Lord Agnidev: जानिए, अग्नि देव का रहस्य
Lord Agnidev: भगवान अग्निदेव को यज्ञ का प्रधान अंग माना जाता है। बिना अग्नि के यज्ञ, पूजन और अन्य संस्कार पूर्ण नहीं होते। भगवान अग्निदेव संपूर्ण सृष्टि में प्रकाश करने वाले और पुरुषार्थ प्रदान करने वाले देव हैं। इन्हें सभी देवताओं में श्रेष्ठ और प्रथम माना जाता है। सभी यज्ञों के यही प्रधान पुरोहित माने जाते हैं।
देवताओं को पृथ्वी पर होने वाले समस्त वैदिक और धार्मिक कार्यों का फल भगवान अग्निदेव ही प्रदान करते हैं। धर्म-ग्रंथों और पुराणों के अनुसार अग्नि को अंगिरा ऋषि का पुत्र और शांडिल्य ऋषि का पौत्र कहा गया है। विष्णु पुराण में अग्निदेव को भगवान विष्णु का सबसे बड़ा पुत्र बताया गया है। अग्निदेव की पत्नी का नाम स्वाहा है, जिनसे इन्हें पावक, पवमान और शुचि नामक तीन पुत्रों की प्राप्ति हुई।
भगवान अग्निदेव की सात जीभ हैं – ‘काली, कराली, मनोजवा, सुलोहिता, धूम्रवर्णी, सुलिंगी तथा विश्वरुचि। ये पवित्र और शुद्ध जीभ संयुक्त रूप से भगवान अग्निदेव के मुख में विराजमान हैं।
इनके स्पर्श-मात्र से ही पापी, दुराचारी और तामसिक प्रवृत्तियों का मनुष्य स्वर्ण के समान शुद्ध और सात्विक हो जाता है। भगवान अग्निदेव अपने भक्तों पर प्रसन्न होकर उन्हें धन-धन्य से परिपूर्ण करते हैं।