Lakshmi Narasimha Temple: श्री लक्ष्मी नृसिंह स्वामी मंदिर, तेलंगाना
तेलंगाना के यदागिरीगुट्टा में स्थित श्री लक्ष्मी नृसिंह मंदिर विष्णु भगवान के 9 वें अवतार भगवान नृसिंह को समर्पित है। यह प्रसिद्ध तीर्थस्थल यदागिरी नामक पहाड़ी पर स्थित है जिसकी एक गुफा ही इस मंदिर का पवित्र गर्भगृह है।
लक्ष्मी नृसिंह स्वामी मंदिर, तेलंगाना (Sri Lakshmi Narasimha Swamy Temple, Telangana)
मंदिर जिस पहाड़ी की चोटी पर बना है उसे ‘सिंहाचलम’ या ‘शेर की पहाड़ी’ भी कहा जाता है। मान्यता है कि यह तिरुपति मंदिर के बाद भारत का दूसरा सबसे अमीर मंदिर है। उड़ीसा और द्रविड़ शैली की वास्तुकला के समामेलन को यह प्रदर्शित करता है।
भगवान नृसिंह की तीनों प्रतिमाएं एक गुफा में हैं जो करीब 12 फुट ऊंची और 30 फुट लम्बी है। इनके साथ माता लक्ष्मी की प्रतिमा भी है।
पौराणिक कथा (Mythological Story)
पौराणिक कथा अनुसार अपने भक्त प्रह्लाद की उसके क्रूर पिता हिरण्यकश्यप से रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने नृसिंह का रूप धारण किया। प्रह्लाद के पिता को वरदान था कि उसे न कोई मानव या न ही जानवर मार सकता है और उसकी मृत्यु न तो पृथ्वी और न ही आकाश में होगी। भगवान विष्णु ने आधे मानव और आधे शेर का रूप धारण किया और प्रह्लाद के पिता को अपनी गोद में बैठाकर उसके प्राण हर लिए। और पढ़ें: विष्णु के दशावतार
मान्यता है कि महर्षि यद की प्रार्थना पर भगवान नृसिंह 3 रूपों ज्वाला नृसिंह, गंधभिरंदा नृसिंह और योगानंद नृसिंह के रूप में यहीं विराजित हो गए। दुनिया में एकमात्र ध्यानस्थ पौराणिक नृसिंह प्रतिमा इसी मंदिर में है।
कहते हैं कि जब कुछ विदेशी आक्रमणकारी इस मंदिर को नष्ट करना चाहते थे तो कुमारनाथ नामक एक भक्त ने भगवान नृसिंह से निवेदन किया। तब तांबे की कुछ मक्खियों के एक झुंड ने आक्रमणकारियों पर हमला किया और उसके बाद वे सिंहाचलम की पहाड़ियों में कहीं गायब हो गईं। इलाके के लोग मानते हैं कि भगवान नृसिंह की दया से ही मंदिर बच गया।