. के क्षेत्र में फैला हुआ है। खरगौन इंदौर से करीब 143 किमी., बडवानी से 90 किमी., सेंधवा से 70 किमी., धार से 130 किमी., खंडवा से 90 किमी. और बुरहानपुर से 130 किमी. की दूरी पर स्थित है।
महेश्वर– नर्मदी नदी तट पर बसा महेश्वर मध्य प्रदेश के सबसे खूबसूरत शहरों में एक है। यह शहर हैहयवंशी राजा सहस्रार्जुन की राजधानी रहा है। सहस्रार्जुन ने रावण को पराजित किया था। एक बार सहस्रार्जुन ने परशुराम के पिता का अपमान किया था। बाद में भगवान परशुराम ने अपने पिता के अपमान का बदला लेने के लिए सहस्रार्जुन का वध किया था।
कालांतर में होल्कर रानी अहिल्याबाई का यहां अधिकार हो गया। महेश्वर अपने भव्य और सुंदर घाटों के अलावा महेश्वरी साडियों के लिए भी खासा लोकप्रिय है। यहां के घाटों पर अनेक कलात्मक मंदिर स्थित हैं, जिनमें राजेश्वर मंदिर प्रमुख है। आदिगुरू शंकराचार्य और पंडित मण्डन मिश्र का प्रसिद्ध शास्त्रार्थ यहीं हुआ था।
ऊन– ऊन खरगौन से करीब 8 किमी. की दूरी पर है। यहां का परमारकालीन शिव और जैन मंदिर काफी लोकप्रिय हैं। भूमिजा शैली में बने यहां के मंदिर सबसे इस शैली के बेहतरीन नमूनों में एक है। यहां के लक्ष्मी-नारायण मंदिर को अत्यंत प्राचीन मंदिरों में शुमार किया जाता है। खजुराहो के मंदिरों के अलावा केवल यहीं परमारकालीन मंदिर हैं।
मंडलेश्वर– यह स्थान महेश्वर से करीब 8 किमी. दूर नर्मदा नदी के तट पर स्थित है। नर्मदा नदी पर जल विद्युत परियोजना और बांध का निर्माण हुआ है। इसके निकट ही चोली नामक स्थान पर प्राचीन शिव मंदिर है, जहां भव्य शिव लिंग देखा जा सकता है।
बकावां और रावेरखेड़ी– मराठा शासक पेशवा बाजीराव की समाधि रावेरखेड़ी में स्थित है। उत्तर भारत के लिए एक अभियान के समय उनकी मृत्यु यहीं नर्मदा नदी के किनारे हुई थी। बकावां में नर्मदा के पत्थरों को तराश कर शिव लिंग बनाए जाते हैं।
सिरवेल महादेव– खरगौन से 55 किमी. दूर स्थित सिरवेल महादेव के बार में कहा जाता है कि रावण ने भगवान शिव को अपने दस सिरों का यहीं अर्पण किया था। इसी वजह से इसे सिरवेल महादेव कहा जाता है। यह स्थान महाराष्ट्र के बिलकुल निकट है। महाशिवरात्रि पर्व यहां बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
बड़वाह और सनावद– यह जुडवां नगर नर्मदा नदी के दोनों तरफ बसा हुआ है। उत्तर की ओर बड़वाह और दक्षिण की तरफ सनावद है। ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग जाने के लिए यहीं से होकर जाना पड़ता है। पुनासा में इंदिरा सागर जल-विद्युत परियोजना जाने के लिए भी सनावद से होकर जाना होता है। बड़वाह से मंडलेश्वर, महेश्वर और धानमोद जाया जा सकता है। विश्व प्रसिद्ध लाल मिर्ची की मण्डी बैडिया, सनावद के निकट ही है।
नवदतोली– महेश्वर के निकट स्थित इस पुरातात्विक स्थल की खोज 1950 में की गई थी। इस स्थान की प्रारंभिक खुदाईयों से मिट्टी के चित्रित बर्तन और अनेक प्राचीन वस्तुएं प्राप्त हुई हैं। यहां होने वाली खुदाईयों से यह सिद्ध हो चुका है कि पुरापाषाण युग में यहां लोगों का निवास था। यह भी माना जाता है कि बाढ़ आने से यह क्षेत्र बर्बाद हो गया था।
खरगौन कैंसे पहुंचे (How To Reach khargone)
वायु मार्ग– इंदौर खरगोन का निकटतम एयरपोर्ट है जो महेश्वर से करीब 91 किमी. की दूरी पर है। यह एयरपोर्ट देश के अनेक शहरों से वायुमार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है।
रेल मार्ग– बरवाहा खरगोन का निकटवर्ती रेलवे स्टेशन है।
सड़क मार्ग– खरगोन सड़क मार्ग से मध्य प्रदेश के अनेक शहरों से जुड़ा है। राज्य परिवहन निगम की बसें यहां के लिए चलती हैं।