कोणार्क (उड़ीसा): History & Tourist Places in Hindi
Konark: कोणार्क भारत के उत्तर पूर्वी राज्य ओडिशा में स्थित है और यह भारत के सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है। कोणार्क अपने सूर्य मंदिर और समुद्र तट की सुंदरता के लिए भारत और विश्व भर में प्रसिद्ध है।
कोणार्क (सूर्य मंदिर के लिए विश्व प्रसिद्ध)
राज्य | उड़ीसा |
भाषा | ओड़िया |
पर्यटन स्थल | सूर्य मंदिर, मायादेवी मंदिर, संग्रहालय, समुंद्री तट, वाराही देवी मंदिर इत्यादि। |
संबंधित लेख | ओडिसा के पर्यटन स्थल, कोर्णाक का सूर्य मंदिर |
यात्रा समय | नवंबर से अप्रैल |
अर्क तीर्थ के नाम से विख्यात उड़ीसा का कोणार्क मूल रूप से अपने सूर्य मंदिर के लिए विश्व प्रसिद्ध है। मंदिर में स्थापित कोणार्क की मूर्ति के नाम पर ही इस शहर का नाम ‘कोणार्क’ पड़ा है। समुद्र के किनार बसा कोणार्क पुरी से 35 किमी. और भुवनेश्वर से 65 किमी. की दूरी पर है। आध्यात्मिक दृष्टिकोण से कोणार्क भारत का प्रमुख पर्यटन स्थल है।
सूर्य मंदिर, कोर्णाक (Sun temple, Konark Odisha)
ब्लैक पैगोडा के नाम से मशहूर कोणार्क का सूर्य मंदिर 13वीं शताब्दी में गंगा वंश के नरसिंहदेव ने बनवाया था। मिथकों के अनुसार इस मंदिर को भगवान कृष्ण के पुत्र साम्बा ने बनवाया था। अपने पिता के श्राप से उन्हें कुष्ठ रोग हो गया था। बारह वर्ष तपस्या करने के बाद भगवान सूर्य ने उनका रोग ठीक किया।
कहा जाता है कि भगवान सूर्य के सम्मान में ही उन्होंने सूर्य मंदिर बनवाया था। मंदिर विशाल रथ के आकार का है जिसमें 24 पहिए लगे हैं। रथ को सात घोड़े खींच रहे हैं। मंदिर के प्रवेश द्वार पर शेरों की आकृति पहरा दे रही प्रतीत होती है। इस मंदिर को युनेस्को की विश्व धरोहरों में शामिल किया गया है। (ओर पढ़ें: कोर्णाक का सूर्य मंदिर
मायादेवी मंदिर (Maya devi temple, Konark)
सूर्य मंदिर के दक्षिण पश्चिम में स्थित मायादेवी मंदिर कोणार्क का मुख्य आकर्षण है। मायादेवी मंदिर किसको समर्पित है यह स्पष्ट नहीं है। कुछ लोगों का मानना है कि यह मंदिर भगवान सूर्य की पत्नी को समर्पित है जबकि कुछ लोग कहते हैं कि यह मंदिर स्वयं भगवान सूर्य को समर्पित है।
मंदिर की दीवारों पर रती क्रियाओं संबंधित प्रतिमाएं उकेरी गई हैं। मंदिर में नृत्य करती परियों, शिकार, दरबार और फूलों के दृश्य काफी आकर्षण हैं। प्रवेश द्वार पर बने दो शेरों की आकृति और दूसरी तरफ विशालकाय हाथी की प्रतिमा मंदिर की खूबसूरती में वृद्धि करती है।
पुरातात्विक संग्रहालय (Sngrahalay)
सूर्य मंदिर के समीप स्थित इस संग्रहालय में मंदिर की खुदाई से प्राप्त अनेक मूर्तियों और नक्कासियों को रखा गया है। संग्रहालय में भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों, सूर्य और बहुत सी अप्सराओं की मूर्तियां रखी हुई हैं। पत्थर से बनी नवग्रह की विशाल मूर्ति यहां रखी गई है जो पहले सूर्यमंदिर के मुख्य द्वार के ऊपर रखी थी। यह संग्रहालय के शुक्रवार के अतिरिक्त सभी दिनों खुला रहता है।
कोणार्क बीच (Konark Beach)
सूर्य मंदिर से 3 किमी. दूर स्थित यह बीच पूर्वी तट के सबसे खूबसूरत बीचों में एक है। दूर-दूर फैला समुद्र का नीला पानी देखना और रत पर लेटकर धूप सेंकना पर्यटकों को बहुत पसंद आता है। शाम के समय यहां के शांत वातावरण में टहलना और सूर्यास्त के नजार देखना मन को किसी दूसरी ही दुनिया में ले जाते हैं। दिसंबर के महीने में यहां कोणार्क नृत्य पर्व मनाया जाता है। इस अवसर अनेक शास्त्रीय नृत्यकार भरतनाट्यम, ओडिसी, मणिपुरी, कथक, छऊ नृत्य कर अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं।
रामचंडी (Ramchandi, Konark)
कोणार्क से 7 किमी. की दूर रामचंडी एक छोटा और सुन्दर बीच है जो कुशभद्रा नदी और बंगाल की खाड़ी के संगम पर स्थित है। कोणार्क क्षेत्र की अधिष्ठात्री रामचंडी देवी यहां पूजी जाती है। पिकनिक मनाने के लिए यह एक आदर्श स्थान है।
करूमा (Karuma)
एक छोटा सा गांव है जो बौद्ध पुरातात्विक खोजों के लिए लोकप्रिय है। यहां हुई खुदाई से महात्मा बुद्ध की भूमिस्पर्श मुद्रा में और हुरूका की एक प्राचीन मूर्ति प्राप्त हुई है। विद्वानों का कहना है कि चीनी इतिहासकार ह्वेन सांग ने जिन बौद्ध स्तूपों के बार में लिखा था, यह उन्हीं में एक है।
चौरासी (Chaurasi, Konark)
यह स्थान लक्ष्मीनारायण, अमरशरस और वाराही के मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। नौवीं शताब्दी से वाराही को तांत्रिक समुदाय द्वारा पूजा जा रहा है। वाराही यहां की मातृदेवी है जिनका मुख सूकर का है। वसाही देवी ने एक हाथ में मछली और दूसर में कप पकड़ा हुआ है।
ककटापुर (Kakatpur Konark)
कोणार्क से 45 किमी. की दूरी पर स्थित ककटापुर प्राची घाटी में स्थित है और मंगला और बनदुर्गा देवी के लिए प्रसिद्ध है। अप्रैल-मई में होने वाली जम्मू यात्रा के लिए ककटापार लोकप्रिय है।
कोर्णाक कैसे पहुंचे (How To Reach Konark in hindi)
वायु मार्ग– कोणार्क से 64 किमी. दूर स्थित भुवनेश्वर नजदीकी एयरपोर्ट है। यह एयरपोर्ट कोलकाता, दिल्ली, हैदराबाद, चैन्नई और नागपुर से जुड़ा है।
रेल मार्ग– पुरी कोणार्क का निकटतम रेलवे स्टेशन है जो 31 किमी. दूर है। यह रेलवे स्टेशन भारत के महत्वपूर्ण शहरों से अनेक रेलगाड़ियों से जुड़ा है।
सड़क मार्ग– राष्ट्रीय राजमार्ग और राज्य राजमार्ग से कोणार्क पहुंचा जा सकता है। पुरी, भुवनेश्वर और उड़ीसा के अनेक शहरों से सड़क मार्ग से कोणार्क पहुंच सकते हैं।