Krttika Nakshatra: कृतिका नक्षत्र की सम्पूर्ण जानकारी
Krttika Nakshatra: भारतीय खगोल में यह तृतीय नक्षत्र है। यह पथ में 26.40 से 40.00 अंशों के मध्य स्थित है। कृतिका नक्षत्र का प्रथम चरण मेष राशि (स्वामी मंगल) एवं शेष तीन चरण वृष राशि (स्वामी शुक्र) में आते हैं। इसके चरणाक्षर अ, इ, उ, ए है।
कृतिका का अर्थ काटने वाला है। इस नक्षत्र में छह तारों की स्थिति मानी गयी है। देवता अग्नि एवं स्वामी गुरु सूर्य है।
पौराणिक मान्यता
कृतिका नक्षत्र के देवता कार्तिकेय है। कार्तिकेय भगवान शिव और देवी पार्वती के बड़े पुत्र है। इन्हे देवताओं का सेनापति और युद्ध देवता माना जाता है। इनके एक हाथ में शक्ति और दूसरे मे भाला है। भगवान कार्तिकेय को दक्षिण भारत मे “मुरुगन” भी कहते है।
विशेषताएँ
अग्नि तत्व का यह नक्षत्र युद्ध, लडाई, विवाद का कारक नक्षत्र है। इस नक्षत्र में जन्मा जातक प्रबल अभिलाषी, दृढ निश्चयी, बलिदानी होते है। इनका पाचन तंत्र सामान्यतः अच्छा होता है। जातक के जीवन मे उतार-चढाव आते है।
कृतिका दो भागो मे विभक्त है। एक भाग मेष मे (स्वामी मंगल) जो आक्रामकता का द्योतक है। दूसरा भाग वृषभ मे (स्वामी शुक्र) जो प्रेम, कल्पना, सौंदर्य, कला का द्योतक है।
कृतिका नक्षत्र के दिन क्या करें क्या न करें?
अनुकुल कार्य: यह अग्नि तत्व का नक्षत्र है। इसमे अग्नि कर्म शुद्धिकरण, पवित्रीकरण, खाना पकाना, शौर्य कर्म, वाद-विवाद, वाद्य बजाना, अन्य पाठ्य गतिविधिया अनुकूल है।
प्रतिकूल कार्य: यह नक्षत्र सामाजिक कार्य, राजनीति, विश्राम, जलकर्म, जलक्रीडा गतिविधियों के लिये प्रतिकूल है।